बच्चों की सभी आदतों में पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) भी अहम हिस्सा है। ज्यादातर पेरेंट्स बच्चे को सही तरह से पॉटी करना सीखाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। बच्चों को डांटते हैं, उन्हें न सीखने पर पनिश करते हैं। ऐसे में बच्चे डर जाते हैं और सही से सीख भी नहीं पाते हैं। जबकि एक बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के लिए मात्र तीन दिन का समय काफी है। आइए हम आपको बताते हैं कि बच्चे को आप तीन दिन में बच्चे को कैसे पॉटी ट्रेनिंग (3 Days Potty training) दे सकते हैं।
क्या आपका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) लेने के लिए तैयार है?
पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) के लिए बच्चों की कोई निर्धारित उम्र नहीं होती है। लेकिन पेरेंट्स बच्चे के हाव भाव से समझ सकते हैं कि बच्चा आदतों को सीखने के काबिल है या नहीं। लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) देने की सही उम्र दो से ढाई साल के बाद होती है। ऐसा इसलिए भी है कि बच्चे का मूत्राशय पेशाब क ज्यादा मात्रा संभालने के लिए विकसित हो जाता है। साथ ही बच्चे मल या मूत्र आने पर अपने माता-पिता को बता सकते हैं। बच्चे की कुछ आदतों पर गौर कर के पेरेंट्स समझ सकते हैं कि उनका बच्चा पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) के लिए तैयार हो गया है।
- बच्चा सुबह उठते ही बाथरूम और पॉटी के लिए आपको इशारा देंगे या बताएंगे।
- अगर उसका अंडरवियर या डायपर (Diaper) गीला हो जाता है और वह उसे बदलने के लिए इशारे करता है।
- बच्चा डायपर को कम गिला करता है और ज्यादातर गीले डायपर या लंगोट को पसंद ना करता हो।
इन कुछ इशारों से समझ जाना चाहिए कि बच्चे को अब पॉटी ट्रेनिंग देने का वक्त आ गया है।
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बच्चे को ऐसे दें पॉटी ट्रेनिंग (Tips for Potty training)
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने के लिए माता-पिता को लगभग एक महीने पहले से घर में ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि बच्चे के अंदर सीखने की ललक का पता चल सके। बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग देने से पहले माता-पिता को बच्चे की आदतों और दिन भर की एक्टिविटी पर गौर करना चाहिए।
पॉटी ट्रेनिंग के पहले दिन बच्चे को ये सिखाएं (1st day of Potty training)
बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग के पहले दिन सीखाने का समय सुबह से ही शुरू करें। ऐसा करने से बच्चे का एक समय निश्चित होना शुरू हो जाएगा। साथ ही आप भी धैर्य के साथ प्यार से बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) दें।
- बच्चे के सुबह उठते ही उसका डायपर हटा दें और शरीर के निचले हिस्से में कोई भी कपड़ा नहीं पहनाएं।
- इसके बाद उसे वॉशरूम में जाने के लिए कहें। ताकि उसे अगर सूसू या पॉटी आई है तो वह समझ सके कि कहां करना है।
- बच्चे के साथ वॉशरूम तक जाएं और उसे समझाएं कि सूसू और पॉटी आने पर कैसे करे।
- बच्चे को पॉटी चेयर पर बैठना सिखाए और बताए कि इसका इस्तेमाल कब और कैसे करना है।
- बच्चे के अंदर यह कह कर आत्मविश्वास (Confidence) जगाएं कि “उसके मम्मी या पापा यहां पर उसके साथ हैं। अब वह बड़ा बच्चा हो रहा है, इसलिए उसे अच्छी आदतें सीखनी चाहिए।”
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कुछ और चीजें सिखाएं
- अगर बच्चे ने नेकर या पैंट पहनी है तो उसको खुद से उतारना सिखाएं। ऐसा करने से उसे समझ में आएगा कि अब कपड़े या डायपर (Diaper) में सूसू या पॉटी नहीं करना है।
- बच्चे को बोले कि जब भी उसे सूसू या पॉटी आए तो वह आपको बताए।
- इसके बावजूद अगर बच्चा घर के किसी भी हिस्से में सूसू या पॉटी करता है तो उसे डांटे नहीं, बल्कि उसे प्यार से समझाएं कि जो भी वो कर रहा है उसे कहां करना है।
- सूसू या पॉटी करने के बाद आप उसे सफाई कर के दिखाएं और समझाएं कि कैसे सफाई करनी होती है। इसके साथ ही उसे खुद भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।
- रात में सोने से पहले उसको सूसू करने की आदत सिखाएं। बच्चे को समझाएं ऐसा करने से वह रात में बिस्तर गीला नहीं करेगा।
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पॉटी ट्रेनिंग का दूसरा दिन (2nd day of Potty training)
- बच्चे को दूसरे दिन भी पहले दिन की ही तरह व्यवहार करें।
- उसे सुबह उठ कर पिछले दिन की सीख को दोहराने के लिए कहें।
- उसे फ्रेश होने के बारे में बताएं और सूसू, पॉटी कराने के बाद नाश्ता करने के लिए कहें।
- बच्चे को बाहर ले कर जाएं और उसे कहें कि अगर उसे सूसू या पॉटी आ रही है, तो वह आपको बताएं।
- कोशिश करें कि घर से ज्यादा दूर ना जाएं। पास के पार्क या घर की छत पर ही घूमें। ताकि बच्चे को जल्द से जल्द वॉशरूम ले कर जा सकें।
- दूसरे दिन जब बच्चा पॉटी कर ले तो उससे पूछे कि क्या आज तुम खुद से साफ करोगे? अगर बच्चा तैयार हो जाता है, तो अपनी देखरेख में उसे सफाई करने दें।
- ऐसे ही पॉटी के बाद बच्चे को हाथ धुलने की आदत भी सिखाएं।
पॉटी ट्रेनिंग का तीसरा दिन (3rd day of Potty training)
- बच्चे को पहले और दूसरे दिन की तरह ही सुबह बच्चे को पॉटी और बाथरूम करने को कहें ।
- इसके अलावा, बच्चे को सुबह के नाश्ते के बाद सूसू जाने के लिए कहें।
- इसके अलावा बच्चे को फिर से समझाएं कि उसे जब भी सूसू या पॉटी आए तो वह आपको बताएं।
- बच्चे को बाहर ले जाएं और रास्ते में समझाएं कि बाहर भी अगर उसे सूसू या पॉटी आए तो वह जरूर बताएं।
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तीन दिन की पॉटी ट्रेनिंग के बाद क्या करें? (Post Potty training tips)
बच्चा है सीखते-सीखते ही सीखेगा। इसलिए धैर्य के साथ उसे पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) देते रहें। उसे जो सिखाया है उसे बार-बार याद दिलाते रहें। हमेशा याद रखिए बच्चे डांट से ज्यादा प्यार से सीखते हैं। इसलिए अगर एक-दो बार अगर वह गलती भी कर दें तो उन्हें प्यार से समझाए। ऐसा करने से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसके साथ ही दिन के अलावा रात में भी बच्चे को तीन-चार घंटे में एक बार सूसू कराएं। ऐसा करने से बच्चे को रात में भी जाग कर सूसू करने की आदत पड़ जाएगी।
बच्चे की पॉटी ट्रेनिंग शुरू करने से पहले माता-पिता को एक बात समझनी होगी कि हर बच्चे के सीखने की अपनी क्षमता होती है। अगर बच्चा तीन दिन में नहीं सीख पा रहा है तो उसे रोज सीखाते रहें। अगर बच्चा बिल्कुल नहीं कर पा रहा है तो एक महीने का इंतजार करें और फिर से पॉटी ट्रेनिंग (Potty training) शूरू करें। आपके द्वारा बच्चे के अंदर जगाया गया आत्मविश्वास उसे सीखने में काफी हद तक मदद करेगा।
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