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फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) जिसे फूड बॉर्न इलनेस भी कहते हैं दूषित भोजन के कारण होती है। दूषित खाने में बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट होते हैं, जो खाने को टॉक्सिक बनाते हैं। ज्यादातर मामलों यह गंभीर नहीं होता है और लोग बिना इलाज के ही कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं।
फूड पॉइजनिंग काफी आम है और यह किसी भी ऐज में कभी भी हो सकती है। इसके रिस्क फैक्टर्स को कम करके इसके खतरे को कम किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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अगर आपको फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) है तो इसकी संभावना है कि आपको इसके लक्षण अपने आप ही दिखाई देने लगेंगे। लक्षण बीमारी के संक्रमण पर निभर करते हैं। इसके साथ ही बीमारी के सामने आने की समय सीमा भी इंफेक्शन के प्रकार पर निर्भर करती है।
फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के सामने आने की समय सीमा 1 घंटे से लेकर 28 दिनों तक हो सकती है।
सामान्य फूड पॉइजनिंग में कम से निम्नलिखित में से 3 लक्षण जरूर दिखाई देते हैं
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ऊपर बताए गए लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। यदि आपको इनमें से कोई लक्षण नजर आता है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग जानलेवा भी हो सकती है। इन लक्षणों में शामिल हैं –
अगर आपको इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर या आपातकालीन कक्ष से संपर्क करें।
यदि आपको निम्न में से कोई भी परेशानी है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
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यदि आप दूषित भोजन खाते हैं या दूषित पानी पीते हैं तो आपको फूड पॉइजनिंग हो सकती है। खाना प्रारंभिक अवस्था से लेकर पकने तक कभी भी दूषित हो सकता है।
जैसे कि उसे काटना , रखरखाव, शिपिंग और कुकिंग। जब आप कुछ ऐसा खाते हैं जो ठीक से पका नहीं होता है तो उसमें पाए जाने वाले हानिकारक वैक्टीरिया नष्ट नहीं होते और खाना टॉक्सिक हो सकता है।
फूड पॉइजनिंग के लिए कई बैक्टीरियल, वायरल या परजीवी एजेंट भी जिम्मेदार हैं। वायरस से ज्यादा बैक्टीरिया इसका कारण बनते हैं।
बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग होने का सबसे प्रचलित कारण है। जब कभी किसी खतरनाक बैक्टीरिया की बात होती है तो सबसे पहले ई. कोली, लिस्टेरिया और साल्मोनेला नाम दिमाग में आते हैं।
साल्मोनेला फूड पॉइजनिंग होने का सबसे सामान्य बैक्टीरिया माना जाता है। इसके बाद कैम्पिलोबैक्टर और सी. बोटुलिनम ऐसे दो बैक्टीरिया हैं जो कम सामन्य होते हैं लेकिन अत्यधिक घातक होते हैं।
बैक्टीरिया के कारण होने वाली फूड पोइजनिंग के मुकाबले पैरासाइट के कारण होने वाली फूड पोइजनिंग कम सामान्य होती है। लेकिन यह खाने के जरिए फिर भी फैल सकती है और अधिक खतरनाक होती है।
टोक्सोप्लासमाइस एक ऐसा पैरसाइट है जिसके कारण सबसे अधिक फूड पोइजनिंग के मामले सामने आते हैं। यह सबसे अधिक बिल्लियों के खाने में पाए जाते हैं। पैरासाइट आपकी पाचन प्रणाली में कई सालों तक बिना किसी लक्षण के जीवित रह सकते हैं।
हालांकि, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में पैरसाइट के अधिक गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इन परिस्थितियों में पैरसाइट आंतों के अंदर अपना घर बना लेते हैं।
फूड पॉइजनिंग (food poisoning) वायरस के कारण भी हो सकती है। नोरावायरस को नॉरवॉक वायरस के नाम से भी जाना जाता है और इसके कारण फूड पॉइजनिंग के दुनिया भर में 1 करोड़ 90 लाख से भी अधिक मामले सामने आ चुके हैं। बेहद दुर्लभ मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है।
सैपोवायरस, रोटावायरस और एस्ट्रोवायरस के लक्षण बेहद सामने होते हैं लेकिन इसके ज्यादा मामलें सामने नहीं देखे गए हैं। हेपेटाइटिस ए वायरस एक गंभीर स्थिति होती है जो खाने के जरिए संचारित हो सकती है।
टॉक्सिन भी इसका कारण बनते हैं यह या तो बैक्टीरिया या भोजन, पौधों जानवरों, मछली या अन्य जीवों द्वारा उत्पादित हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ रसायन भी टॉक्सिक हो सकते हैं जिनसे फूड पॉइजनिंग होती है।
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आप यह तो जान ही चुके हैं कि पैरसाइट, वायरस और बैक्टीरिया के कारण फूड पॉइजनिंग हो सकती है। आज हम आपको यह भी बताएंगे की किस वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट के लक्षण कितने दिनों में दिखाई देते हैं और वह किस आहार से आ सकते हैं।
कैम्पीलोबैक्टर – यह बैक्टीरिया मांस और मुर्गे के पालन के जरिए फैलता है। जब जानवर मांस के संपर्क में आता है तो मल के जरिए वह संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा इस बैक्टीरिया के फैलने का खतरा अनपैशराइज्ड दूध और प्रदूषित खाने से भी बड़ सकता है। इस बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर लक्षण 2 से 5 दिन में दिखाई देने लगते हैं।
बोटुलिनम – घर पर पैक कर के रखे जाने वाले आहार जिनमें एसिडिटी की मात्रा कम होती है उनसे इस बैक्टीरिया के फैलने का जोखिम होता है।
इसके अलावा इस बक्टेरिया के फैलने का खतरा सही ढंग से पैक न किए गए खाने, स्मोक्ड या नमकीन मछली, एल्यूमीनियम फॉयल में बेक किए गए आलू और अन्य आहार जिन्हें कम तापमान में लंबे समय तक रखा जाता है। बोटुलिनम बैक्टीरिया की चपेट में आने पर लक्षण 12 से 72 घंटों में दिखाई देने लग जाते हैं।
हेपेटाइटिस ए – प्रदूषित पानी की शैलफिश, कच्चे मांस या रेडी-टू-ईट आहार खाने से इस वायरस के फैलने का जोखिम रहता है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के जरिए अन्य व्यक्ति में संचारित हो सकता है।
हेपेटाइटिस ए वायरस के संपर्क में आने के 28 दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
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निम्नलिखित कारणों से इसका खतरा बढ़ सकता है। जैसे-
पैथोजन लगभग मनुष्य के हर आहार में पाया जा सकता है। हालांकि, खाने को अच्छे से गर्म या पक्का कर खाने से पैथोजन थाली तक आने तक नष्ट हो जाते हैं। कच्चा खाना फूड पॉइजनिंग का सबसे सामान्य कारण होता है क्योंकि वह पकाने की प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरता है।
आमतौर पर खाना जीवों के संपर्क में मल के रूप में आता है। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति खाना पकाते समय अपने हाथों को अच्छे से नहीं धोता है।
मांस, अंडे और दूध के उत्पादक अधिक दूषित होते हैं। पानी में ऐसे विषाक्त पदार्थों से संक्रमित हो सकता है जिसके कारण व्यक्ति बीमार पड़ सकता है।
प्रदान की गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
फूड पॉइजनिंग का पता लगाने के लिए डॉक्टर डीटेल हिस्ट्री मांगेंगे जैसे आप कब से बीमार हैं? लक्षण और अपने क्या खाया है? डॉक्टर डीहाइड्रेशन का पता लगाने के लिए बॉडी का परीक्षण करेंगे। साथ ही रोग का स्पष्ट पता लगाने के लिए कुछ और टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट किए जा सकते हैं जिससे रोग के कारण का पता चल सके।
स्टूल सैंपल (मल) मिलने के बाद, डॉक्टर उसे लैब (प्रयोगशाला) में भेजेंगे। कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग का कारण का पता नहीं चल पता।
ज्यादातर लोगों में यह बीमारी बिना इलाज के कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन, कुछ में यह लंबे समय तक रहती है। यदि आप अपने आप ठीक नहीं हो पाते तो बीमारी के कारण और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपका इलाज करते हैं।
डॉक्टर आपको रिकवर करने के लिए इलेक्ट्रोलाइट, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम युक्त फ्लूइड लेने की सलाह देते हैं।
एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बैक्टीरियल फूड पॉइजनिंग जिसके लक्षण गंभीर हों के लिए किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करके बच्चे को संक्रमण से बचा सकते हैं।
यदि आपके स्टूल में खून नहीं आ रहा है और बुखार भी नहीं है तो ऐसे में डॉक्टर आपको लोपरामाइड (Imodium A-D) या बिस्मथ सबसलिसलेट (पेप्टो-बिस्मोल) लेने की सलाह दे सकते हैं।
निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव (lifestyle changes) कर आप इस परेशानी से बच सकते हैं। जैसे-
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
फूड पॉइजनिंग की सबसे सामान्य और गंभीर जटिलता डिहाइड्रेशन होती है। इस स्थिति में शरीर में तरल पदार्थ की कमी के साथ जरूर पोषक तत्व और नमक का नुकसान होता है।
अगर आप एक स्वस्थ वयस्क हैं जो उल्टी या डायरिया (Diarrhea) होने पर शरीर से निकले पानी को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीकर पूरा कर लेते हैं तो आपके लिए घबराने की कोई बात नहीं है।
नवजात शिशु, अधिक उम्र वाले वयस्कों और कमजोर इम्यून सिस्टम व पुरानी बीमारी से ग्रसित लोगों में अत्यधिक तरल पदार्थ के नुकसान के कारण डिहाइड्रेशन होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसे में उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाने की भी स्थिति उतपन्न हो सकती है।
अस्पताल में मरीज को नसों के जरिए तरल पदार्थ चड़ाया जाता है। बेहद गंभीर मामलों में डिहाइड्रेशन (Dehydration) जानलेवा बीमारी बन सकती है।
जहां एक तरफ फूड पॉइजनिंग (Food poisoning) असुविधाजनक हो सकती है वहीं दूसरी ओर इसको लेकर अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसके ज्यादातर मामलें अपने आप ही सही डायट की मदद से 48 घंटे में ठीक हो जाते हैं।
फूड पॉइजनिंग के बाद का आहार बेहद महत्वपूर्ण होता है उसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक फूड पॉइजनिंग बेहद दुर्लभ मामलों में जानलेवा होती है।
अगर आप फूड पॉइजनिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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