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नन्हे-मुन्ने के आधे-अधूरे शब्दों को ऐसे समझें और डेवलप करें उसकी लैंग्वेज स्किल्स

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 06/07/2021

    नन्हे-मुन्ने के आधे-अधूरे शब्दों को ऐसे समझें और डेवलप करें उसकी लैंग्वेज स्किल्स

    इससे पहले कि आपका बच्चा किसी भी शब्द का उपयोग करना शुरू करता है, उससे पहले ही वे अपनी किलकारियों और बब्ब्लिंग (Babbling) से अपनी बातें पेरेंट्स तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। माता-पिता उस क्षण का बेसब्री से इंतजार करते हैं की कि जल्दी से उनका शिशु बात करना शुरू करें। लेकिन, क्या आपको पता है कि बच्चे जन्म के साथ ही संवाद करना शुरू कर देतें है। नवजात शिशु का जन्म रोने की क्षमता के साथ होता है, जो कुछ समय तक उनके लिए बातचीत का जरिया बनता है। इस समय न्यू पेरेंट्स बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) कैसे करें? बेबी टॉक को कैसे समझें? जानते हैं इस लेख में-

    ऐसे करते हैं बच्चे आपसे बातें

    आपके शिशु का रोना (Babies cry) आमतौर पर आपको बताता है कि बच्चा आपसे कुछ कहना चाहता है। बच्चा ध्वनियों के माध्यम से, चेहरे के भाव (आई कॉन्टेक्ट, मुस्कुराहट) और हावभाव/शरीर की हलचल (हाथ/पैर हिलना) जैसे संकेतों से बात करता है। आमतौर पर शिशु ऐसा तब करते हैं, जब उन्हें भूख लगी हो, या उनकी नैपी गीली हो, उन्हें ठंड लग रही हो, या अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए भी छोटे बच्चे ऐसा करते हैं। बच्चों के इन इशारों को पेरेंट्स अच्छी तरह समझने लगते हैं। हालांकि, किसी नए व्यक्ति को इस तरह का संवाद बच्चों के साथ करने में दिक्कत होती है।

    मेरा बच्चा कब बात करना शुरू करेगा?

    जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता जाएगा, अलग-अलग आवाजें और शब्द समझने लगता है। शिशु (Baby) लगभग चार से छह महीनों में ध्वनियां निकालने लगते हैं, जैसे “दा, दा, दा, मा, मा”। वे लगभग सात से नौ महीनों में ध्वनियों को समझना भी शुरू कर देते हैं। शिशु जैसे-जैसे बड़ा होगा बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) करना आसान होता जाएगा।

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    0-3 महीने के शिशु की गतिविधि

    इस उम्र में, बच्चे कभी शांत तो कभी मुस्कुराते और किलकते रहते हैं। शिशु बचपन से ही अपने माता-पिता की आवाज को पहचानते हैं और यदि आप उनसे बातें करें या उनके सामने गाना गए तो वे अपने हाथ पैर हिलाकर या मुस्कुराकर आपसे बात करने की कोशिश करते हैं।

    बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) के लिए क्या करें?

    इस समय पेरेंट्स को बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) नियमित रूप से करना चाहिए ताकि वे आपके शब्दों को सुन सकें और सीख सकें। जो माता–पिता संवाद बच्चों के साथ करते हैं या उनके साथ बातचीत करते हैं, वे अपने बच्चों के संकेतों को अच्छी तरह से समझ पाते हैं। बचपन से ही शिशु को अच्छा संगीत सुनाएं और उनके साथ अच्छी-अच्छी बातें करें। ऐसा करने से बच्चे के मस्तिष्क का विकास (Babies brain development) होता है। बार-बार एक ही संगीत सुनाने से कई शिशु उसे पहचानना शुरू कर देते हैं और अपने हाथों और पैरों को हिलाकर कर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं।

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    4-6 महीने के बच्चे का संवाद

    4-6 महीने का शिशु (4-6 Months of baby) सही प्रकार से शब्द नहीं बना पाता है लेकिन, इस दौरान वह आपकी बातों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। इस उम्र के शिशु अक्सर व्यंजन से ध्वनियां भी बनाना शुरू कर देते है, जो पूर्ण रूप से शब्दों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक (Building blocks) का काम करते हैं। इस अवस्था में हो सकता है कि आपका शिशु आवाजें निकालकर आपकी बातों का जवाब दे और खुशी का इजहार करने की कोशिश करे। ज्यादातर बच्चे इस समय तक अपना नाम भी पहचानने लगते हैं।

    संवाद बच्चों के साथ हो अच्छा इसके लिए करें ये

    अपने शिशु से बात करते समय सरल शब्दों का प्रयोग करें, जैस- “बेबी,” “कैट,” “गो,” “वॉक”, “कम” आदि। शिशु को रोजमर्रा की जिंदगी के सरल शब्दों से रूबरू कराएं। परिचित लोगों, वस्तुओं और गतिविधियों के नाम बताइए। बच्चे चाहे शब्दों का इस्तेमाल न कर पाएं लेकिन उनमे शब्दों को समझने की क्षमता पहले से ही होती है। इसके साथ ही बच्चे से संवाद करते समय अपने चेहरे के एक्सप्रेशंस पर भी ध्यान दें।

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    7-9 महीने के शिशु के साथ संवाद

    7-9 महीने के शिशु अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने लगते हैं। इस दौरान उन्हें अपने नाम की समझ हो जाती है और वे शब्दों को भी पहचानना शुरू कर देतें है। शिशुओं को इस अवस्था में पता चल जाता है कि उनकी आवाज का उनके माता-पिता पर क्या प्रभाव पड़ता है। वे अलग-अलग तरह की ध्वनियों से अपने माता-पिता का ध्यान अपनी और आकर्षित कर उनकी प्रतिक्रिया देखते हैं। वे अपनी आवाज की पिच को उठाना और कम करना भी शुरू कर देते हैं, और अपने माता-पिता की बातों पर प्रक्रिया देने लगते है।

    बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) के लिए क्या करें?

    बच्चे से रोजमर्रा की चीजों के बारे में बात करने से उसे यह समझने में मदद मिलेगी कि शब्दों का क्या अर्थ है। इसलिए, अधिक से अधिक अपने बच्चों के साथ संवाद करें। अपने बच्चे के बड़बोलेपन को सुनें और उसका जवाब दें। इससे शिशु की भाषा और लर्निंग स्किल्स (Learning skills) का डेवलपमेंट होगा। साथ ही ऐसा करने से बच्चे और पेरेंट्स के बीच बॉन्डिंग (Bonding) भी अच्छी होगी।

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    10-12 महीने के शिशु ऐसे करते हैं बात

    आमतौर पर 10-12 महीने के बच्चे सही तरीकों से शब्दों का उपयोग करना शुरू कर देते है। वे अपने माता-पिता की पहचान करने के लिए और उनसे बात करने के लिए “मां”, “पापा” या “दादा” जैसे शब्दों का उपयोग करने लगते हैं।

    क्या करें?

    बच्चों के दादा, मामा और अन्य शब्दों का जवाब दें। ऐसा करने से बच्चे को एहसास होता है कि आप उसकी बातों को समझ रहे हैं। दो तरफा बातचीत बच्चे को और प्रोत्साहित करती है। इससे बच्चे की कम्युनिकेशन स्किल्स बेहतर होती हैं। पेरेंट्स इस समय अपने बच्चे को कहानियां, गाने और नर्सरी राइम्स को पढ़कर सुनाएं, ऐसा करने से अपने बच्चे की इमेजिनेशन एबिलिटी बढ़ेगी।

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    13-18 महीने के बच्चों के साथ संवाद

    बच्चे के जन्म के 13-18 महीने के दौरान उसकी शब्दावली बढ़ने लगती है। इस समय बच्चा अनेकों शब्दों को समझने लगता है। हालांकि, पूरा वाक्य बोलने में अभी भी वह असक्षम होता है। लेकिन, अपने अनुसार बोलने की कोशिश करता है। इसके साथ ही बच्चा आपके प्रश्नों को समझने लगता है और उनके जवाब देने की कोशिश करता है। अपने परिचित लोगों, वस्तुओं और शरीर के अंगों के नाम पहचानें में बच्चा 13-18 महीने के उम्र में सक्षम होता है।

    बच्चे की भाषा कौशल को बेहतर बनाने के लिए क्या करें?

    • इस समय अपने बच्चे की लैंग्वेज को विस्तारपूर्वक कहें: यदि आपका बच्चा बिल्ली को देखकर “कैट (Cat)” कहता है, तो आप कहें “हां, ये कैट है।”
    • अपने बच्चे के वाक्य को पूरा करें: उदाहरण के लिए, यदि आपका बच्चा कहता है, “डैडी गोइंग …,” तो आपको उससे कहना चाहिए, “डैडी कार में जा रहे हैं।”
    • बच्चे को नर्सरी राइम पढ़कर और गाकर सुनाएं।
    • अपने बच्चे को किताबें दिखाएं यानी बच्चे को कितबों (Books) से रूबरू करवाएं।
    • बच्चों को बुक (Book) में दी गयी पिक्चर के जरिए वस्तुओं को समझाएं।
    • बच्चे के सामने “नहीं” शब्द का उपयोग न करें। केवल आवश्यक होने पर ही इसका उपयोग करें।
    • उन शब्दों को एक डायरी में लिखें, जिन्हें आपका बच्चा कहता है। यह आपको आश्चर्यचकित कर सकता है कि आपका बच्चा इतनी जल्दी नई बातें सीखता है।

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    19-24 महीने के बच्चों के साथ संवाद

    इस उम्र में, आपके बच्चे की भाषा में निपुणताआ जाती है। दो वर्ष की आयु तक बच्चा दो-शब्द वाक्यांशों का उपयोग करना शुरू कर देता है। इसके साथ ही शिशु आपके निर्देशों का पालन करने लगता है और कहानियों को सुनने का आनंद लेने लगता है। वह बिना किसी मदद के चलने और खाने और थोड़ा बहुत खेलने भी लगता है। इस दौरान माता-पिता अपने काम में ध्यान लगा सकते हैं क्योंकि आपका बच्चा खुद से खेलने लगता है।

    क्या करें?

    • इसके साथ ही, दिन में कई बार आप अपने बच्चे के साथ बैठें और उससे बुक में दी गयी पिक्चर के बारें में पूछें। एबीसीडी सिखाने के लिए एल्फाबेट पढ़ाएं।
    • अपने शिशु की पसंद और नापसंद पूछें। जब वह आपसे बात करते हैं तो ध्यान से सुनें और उनकी बातों का जवाब दें। इस समय आपका बच्चा दो साल का होने वाला होता है, वह आपके हाव भावों को समझकर “हां” या “ना” में भी जवाब देने लगते हैं।

    नवजात बच्चों के साथ संवाद (Communication with babies) करना उनकी जरूरतों को पूरा करने का विषय है। हमेशा अपने शिशु के संवाद का जवाब दें – बच्चों पर बहुत अधिक ध्यान देने का मतलब उन्हें बिगाड़ना बिलकुल भी नहीं होता है। इसके साथ ही यदि आपको लगे कि आपके बच्चे को बोलने या सुनने में देरी या परेशानी हो रही है, तो तुरंत बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही याद रखें कि आपका बच्चा आपकी आवाज सुनना पसंद करता है, इसलिए बच्चों से बेबी टॉक करें। अच्छा संवाद बच्चों के साथ करने से शिशु स्वस्थ रूप से विकास होता है।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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