आपको रूटीन मॉनिटरिंग करनी चाहिए। आपको प्रत्येक महीने और आखिरी महीनों में प्रत्येक 15 दिन बाद डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। डॉक्टर समय-समय पर आपके वेट की जानकारी, बीपी चेकअप, यूट्रस के साइज आदि की जांच करते हैं और साथ ही बेबी के हार्टबीट की भी जांच की जाती है। इस दौरान आपको सेकेंड ट्राइमेस्टर अल्ट्रासाउंड भी शेड्यूल करना चाहिए। डॉक्टर 20 सप्ताह के दौरान अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं। अल्ट्रासाउंड प्रेग्नेंसी के 9वें से 22 सप्ताह के बीच होता है। इस दौरान डॉक्टर बच्चे के शरीर में हो रहे विकास के बारे में जानकारी लेते हैं और साथ ही उसके अंगों के विकास भी जांच करते हैं। बच्चे का लिंग क्या है, किसी प्रकार की समसया तो नहीं है आदि जानकारी भी मिलती है। एक बात का ध्यान रखें कि सभी देशों में(जैसे कि भारत) लिंग की जानकारी नहीं दी जाती है। डॉक्टर आपको 3डी या फिर 4डी अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दे सकते हैं। आपको अगर कोई परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड: ग्लूकोज की जांच भी है जरूरी
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (ACOG) ने रिकमेंड करता है कि गर्भावस्था के 24 से सप्ताह से 28वें सप्ताह के आसपास सभी महिलाओं को ग्लूकोज की जांच करानी चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ये डायबिटीज आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान होती है और फिर डिलिवरी के बाद ठीक भी हो जाती है। अगर टेस्ट के दौरान आपका रिजल्ट पॉजिटिव आता है या फिर जेस्टेशनल डायबिटीज की परेशानी हो जाती है, तो आपको डॉक्टर द्वारा बताई गई डायट लेने के साथ ही जरूरी दवाओं का सेवन करना चाहिए। ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है ताकि होने वाले बच्चे को किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े। यह परमानेंट डायबिटीज नहीं है। यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन आपको अपने खान-पान के साथ ही अन्य बातों का भी ध्यान रखने की जरूरत पड़ेगी।
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सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड: करवट लेकर सोना है सही
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं को सोने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा बढ़ें हुए यूट्रस के कारण होता है। जबकि दूसरी तिमाही में कम समस्या का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर आपको एक साइड में लेटने की सलाह देते हैं। बेहतर होगा कि ऐसे समय में आप पीठ के बल बिल्कुल भी ना लेटे। आप किसी भी साइड लेफ्ट या राइट साइड का चुनाव कर सकते हैं। यूट्रस वेना कावा (वेंस) पर प्रेशर डालता है, जिसके कारण सर्कुलेशन में दिक्कत होती है। अगर आप करवट लेकर लेटते हैं, तो यह प्रेशर कम हो जाता है। अगर फिर भी आपको इस संबंध में डॉक्टर से कोई जानकारी लेनी हो, तो आप ले सकते हैं। बेहतर नींद के लिए आप प्रेग्नेंसी पिलो का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपके पेट को सपोर्ट करने के साथ-साथ पीठ और पैरों को भी आराम महसूस कराती है।
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान आपको जरूरी टीके लगवाने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर से आप इस बारे में जानकारी लें और समय पर टीके जरूर लगवाएं। इसके साथ ही आप दूसरी तिमाही के दौरान चाइल्डबर्थ क्लासेज भी अटेंड कर सकती हैं। इस दौरान आपको शरीर में हो रहे बदलावों के साथ ही डिलिवरी के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में भी जानकारी दी जाती है। अगर फिर भी आपको कोई समस्या है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
इस आर्टिकल में हमने आपको सेकेंड ट्राइमेस्टर गाइड (Second Trimester Guide) के बारे में अहम जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको प्रेग्नेंसी के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हैलो हेल्थ की वेबसाइट में आपको अधिक जानकारी मिल जाएगी।