लेफ्ट-साइड कोलाइटिस (Left-sided colitis): इस प्रकार से कोलेन और रेक्टम में प्रभाव पड़ता है।
अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस (Ulcerative proctitis): इसे अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) का माइल्डेस्ट फॉम कहा जाता है। ये केवल रेक्टम को प्रभावित करता है।
एक्सटेंसिव कोलाइटिस (Extensive colitis): ये अल्सरेटिव कोलाइटिस पूरे कोलन को प्रभावित करता है।
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क्रोहन के लिए उपयोग की जाने वाली सभी दवाएं अक्सर अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए भी उपयोग की जाती हैं। सर्जरी, हालांकि, अल्सरेटिव कोलाइटिस में अधिक बार उपयोग की जाती है। आईबीडी के कारण टिशू में निशान पैदा होता है और साथ कोलन कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। IBD क्रोहन और अल्सरेटिव कोलाइटिस में अंतर (Difference Between Crohn’s Disease, IBD And UC) के संबंध में आप डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं।
किसी भी बीमारी को समय पर डायग्नोज करने के बाद अगर उसका ट्रीटमेंट करा लिया जाए, तो भविष्य में बड़ी समस्या या खतरे से बचा जा सकता है। अगर आपको भी पेट में किसी भी प्रकार की समस्या महसूस होती है, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। डॉक्टर आपको जो भी मेडिसिंस लेने की सलाह दें, उसे समय पर लें। अगर जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं। आप अपने खानपान में बदलाव करके और साथ ही लाइफस्टाइल में परिवर्तन करके इन रोगों को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको IBD क्रोहन और अल्सरेटिव कोलाइटिस में अंतर (Difference Between Crohn’s Disease, IBD And UC) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।