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बच्चों के लिए रेबिपुर वैक्सीन क्यों जरूरी है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/11/2021

    बच्चों के लिए रेबिपुर वैक्सीन क्यों जरूरी है?

    रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) रेबीज (Rabies) की रोकथाम कर सकती है। रेबीज मुख्य रूप से जानवरों की बीमारी है। इंसानों को रेबीज किसी संक्रमित जानवर के काटने या खरोंचने से होता है। चमगादड़, लोमड़ी, कुत्ते आदि रेबीज का कारण बनते हैं। जानवर के सलाइवा (Saliva) में वायरस पाया जाता है। जो उनके काटने या खरोंचने से मनुष्य में ट्रांसफर हो जाता है। इस स्थिति में रेबिपुर वैक्सीन मददगार होती है। संक्रमित जानवर के काटने के बाद वैक्सीन दी जाती है। यह उन लोगों को भी दी जाती है जिनको रेबीज का रिस्क होता है जैसे कि वेटेनरी में काम करने वाले लोग। अगर जानवर के काटने के तुरंत बाद उचित प्रकार से दी जाए तो यह 100 प्रतिशत इफेक्टिव होती है। इस आर्टिकल में रेबीज और रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) के बारे में जानकारी दी जा रही है।

    बच्चों में रेबीज (Rabies in children)

    भारत में रेबीज के मामलो में 97 प्रतिशत कुत्ते के काटने के कारण सामने आते हैं। जिनमें लगभग 60 प्रतिशत अजनबी कुत्तों के कारण और लगभग 40 प्रतिशत पालतू कुत्तों के काटने की वजह से होते हैं। बिल्लियां और बंदर भी इस वायरस के कैरियर होते हैं। बच्चों में रेबीज के लक्षण फ्लू की तरह दिखाई देते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    ये लक्षण किसी जानवर के काटने के एक हफ्ते से लेकर एक साल के बीच दिखाई दे सकते हैं। जैसे ही यह वायरस नर्वस सिस्टम में फैलता है ब्रेन और स्पाइनल कोर्ड में घातक सूजन विकसित हो सकती है। अगर बच्चे को ऐसे किसी जानवर ने काटा है जो रेबीज का कारण बन सकता है तो लक्षण दिखने का इंतजार ना करते हुए तुरंत बच्चे को रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) लगवाएं।

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    बच्चों के लिए रेबिपुर वैक्सीन क्यों दी जानी चाहिए? (Why is Rabipur Vaccine Important for Children?)

    बता दें कि इंडियन एकेडमी ऑफ पिडियाट्रिक्स सभी बच्चों के लिए प्रिवेंटिव रेबीज वैक्सीन रिकमंड करता है। जिसमें इन बच्चों के घर में पालतू कुत्ते हैं के साथ ही वे बच्चे भी शामिल हैं जिनको डॉग बाइटिंग का रिस्क है। रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) उन बच्चों के लिए भी रिकमंड की गई है जिन्हें क्रोनिक हेल्थ कंडिशन्स जैसे कि हार्ट, लंग या इम्यून सिस्टम से जुड़ी किसी कंडिशन के चलते कॉम्प्लिकेशन का रिस्क हाय है।

    बच्चों को यह वैक्सीन इसलिए देना भी जरूरी है क्योंकि वयस्कों की तुलना में बच्चों में रेबीज होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि वे जानवरों को थपथपाने और उनके साथ खेलने की अधिक संभावना रखते हैं।

    यह वैक्सीन एंटीबॉडीज का निमार्ण करके इम्यूनिटी डेवलप करने में मदद करती है जो वायरस के कारण होने वाले इंफेक्शन से प्रोटेक्शन प्रदान करते हैं। इसके साथ ही अगर इसे एक्सपोजर के बाद दिया जाता है तो यह बीमारी को होने से रोकने में भी मदद करती है। इस वैक्सीन को हमेशा डॉक्टर की मदद से ही लेना चाहिए।

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    बच्चों को रेबिपुर वैक्सीन कैसे दी जाती है? (How is the Rabipur vaccine given to children?)

    बच्चों और बड़ों दोनों को रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) देने का तरीका एक जैसा ही है। यह वैक्सीन डॉक्टर या नर्स के द्वारा इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। यह जितनी जल्दी हो सके काटने के घावों को पूरी तरह धोने के बाद दी जाती है। एक्सपोजर के बाद जितनी जल्दी इलाज किया जाए उतना अच्छा है। एक्सपोजर के बाद एंटी-रेबीज टीकाकरण में हमेशा इम्युनोग्लोबुलिन (Immunoglobulin) और वैक्सीन (Vaccine) दोनों का एडमिनिस्ट्रेशन शामिल होना चाहिए।

    उन व्यक्तियों को छोड़कर जिन्होंने पहले ही पूर्ण टीकाकरण प्राप्त किया हुआ है। इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन का कोर्स पूरा करना बेहद जरूरी है। जो निम्न प्रकार से दिया जाता है।

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    रेबीज वैक्सीन की डोज: (Rabipur vaccine dosage)

    • अगर आपको जानवर के काटे जाने का रिस्क है तो वैक्सीन तीन इंजेक्शन के कोर्स में दी जाती है। जिसमें 0, 7 और 28वां दिन शामिल है। यह कोर्स पूरा करने पर एक साल के बाद एक बूस्टर डोज booster dose की जरूरत होती है।
    • अगर आपने पहले से रेबीज वैक्सीन ली है और किसी जानवर ने काट दिया जिसको रेबीज होने की संभावना है तो दो वैक्सीन के डोज की जरूरत होती है। पहला डोज काटे जाने वाले दिन और दूसरा डोज तीन दिन के बाद दिया जाता है।
    • अगर आपने पहले रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) नहीं ली है और रेबीज की संभावना वाले जानवर ने काट लिया है तो पहला डोज बाइट के बाद जितनी जल्दी हो सके दिया जाता है और इसके बाद 4 अन्य डोज 3, 7, 14 और 30 दिन पर दिए जाते हैं।

    वैक्सीन का डोज व्यक्ति की हेल्थ कंडिशन, दवाई देने के तरीके, मरीज की आयु, मरीज का चिकित्सा इतिहास और अन्य कारकों के आधार पर रेबिपुर वैक्सीन की खुराक अलग हो सकती है। इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना सही होगा। इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर रेबिपुर वैक्सीन नहीं लें।

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    बच्चों को रेबिपुर वैक्सीन से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं? (Side effects of Rabipur vaccine)

    इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के लिए मेडिकल अटेंशन की जरूरत नहीं होती है। बॉडी के वैक्सीन की प्रति एडजस्ट होने पर साइड इफेक्ट्स अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर बच्चों में ये लंबे समय तक बने रहते हैं तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) के कॉमन साइड्स इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।

    बच्चों को रेबीज से बचाने के लिए क्या करें? (What can be done to protect children from rabies?)

    रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine)

    रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) रेबीज से सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन कुछ टिप्स हम यहां आपको बता रहे हैं जिन्हें फॉलो करके आप अपने बच्चों कुत्ते के काटने से होने वाली इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं। अपने बच्चे को सभी आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों से दूर रहने के महत्व के बारे में सिखाएं। बिल्लियां कभी-कभी खतरनाक भी हो सकती हैं। इस बारे में उन्हें जरूर बताएं क्योंकि बिल्ली काटती नहीं ऐसा सोचकर वे उनके पास ज्यादा जाते हैं। उन्हें दूसरों के पालतू जानवरों से भी दूर रहना सिखाएं जिनसे आप और बच्चे परिचित नहीं है। अपने बच्चे को पालतू जानवरों या आवारा कुत्तों को खाने-पीने का सामान देने की अनुमति न दें। भले ही वह पड़ोस का कुत्ता हो। कभी भी किसी जानवर को छेड़ें या उसका पीछा न करने के लिए कहें या उसके कान, पूंछ या पंजे न खींचे, भले ही आप जानवर को जानते हों।

    अन्य टिप्स:

    • छोटे बच्चों को आवारा कुत्तों के बच्चे बहुत आकर्षित करते हैं। उन्हें इनसे दूर रखने की कोशिश करें क्योंकि खतरे को भांपने पर पपी की मां हमला कर सकती है।
    • जब आप बच्चों के साथ सार्वजनिक क्षेत्रों जैसे बाजार, सड़क किनारे भोजनालयों, पर्यटन स्थलों, पार्कों, बस स्टॉप या रेलवे स्टेशनों में हों तो सावधान रहें। इन जगहों पर अक्सर आवारा जानवर भोजन की तलाश में इधर-उधर दुबके रहते हैं।
    • बच्चों को सिखाएं कि भोजन करते समय किसी जानवर को परेशान न करें। जब कोई अजीब जानवर पास में हो तो खाना न खाएं और न ही ले जाएं।
    • यदि आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जो बंदरों से प्रभावित है, तो सुनिश्चित करें कि अपने नन्हे-मुन्नों को बिना देखरेख के थोड़ी देर के लिए भी बाहर न जाने दें। बच्चों को बंदरों की उपस्थिति में भोजन ले जाने या खाने से बचना चाहिए।
    • अगर आप बच्चे के साथ हैं और कोई जानवर गुर्रा रहा है या पास आने पर गुर्राना शुरू कर देता है तो हमेशा दूर चले जाएं। कभी भागे नहीं। कुत्ते से आय कॉन्टैक्ट ना बनाएं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको रेबिपुर वैक्सीन (Rabipur vaccine) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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