परिचय
वायरल आंत्रशोथ पेट की बहुत ही सामान्य परेशानी है। अधिकतर मामलों में, यह समस्या कुछ दिन ही रहती है और इसके लिए किसी उपचार की जरूरत नहीं होती है। यह समस्या तब होती है जब वायरस के कारण पेट और आंत में इंफेक्शन हो जाता है। इस इंफेक्शन से डायरिया और उल्टियां हो सकती हैं। इसे कई बार पेट का फ्लू भी कहा जाता है। इस रोग का वायरस पेट, छोटी आंत और बड़ी आंत को भी संक्रमित कर सकता है। इस रोग में सबसे बड़ी समस्या है डायरिया और उलटी के बाद डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में पानी की कमी होना। जिसके कारण यह रोग गंभीर हो सकता है। वायरल आंत्रशोथ के लिए कोई प्रभावी उपचार नहीं है इसलिए इसकी रोकथाम करना आवश्यक है।
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लक्षण
जब वायरस शरीर में जाता है तो उसके एक या दो दिन बाद वायरल आंत्रशोथ के लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाते हैं।यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- जी मिचलाना
- उल्टी
- पतली दस्त
इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- सिरदर्द
- बुखार
- ठंड़ लगना
- पेट में दर्द
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गंभीर वायरल आंत्रशोथ की स्थिति में डिहाइड्रेशन हो सकती है, जिसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- कम मूत्र आना
- गहरे रंग का मूत्र
- त्वचा का रुखा होना
- प्यास लगना
- चक्कर आना
- थकावट और कमजोरी
छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- डायपर का सूखा होना (कम मूत्र त्याग के कारण)
- रोते हुए आंसू न आना
- मुंह सुखना
- उनींदापन
इन स्थितियों में आपको तुरंत मेडिकल उपचार की आवश्यकता होती है:
- अगर डायरिया तीन या अधिक दिन तक रहे
- दस्त में खून हो
- डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखाई दें
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कारण
वायरल आंत्रशोथ एक व्यक्ति या उन सब व्यक्तियों को प्रभावित कर सकता है जिन्होंने एक जैसा दूषित खाना खाया हो या पानी पिया हो। ऐसा कीटाणुओं के कारण होता है और कीटाणु हमारे शरीर में कई तरीकों से प्रवेश कर सकते हैं। जैसे :
- सीधे भोजन और पानी के माध्यम से
- दूषित प्लेट और अन्य बर्तनों के माध्यम से
- प्रभावित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क के माध्यम से
कई ऐसे वायरस भी हैं जो वायरल आंत्रशोथ का कारण बन सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- नोरोवायरस (Norwalk-like virus) : यह वायरस स्कूल जाने वाले बच्चों में बहुत ही सामान्य है, इसके साथ ही यह अस्पतालों और जहाजों आदि में भी पाया जाता है।
- रोटावायरस : रोटावायरस बच्चों में पाया जाने वाला सामान्य वायरस है। इसके साथ ही वो वयस्क लोग भी इस वायरस का शिकार हो सकते हैं जो प्रभावित बच्चों के संपर्क में आते हैं।
- ऐस्ट्रोवायरस
- एंटरोनिक एडेनोवायरस : यह वायरस दो साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है और इसके लक्षण 5 से 12 दिनों तक रह सकते हैं।
जोखिम
वायरल आंत्रशोथ हर उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित करता है। लेकिन, कुछ लोगों को इस रोग का जोखिम होने की संभावना अधिक होती है। जैसे :
कमजोर इम्युनिटी वाले लोग
कोई भी व्यक्ति जिनके इम्युनिटी कमजोर होती है। अगर किसी को HIV/AIDS है या कीमोथेरेपी करा रहे हैं तो इनके कारण उन लोगों में इस समस्या को होने की संभावना बढ़ सकती है।
कम उम्र के बच्चे
जो बच्चे चाइल्ड केयर सेंटर या स्कूल जाते हैं। उनमे यह समस्या अधिक पाई जाती है क्योंकि छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे ही बुजुर्गों में भी इसके होने की संभावना अधिक होती है।
वायरल आंत्रशोथ
आंत्रशोथ वायरस का एक मौसम होता है जब वो सबसे अधिक एक्टिव होता है। यदि आप उत्तरी गोलार्ध में रहते हैं, तो अक्टूबर और अप्रैल के बीच आपको रोटावायरस या नोरोवायरस संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है।
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उपचार
- वायरल आंत्रशोथ की स्थिति में डॉक्टर आपसे इसके लक्षण और आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे।
- इसके किसी तरह के टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि आपके डॉक्टर आपके मल का सैंपल ले सकते हैं, ताकि वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी के बारे में जान पाएं।
- वायरल आंत्रशोथ के लिए किसी तरह के उपचार की भी आवश्यकता नहीं होती। अधिकतर मामलों में इस समस्या में अधिक पानी और तरल पदार्थों को लेने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही तब तक आराम करें जब तक आप ठीक न हो जाए। बहुत कम लेकिन गंभीर मामलों में अस्पताल में एडमिट होने इंट्रावेनस फ्लुइड्स देने की नौबत आ सकती है।
- काई मामलों में ओवर-द-काउंटर ORAL REHYDRATION SOLUTION (ORS), जैसे पेडिलाइट (Pedialyte) भी मददगार होती है। यह बच्चे के पेट के लिए अच्छे हैं, और उनमें आवश्यक तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स शामिल होते हैं। यह सलूशन लोकल दुकानों में आसानी से मिल जाते हैं और इनके लिए डॉक्टर की सलाह की भी आवश्यकता नहीं है। लेकिन, आपको सभी निर्देशों का अच्छे से पालन करना चाहिए।
- एंटीबायोटिकस का वायरस पर कोई प्रभाव नहीं होता है। लेकिन, किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह आवश्यक ले लें।
घरेलू उपाय
- अगर आपको वायरल आंत्रशोथ है तो फ्रूट जूस, सोडा या कोला आदि न पीएं। इनसे मिनरल्स कम हो जाते हैं और डायरिया और भी बदतर हो सकता है।
- हर 30 से 60 मिनट के बाद तरल पदार्थ लें। एक साथ बहुत सारा तरल न लें, क्योंकि इससे उलटी हो सकती है।
- छोटे बच्चों को अगर वायरल आंत्रशोथ है, तो भी उसे स्तनपान आवश्यक कराएं या फार्मूला मिल्क दें।
- थोड़ी देर के बाद थोड़ी मात्रा में खाना अवश्य खाएं, जैसे ब्रेड, आलू, सादा दही, केला, सेब, सब्जियां आदि।
- वायरल आंत्रशोथ होने पर दूध, कैफीन या अल्कोहल का सेवन न करें।
- भोजन के बीच में अतिरिक्त तरल पदार्थ लें।
- इस दौरान आप बीमार और कमजोर महसूस कर सकते हैं, इसलिए अधिक से अधिक आराम करें।
- बच्चों का टीकाकरण अवश्य कराएं।
- कुछ भी खाने से पहले या बाथरूम जाने के बाद हाथों को अवश्य धोएं। अगर साबुन उपलब्ध नहीं हैं तो सेनेटाइजर का प्रयोग करें।
- ऐसे लोगों से संपर्क में आने से बचें, जो पहले से ही वायरस से प्रभावित हैं। खासतौर पर, बच्चों को संक्रमित लोगों से दूर रखें।
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