साल 2018 में स्टैटिस्टा रिसर्च डिपार्टमेंट (Statista Research Department) के द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार भारतीय लोगों में डॉग और कैट को घरों में पालने का शौक है। अगर आंकड़ों की बात करें, तो 17 मिलियन लोग अपने घर में डॉग पालते हैं, तो वहीं कैट पालने वालों की संख्या 1.5 मिलियन बताई गई है। अगर इन आंकड़ों में आपभी शामिल हैं और जल्द ही आपके घर में शिशु का आगमन होने वाला है तो आपको ऐसे में कई महत्वपूर्ण बातों को समझना जरूरी है। पालतू जानवर भी घर के सदस्य की तरह होता है और घर में नय शिशु का आगमन उनके लिए भी कई बदलाव लेकर आता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में पालतू जानवर और बच्चे का आगमन (Baby’s Arrival and Pets) दोनों को कैसे बैलेंस रख सकते हैं।
पेट्स भी परिवार की सदस्य की तरह होता है। पेट्स के लिए भी परिवार में आने वाले नय सदस्य को स्वीकार मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में पालतू जानवर और बच्चे का आगमन (Baby’s Arrival and Pets) भी, दोनों ही स्थिति में पालतू जानवर और शिशु के बीच एक अच्छा रिश्ता कायम करना जरूरी होता है। ऐसा करने से पेरेंट्स भी पालतू जानवर और बच्चे को जब एकसाथ रहने देंगे तो तनाव से दूर रहेंगे। वहीं नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार शिशु के विकास (Baby’s growth) में पालतू जानवरों की भी विशेष भूमिका होती है।
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पालतू जानवर और बच्चे का आगमन: क्या करें प्लानिंग? (Tips for planning or training for pets)
अगर आपके मन में अभी भी ये चल रहा है कि पालतू जानवर और बच्चे का आगमन होने वाला है तो घर में पेट्स है तो क्या प्लानिंग करने की जरूरत है? इसका जवाब अगर कम शब्दों में कहें तो हां है। पेट्स भी बच्चे की तरह होते हैं और उन्हें भी अटेंशन चाहिए होता है। घर में आये नय सदस्य की देखभाल में कई बार पेट्स को इग्नोर कर दिया जाता है, जो ठीक नहीं होता है। इसलिए शिशु के जन्म से पहले ही अपने पेट्स को इस तरह से समझाना शुरू करें कि उसे शिशु के आने से कोई असहजता महसूस ना हो।
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पालतू जानवर और बच्चे का आगमन होने वाला है, तो किन-किन बातों का रखें ध्यान?
पालतू जानवर और बच्चे का आगमन होने वाला है, तो निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें। जैसे:
1. शिशु के जन्म से पहले (Before Babies Birth)
पालतू जानवर और बच्चे का आगमन, दोनों ही आपके लिए आवश्यक है तो शिशु के जन्म से पहले आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि कुत्ते की शिक्षा सही हो और उनपर आपका नियंत्रण हो। अगर आपके पास लम्बे वक्त से डॉग है, तो ऐसे में आप उसे पहले से जान सकते हैं और स्वभाव को भी समझ सकते हैं। अगर आपने कुछ वक्त पहले ही अपने घर में डॉग लाया है, तो उसे प्रशिक्षण दें और बच्चों के साथ उसका बर्ताव कैसा हो वह भी समझाएं।
प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलिवरी के कुछ दिनों पहले से ही अपने पेट्स को बच्चों की आवाज सुनाएं जैसे स्पीकर से बच्चों की आवाज प्ले करें। वहीं अगर घर में छोटे बच्चे आते हैं, तो अपने डॉग से उनसे दोस्ती करना सिखाएं। ऐसा करने से डॉग पहले से ही बच्चों के प्रति सेंसेटिव रहेंगे और जब आप अपने बच्चे को घर लेकर आएंगे तो उन्हें भी ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
2. शिशु के जन्म के बाद (After Babies Birth)
पालतू जानवर और बच्चे का आगमन जब घर पर होने वाला है, तो ऐसे में सबसे पहले साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें और पेट्स फूड को बेबी प्रॉडक्ट्स दोनों को अलग अपनी-अपनी जगह पर रखें। नवजात शिशु में इंफेक्शन (Infection) का खतरा ज्यादा रहता है, तो हाइजीन का ध्यान रखें।
3. शिशु से पेट्स को परिचय करवाएं (Introduction with Infant)
परिचय… दोस्तों या परिवार के सदस्यों से तो परिचय करना स्वाभाविक है, लेकिन पालतू जानवर और बच्चे का आगमन हो चूका है तो अपने बच्चे को अपने डॉग या कैट से मिलवाएं। इस दौरान यह ध्यान रखें कि डॉग या कैट शिशु को नुकसान ना पहुंचायें। इस दौरान शिशु और पालतू जानवर के बीच एक डिस्टेंस बनाकर रखें। कई बार डॉग शिशु को सूंघना चाहे तो उसे ऐसा करने दें सिर्फ आप इस दौरान निगरानी करते रहें।
4. अपने पेट्स को इग्नोर ना करें (Don’t ignore your pets)
अगर आप डॉग या कैट लवर हैं, तो घर में शिशु आने के बाद उन्हें इग्नोर ना करें। ऐसा आप शायद जानकर ना करें, लेकिन घर में बच्चे के आने की वजह से आप ज्यादा वक्त और अटेंशन शिशु को देते हैं। जबकि शिशु की देखभाल के साथ-साथ आपको कुछ वक्त अपने पेट्स को भी देना चाहिए। ऐसा करने से वे बच्चे के प्रति नेगेटिव स्वभाव नहीं रखेंगे।
5. डॉग या कैट की जगह घर में एक जगह तय रखें (Place for pets)
पालतू जानवर और बच्चे का आगमन (Baby’s Arrival and Pets) हो चूका है, तो अपने पेट्स के लिए एक जगह तय कर दें। दरअसल अगर आप अपने पालतू जानवर को घर में हर जगह घूमने देंगे तो बच्चे के पास ज्यादा रह सकता है। जबकि पेट्स को हमेशा ऐसे ट्रेन करें कि वह आपके शिशु से कुछ दूरी पर रहना सीखे।
इन ऊपर बताये 5 बातों का ध्यान विशेष रखें और घर में पालतू जानवर और बच्चे का आगमन, यानी दोनों ही आपके उत्साह को बढ़ाने में सहायक होगा।
नोट: पालतू जानवर और बच्चे का आगमन (Baby’s Arrival and Pets) हो चूका है, तो पेरेंट्स की सबसे पहली प्राथमिक शिशु की देखभाल को दें। अगर इस दौरान आपको लगता है कि दोनों को संभालने में परेशानी हो सकती है, तो कुछ वक्त के लिए कुत्ते को किसी और पेट लवर के पास भेज दें। क्योंकि आपकी छोटी से लापरवाही शिशु के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
पालतू जानवर और शिशु का आगमन: ये बातें हैं बेहद काम के।
पालतू जानवर और शिशु का आगमन आपके घर पर हो चूका है, तो निम्नलिखित बातों का रखें ध्यान। जैसे:
- हाथ धोते रहें और शिशु को गोद में लेने से पहले हाथ सैनेटाइज करना ना भूलें।
- पालतू जानवरों को कच्चा मीट ना दें, क्योंकि उसमें पैरासाइट होने की संभावना ज्यादा होती है।
- पालतू जानवरों (Pets) के मल-मूत्र से दूर रहें।
- बिल्लियों के लिए उपयोग होने वाले सैंडबॉक्स को हमेशा ढंककर रखें।
- सैंडबॉक्स को साफ करते समय हमेशा डिस्पोजेबल दस्ताने (Disposable gloves) पहनें।
- सैंडबॉक्स को प्रतिदिन साफ करें।
- नियमित रूप से पालतू जानवरों की जांच करवाएं और वैक्सिनेशन (Vaccination) के लिए जानवरों के डॉक्टर से संपर्क करें।
पालतू जानवर और बच्चे का आगमन (Baby’s Arrival and Pets), दोनों को अच्छा और खुशनुमा बनाये रखने के लिए ऊपर बताये 7 बातों का ध्यान रखें।
हम उम्मीद करते हैं कि पालतू जानवर और शिशु की देखभाल (Baby care) पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आपके घर में पालतू जानवर और नवजात शिशु एकसाथ रहते हैं, तो आपको ऊपर बताई बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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