4-6 महीने का शिशु (4-6 Months of baby) सही प्रकार से शब्द नहीं बना पाता है लेकिन, इस दौरान वह आपकी बातों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। इस उम्र के शिशु अक्सर व्यंजन से ध्वनियां भी बनाना शुरू कर देते है, जो पूर्ण रूप से शब्दों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक (Building blocks) का काम करते हैं। इस अवस्था में हो सकता है कि आपका शिशु आवाजें निकालकर आपकी बातों का जवाब दे और खुशी का इजहार करने की कोशिश करे। ज्यादातर बच्चे इस समय तक अपना नाम भी पहचानने लगते हैं।
संवाद बच्चों के साथ हो अच्छा इसके लिए करें ये
अपने शिशु से बात करते समय सरल शब्दों का प्रयोग करें, जैस- “बेबी,” “कैट,” “गो,” “वॉक”, “कम” आदि। शिशु को रोजमर्रा की जिंदगी के सरल शब्दों से रूबरू कराएं। परिचित लोगों, वस्तुओं और गतिविधियों के नाम बताइए। बच्चे चाहे शब्दों का इस्तेमाल न कर पाएं लेकिन उनमे शब्दों को समझने की क्षमता पहले से ही होती है। इसके साथ ही बच्चे से संवाद करते समय अपने चेहरे के एक्सप्रेशंस पर भी ध्यान दें।
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7-9 महीने के शिशु के साथ संवाद
7-9 महीने के शिशु अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने लगते हैं। इस दौरान उन्हें अपने नाम की समझ हो जाती है और वे शब्दों को भी पहचानना शुरू कर देतें है। शिशुओं को इस अवस्था में पता चल जाता है कि उनकी आवाज का उनके माता-पिता पर क्या प्रभाव पड़ता है। वे अलग-अलग तरह की ध्वनियों से अपने माता-पिता का ध्यान अपनी और आकर्षित कर उनकी प्रतिक्रिया देखते हैं। वे अपनी आवाज की पिच को उठाना और कम करना भी शुरू कर देते हैं, और अपने माता-पिता की बातों पर प्रक्रिया देने लगते है।
बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) के लिए क्या करें?
बच्चे से रोजमर्रा की चीजों के बारे में बात करने से उसे यह समझने में मदद मिलेगी कि शब्दों का क्या अर्थ है। इसलिए, अधिक से अधिक अपने बच्चों के साथ संवाद करें। अपने बच्चे के बड़बोलेपन को सुनें और उसका जवाब दें। इससे शिशु की भाषा और लर्निंग स्किल्स (Learning skills) का डेवलपमेंट होगा। साथ ही ऐसा करने से बच्चे और पेरेंट्स के बीच बॉन्डिंग (Bonding) भी अच्छी होगी।
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10-12 महीने के शिशु ऐसे करते हैं बात
आमतौर पर 10-12 महीने के बच्चे सही तरीकों से शब्दों का उपयोग करना शुरू कर देते है। वे अपने माता-पिता की पहचान करने के लिए और उनसे बात करने के लिए “मां”, “पापा” या “दादा” जैसे शब्दों का उपयोग करने लगते हैं।
क्या करें?
बच्चों के दादा, मामा और अन्य शब्दों का जवाब दें। ऐसा करने से बच्चे को एहसास होता है कि आप उसकी बातों को समझ रहे हैं। दो तरफा बातचीत बच्चे को और प्रोत्साहित करती है। इससे बच्चे की कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर होती हैं। पेरेंट्स इस समय अपने बच्चे को कहानियां, गाने और नर्सरी राइम्स को पढ़कर सुनाएं, ऐसा करने से अपने बच्चे की इमेजिनेशन एबिलिटी बढ़ेगी।