इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया के कारण निम्नलिखित हो सकते हो सकते हैं। जैसे:
- एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की समस्या होना।
- बाइल रिफ्लक्स (Bile reflux) की समस्या होना।
- गैस्ट्रिक एट्रोफी (Gastric atrophy) की समस्या होना।
- एच. पाइलोरी संक्रमण (H. pylori infection) की समस्या होना।
- स्मोकिंग (Smoking) करना।
- एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करना।
- ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis) की समस्या होना।
इन कारणों की वजह से इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया की समस्या शुरू हो सकती है। वहीं निम्नलिखित बीमारियों से पीड़ित लोगों में इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया का खतरा ज्यादा रहता है। जैसे:
- ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis)
- क्रोनिक गैस्ट्रिटिस (Chronic gastritis)
- एच. पाइलोरी इंफेक्शन (H. pylori infection)
- एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux)
- बाइल रिफ्लक्स (Bile reflux)
- एल्कोहॉलिस्म (Alcoholism)
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इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया के कॉम्प्लिकेशन क्या हैं? (Complications of Intestinal Metaplasia)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया की स्थिति गैस्ट्रिक कैंसर (Gastric cancer) की संभावनाओं को बढ़ा सकती है। इसलिए इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया के लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करना चाहिए।
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इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Intestinal Metaplasia)
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया की जानकारी डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी टेस्ट के दौरान मिलती है। ऐसी स्थिति में अपर एंडोस्कोपी (Upper endoscopy) की जाती है, जिससे इस बीमारी को और बेहतर तरीके से समझने में और इलाज में मदद मिलती है।
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Intestinal Metaplasia)
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया का इलाज इसके कारणों जैसे ऐसोफैजाइटिस (Esophagitis), क्रोनिक गैस्ट्रिटिस (Chronic gastritis), एच. पाइलोरी इंफेक्शन (H. pylori infection), एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) एवं बाइल रिफ्लक्स (Bile reflux) को समझकर अलग-अलग तरह से इलाज करते हैं।
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया समस्या से बचाव कैसे संभव है? (Tips to prevent Intestinal Metaplasia)
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया से बचाव के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
- अगर आप स्मोकिंग (Smoking) या एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन करते हैं, तो इनका सेवन ना करें।
- एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) या ऐसी किसी भी परेशानियों के लक्षण को इग्नोर ना करें।
- ध्यान रखें डायट में फैट (Fat) और नमक (Salt) का सेवन कम से कम करें।
- डायट में नुट्रिएंट्स (Nutrients) एवं एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) फूड को रोजाना शामिल करें।
इंटेस्टाइनल मेटाप्लासिया समस्या से बचाव के लिए इन 4 बातों का ध्यान रखें और खाने-पीने की चीजों का विशेष ध्यान रखें।
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