इस समस्या के कारण कुछ कॉम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं। ऐसे में शरीर में इंफेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अगर समय पर ट्रीटमेंट ना कराया जाए, तो लो ब्लड प्रेशर के साथ ही ऑर्गन डैमेज की समस्या हो सकती है। कई केस में तो पेशेंट की मृत्यु भी हो जाती है। वैसे तो सर्जरी के कारण ही कई कॉम्प्लिकेशंस पैदा हो जाते हैं लेकिन इस बीमारी के कारण समस्याएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला का डायग्नोसिस (Diagnosis Of Gastrointestinal Fistula)
डॉक्टर बीमारी को डायग्नोज करने से पहले आपसे बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी लेंगे। इसके बाद डॉक्टर रन ब्लड टेस्ट (Run blood tests) करते हैं। जिसमें सिरम इलेक्ट्रोलाइट्स और न्यूट्रीशनल स्टेटस को जांचा जाता है। इससे एल्ब्यूमिन और प्री-एल्बुमिन के बारे में जानकारी मिल जाती है। ये प्रोटीन घाव के भरने में अहम रोल अदा करते हैं। साथ ही टेस्ट में अपर और लोअर एंडोस्कोपी (Perform an upper and lower endoscopy), अपर और लोअर इंटेस्टाइनल एक्स-रे, फिस्टुलोग्राम ( fistulogram) की मदद से बाहरी फिस्टुला की जांच के लिए एक्स-रे (X-ray) किया जाता है। आप डॉक्टर से इस बीमारी के डायग्नोसिस के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला का ट्रीटमेंट (Treatment of a GIF)
कई मामलों में फिस्टुला का उपचार अपने आप हो जाता है। डॉक्टर जांच के माध्यम से यह पता करते हैं कि आखिर कितना गैस्ट्रिक फ्लूड रिस रहा है। इसके आधार पर ही ट्रीटमेंट किया जाता है। फिस्टुला की समस्या तब नियंत्रित हो जाती है, जब इंफेक्शन अधिक मात्रा में नहीं होता है या फिर बॉडी पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिएंट्स को अवशोषित कर लेती है। साथ ही जिन लोगों की हेल्थ अच्छी होती है, उनको भी फिस्टुला की समस्या ज्यादा दिनों तक परेशान नहीं करती है। डॉक्टर नॉन सर्जिकल (non-surgical) तरीके से इस बीमारी का ट्रीटमेंट करते हैं, जो कि 5 सप्ताह के भीतर सही हो जाता है। ट्रीटमेंट के दौरान घाव को संक्रमण से रोका जाता है ताकि समस्या अधिक ना बढ़े। जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी की जाती है।
अगर आप सर्जरी करा रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से इस बीमारी के बारे में बात करनी चाहिए। डॉक्टर आपको इस बीमारी के खतरे से बचने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के साथ ही संक्रमण को रोकने के लिए कुछ मेडिसिंस भी लिख सकते हैं। इस तरह से अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।
ब्लड सीरम इलेक्ट्रोलाइट्स को करेक्ट किया जाता है साथ ही एसिड और बेस के इम्बैलेंस को भी नॉर्मल किया जाता है। डॉक्टर लगातार घाव की देखभाल करते हैं और जरूरत पड़ने पर फिस्टुला को बंद करने के लिए सर्जिकल प्रोसेस की मदद भी लेते हैं। सर्जिकल प्रोसेस 3 से 6 महीने के बाद अपनाया जाता है, जब नॉनसर्जिकल प्रोसेस काम नहीं करता है।
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इस आर्टिकल में हमने आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फिस्टुला (Gastrointestinal Fistula) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।