हमारा पाचन तंत्र खाने को डायजेस्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर किसी कारण से पाचन तंत्र में किसी प्रकार की समस्या हो जाती है, तो पेट में दर्द के साथ ही अन्य समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (जीआईएफ) आपके पाचन तंत्र में एक एब्नॉर्मल ओपनिंग है, जिसके कारण गैस्ट्रिक फ्लूड पेट या फिर इंटेस्टाइन की लेयर से रिसने या फिर निकलने लगता है। पाचन संबंधित समस्या या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) के कारण इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। आमतौर पर इंट्रा-एब्डॉमिनल सर्जरी के बाद गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला के चांसेज बढ़ जाते हैं। अगर आपको पहले कभी पाचन तंत्र से संबंधित कोई समस्या हो चुकी है, तो ऐसे में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) का खतरा बढ़ जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही इसके लक्षणों के बारे में भी बताएंगे।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula)
एक्सटरनल फिस्टुला (External fistulas) के कारण स्किन डिस्चार्ज होने लगता है। इसके साथ ही गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला के कारण निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं।
- एब्डॉमिनल पेन (abdominal pain)
- पेनफुल बाउल ऑब्सट्रक्शन (Painful bowel obstruction
fever)
इंटरनल फिस्टुला के कारण निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।
- डायरिया (diarrhea)
- रेक्टल ब्लीडिंग (rectal bleeding)
- ब्लड में इंफेक्शन
- न्यूट्रीएंट्स का अवशोषण नहीं होना
- वेट लॉस (weight loss)
- डिहायड्रेशन (dehydration)
अगर आपको भी उपरोक्त दिए गए लक्षणों में से कोई लक्षण नजर आते हैं, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर जांच के बाद ही बता सकते हैं कि आखिर यह किस बीमारी के लक्षण है।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला के कारण (Causes of a Gastrointestinal Fistula)
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। जानिए आखिर इस समस्या का क्यों सामना करना पड़ सकता है। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या सर्जरी के कारण हो सकती है। लगभग 85-90 प्रतिशत गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या सर्जरी के बाद डेवलप हो सकती है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला के विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं।
- कैंसर की समस्या (cancer)
- एब्डॉमन का रेडिएशन ट्रीटमेंट होने के कारण
- बाउल एब्सट्रक्शन (bowel obstruction)
- सर्जिकल सचर प्रॉब्लम (surgical suture problems)
- इनसीजन साइट प्रॉब्लम (incision site problems)
- फोड़े के कारण समस्या
- स्किन के नीचे ब्लड क्लॉट बनना
- ट्यूमर (Tumor)
- कुपोषण (Malnutrition)
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) के सभी मामले सर्जरी से जुड़े हुए नहीं होते हैं। लगभग 10 से 15% तक मामले अचानक से सामने आते हैं। सूजन की समस्या के कारण, इंटेस्टाइन रोग से संबंधित, ट्यूमर आदि के कारण भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या हो सकती है। क्रोहन डिसीज के कारण भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या पैदा हो सकती है। करीब 40% लोग, जिनको क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease) हुई है उनमें इस बीमारी का खतरा रहता है। वैस्कुलर इंसफिशिएंसी के कारण भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला की समस्या हो सकती है। कई बार फिजिकल ट्रॉमा (Physical trauma) जैसे कि बंदूक या फिर चाकू आदि के घाव के कारण भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) विकसित हो सकता है।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) कितने प्रकार के हो सकते हैं?
इंटेस्टाइनल फिस्टुला (Intestinal fistula)-इंटेस्टाइनल फिस्टुला में गैस्ट्रिक फ्लूड आंत के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में रिसता है, जहां अन्य फोल्ड्स एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं।
एक्स्ट्राइनटेस्टिनल फिस्टुला (Extraintestinal fistula)- इस प्रकार का फिस्टुला तब होता है, जब गैस्ट्रिक फ्लूड इंटेस्टाइन से शरीर को अन्य अंगों जैसे कि ब्लैडर, लंग्स या फिर वैस्कुलर सिस्टम ( vascular system) से लीक हो है।
एक्सटरनल फिस्टुला (External fistula)- एक्सटरनल फिस्टुला की समस्या में, गैस्ट्रिक फ्लूड त्वचा के माध्यम से लीक होता है। इसे “कॉन्टेनियस फिस्टुला” के नाम से भी जानते हैं।
कॉम्प्लेक्स फिस्टुला (Complex fistula)- इस प्रकार का फिस्टुला एक नहीं बल्कि कई अंगों में पैदा हो सकता है।
इस समस्या के कारण कुछ कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं। ऐसे में शरीर में इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर समय पर ट्रीटमेंट ना कराया जाए, तो लो ब्लड प्रेशर के साथ ही ऑर्गन डैमेज की समस्या हो सकती है। कई केस में तो पेशेंट की मृत्यु भी हो जाती है। वैसे तो सर्जरी के कारण ही कई कॉम्प्लिकेशंस पैदा हो जाते हैं लेकिन इस बीमारी के कारण समस्याएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला का डायग्नोसिस (Diagnosis Of Gastrointestinal Fistula)
डॉक्टर बीमारी को डायग्नोज करने से पहले आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेंगे। इसके बाद डॉक्टर रन ब्लड टेस्ट (Run blood tests) करते हैं। जिसमें सिरम इलेक्ट्रोलाइट्स और न्यूट्रीशनल स्टेटस को जांचा जाता है। इससे एल्ब्यूमिन और प्री-एल्बुमिन के बारे में जानकारी मिल जाती है। ये प्रोटीन घाव के भरने में अहम रोल अदा करते हैं। साथ ही टेस्ट में अपर और लोअर एंडोस्कोपी (Perform an upper and lower endoscopy), अपर और लोअर इंटेस्टाइनल एक्स-रे, फिस्टुलोग्राम ( fistulogram) की मदद से बाहरी फिस्टुला की जांच के लिए एक्स-रे (X-ray) किया जाता है। आप डॉक्टर से इस बीमारी के डायग्नोसिस के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला का ट्रीटमेंट (Treatment of a GIF)
कई मामलों में फिस्टुला का उपचार अपने आप हो जाता है। डॉक्टर जांच के माध्यम से यह पता करते हैं कि आखिर कितना गैस्ट्रिक फ्लूड रिस रहा है। इसके आधार पर ही ट्रीटमेंट किया जाता है। फिस्टुला की समस्या तब नियंत्रित हो जाती है, जब इंफेक्शन अधिक मात्रा में नहीं होता है या फिर बॉडी पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिएंट्स को अवशोषित कर लेती है। साथ ही जिन लोगों की हेल्थ अच्छी होती है, उनको भी फिस्टुला की समस्या ज्यादा दिनों तक परेशान नहीं करती है। डॉक्टर नॉन सर्जिकल (non-surgical) तरीके से इस बीमारी का ट्रीटमेंट करते हैं, जो कि 5 सप्ताह के भीतर सही हो जाता है। ट्रीटमेंट के दौरान घाव को संक्रमण से रोका जाता है ताकि समस्या अधिक ना बढ़े। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है।
अगर आप सर्जरी करा रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से इस बीमारी के बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर आपको इस बीमारी के खतरे से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के साथ ही संक्रमण को रोकने के लिए कुछ मेडिसिंस भी लिख सकते हैं। इस तरह से अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
ब्लड सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स को करेक्ट किया जाता है साथ ही एसिड और बेस के इम्बैलेंस को भी नॉर्मल किया जाता है। डॉक्टर लगातार घाव की देखभाल करते हैं और जरूरत पड़ने पर फिस्टुला को बंद करने के लिए सर्जिकल प्रोसेस की मदद भी लेते हैं। सर्जिकल प्रोसेस 3 से 6 महीने के बाद अपनाया जाता है, जब नॉनसर्जिकल प्रोसेस काम नहीं करता है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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