ऐसे करते हैं बच्चे आपसे बातें
आपके शिशु का रोना (Babies cry) आमतौर पर आपको बताता है कि बच्चा आपसे कुछ कहना चाहता है। बच्चा ध्वनियों के माध्यम से, चेहरे के भाव (आई कॉन्टेक्ट, मुस्कुराहट) और हावभाव/शरीर की हलचल (हाथ/पैर हिलना) जैसे संकेतों से बात करता है। आमतौर पर शिशु ऐसा तब करते हैं, जब उन्हें भूख लगी हो, या उनकी नैपी गीली हो, उन्हें ठंड लग रही हो, या अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए भी छोटे बच्चे ऐसा करते हैं। बच्चों के इन इशारों को पेरेंट्स अच्छी तरह समझने लगते हैं। हालांकि, किसी नए व्यक्ति को इस तरह का संवाद बच्चों के साथ करने में दिक्कत होती है।
मेरा बच्चा कब बात करना शुरू करेगा?
जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता जाएगा, अलग-अलग आवाजें और शब्द समझने लगता है। शिशु (Baby) लगभग चार से छह महीनों में ध्वनियां निकालने लगते हैं, जैसे “दा, दा, दा, मा, मा”। वे लगभग सात से नौ महीनों में ध्वनियों को समझना भी शुरू कर देते हैं। शिशु जैसे-जैसे बड़ा होगा बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) करना आसान होता जाएगा।
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0-3 महीने के शिशु की गतिविधि
इस उम्र में, बच्चे कभी शांत तो कभी मुस्कुराते और किलकते रहते हैं। शिशु बचपन से ही अपने माता-पिता की आवाज को पहचानते हैं और यदि आप उनसे बातें करें या उनके सामने गाना गए तो वे अपने हाथ पैर हिलाकर या मुस्कुराकर आपसे बात करने की कोशिश करते हैं।
बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) के लिए क्या करें?
इस समय पेरेंट्स को बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) नियमित रूप से करना चाहिए ताकि वे आपके शब्दों को सुन सकें और सीख सकें। जो माता–पिता संवाद बच्चों के साथ करते हैं या उनके साथ बातचीत करते हैं, वे अपने बच्चों के संकेतों को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। बचपन से ही शिशु को अच्छा संगीत सुनाएं और उनके साथ अच्छी-अच्छी बातें करें। ऐसा करने से बच्चे के मस्तिष्क का विकास (Babies brain development) होता है। बार-बार एक ही संगीत सुनाने से कई शिशु उसे पहचानना शुरू कर देते हैं और अपने हाथों और पैरों को हिलाकर कर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।
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4-6 महीने के बच्चे का संवाद