प्रेग्नेंसी उत्साह से भरा होने के साथ ही होने वाली मां के लिए स्लो टाइम होता है। शिशु के आने के पहले ही उसके लिए ढेरों तैयारियां की जाती हैं। उसके कपड़े, खिलौने, झूले आदि का इंतजाम पहले ही कर लिया जाता है। शिशु को लेकर होने वाले पेरेंट्स के मन में यह जानने की इच्छा भी होती कि उनका होने वाला बेबी बॉय है या गर्ल? बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) को लेकर कई सुपरस्टिशंस के बारे में भी आपने सुना होगा। यही नहीं, इसको लेकर लोग कई तरीकों को भी अपनाते हैं। ऐसे ही एक अनप्रूव्ड मेथड को नब थ्योरी (Nub theory) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं क्या है नब थ्योरी (Nub theory)? लेकिन, इससे पहले यह भी याद रखें कि यह केवल एक अनुमान है। जन्म से पहले बेबी जेंडर के बारे में जानना हमारे देश में पूरी तरह से गैर-कानूनी है।
नब थ्योरी (Nub theory) किसे कहा जाता है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह एक अनप्रूव्ड जेंडर प्रेडिक्शन मेथड है, जिसमें ऐसा माना जाता है कि 12 वीक प्रेग्नेंसी स्कैन से शिशु के जेंडर को जाना जा सकता है। यह मेथड नब (Nub) यानी जेनिटल ट्यूबरकल (Genital tubercle) पर निर्भर है, जो शिशु के लोअर एब्डॉमेन में बनते हैं। ट्यूबरकल (Tubercle) या ट्यूब मेल बेबी में पीनस या फीमेल बेबी में एक क्लाइटोरिस (Clitoris) के रूप में विकसित होती है। नब थ्योरी (Nub theory) यह बताती है कि जब नब किसी खास एंगल में होता है, तो इससे शिशु का जेंडर को प्रेडिक्ट किया जा सकता है।
इस एंगल को “एंगल ऑफ डेंगल (Angle of the dangle)” कहा जाता है। यानी, अगर नब 30 डिग्री एंगल पर पॉइंट होता है, तो बॉय होने की संभावना अधिक होती है। अगर यह ऑलमोस्ट फ्लैट होता है तो गर्ल के चांसेस हो सकते हैं। नब को अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) में साफतौर पर देखा जा सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से। अब जानिए कि नब थ्योरी (Nub theory) का इस्तेमाल कब किया जाता है?
नब थ्योरी (Nub theory) का इस्तेमाल कब किया जाता है?
जो लोग नब थ्योरी (Nub theory) का उपयोग करते हैं, उनका मानना है कि इसे गर्भावस्था के 12 सप्ताह की शुरुआत में ही आजमाया जा सकता। यह नॉन-इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (Noninvasive prenatal testing) की तुलना में बाद में किया जाता है, जिससे बच्चे के सेक्स और अन्य जानकारी का 9 सप्ताह की शुरुआत में ही पता लगा सकता है। लेकिन, हर प्रेग्नेंट मॉम्स इस जेनेटिक टेस्ट को नहीं कर सकती है, ऐसे में उन्हें नब थ्योरी (Nub theory) का इस्तेमाल करना अधिक आसान और अच्छा लग सकता है। अन्यथा, आपको इसके लिए आमतौर पर सेकंड ट्रायमेस्टर के अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) के लिए लगभग प्रेग्नेंसी के 20-वीक तक इन्तजार करना पड़ेगा। क्योंकि, इस समय तक शिशु के प्रजनन अंग पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं।
कई देशों में पेरेंट्स अपने शिशु का लिंग अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) के माध्यम से शिशु के जन्म से पहले जान सकते हैं। लेकिन, इस बात का खास ख्याल रखें कि हमारे देश में शिशु के जन्म से पहले शिशु के लिंग के बारे में जानना पूरी तरह से गैर-कानूनी है। यह आर्टिकल केवल जानकारी के लिए है। अब जानते हैं नब थ्योरी (Nub theory) के परिणामों के बारे में।
बॉयज के लिए नब थ्योरी (Nub theory for boys)
जेंडर प्रीडिक्शन के लिए नब थ्योरी (Nub theory) का इस्तेमाल करके इस बात के बारे में जानकारी मिल सकती है कि गर्भवती महिला के गर्भ में लड़का है या लड़की। इसके लिए तकनीकी रूप से शिशु की रीढ़ के रिलेटिव “नब” के एंगल को मापने की आवश्यकता होगी। अगर साइड पर शिशु को देखने पर यह एंगल तीस डिग्री या इससे अधिक हो तो ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिला के गर्भ में बॉय है। अगर आप सही एंगल को लेकर श्योर नहीं हैं, तो आप अनुमान से भी इस बारे में प्रिडिक्ट कर सकते हैं। अब जानिए गर्ल्स के लिए नब थ्योरी (Nub theory)।
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गर्ल्स के लिए नब थ्योरी (Nub theory for girls)
नब थ्योरी (Nub theory) के अनुसार यदि आप अपने शिशु की स्पाइन की तुलना में ट्यूबरकल (Tubercle) के एंगल को ठीक से मापते हैं, तो 10 डिग्री या उससे कम एंगल के होने को माना जाता है कि गर्भवती महिला के गर्भ में गर्ल है। हालांकि फिर से, यह फुलप्रूफ से बहुत दूर है। यह केवल एक अनुमान है। अगर आप अल्ट्रासाउंड इमेज पर नब को देखते हैं, तो इस बात पर ध्यान दें कि यह डाउनवार्ड पॉइंट कर रहा है या स्पाइन के पैरेलल है। अब जानते हैं कि अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) की टाइमिंग के बारे में।
अल्ट्रासाउंड की टाइमिंग (Timing of ultrasound)
अगर नब थ्योरी (Nub theory) की मानें तो बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) को 12 हफ्ते के अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) में किया जा सकता है। यह सच है कि गर्भावस्था के आठवें और नौवें हफ्ते के बीच जेनिटल ट्यूबरकल (Genital Tubercle) शेप में आना शुरू कर हो जाते हैं। हालांकि, लगभग 14 सप्ताह तक यह दोनों लिंगों में काफी हद तक समान दिखता है। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से बात अवश्य करें।
यह तो थी जानकारी नब थ्योरी (Nub theory) के बारे में। याद रखें, यह एक गर्भावस्था में बारह हफ्ते के अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) के बाद शिशु के सेक्स का अनुमान लगाने के लिए एक फन वे है। इस पर विश्वास न करें। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि बेबी बर्थ से पहले शिशु के लिंग के बारे में पता लगाना हमारे देश में पूरी तरह से बैन है। क्या आप जानते हैं कि बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) के लिए लोग कुछ अन्य टेस्ट्स भी करते हैं? आइए जानें इनके बारे में।
बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) के अन्य टेस्ट
बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) के लिए कुछ अन्य टेस्ट्स हैं, जो काफी प्रचलित हैं। लेकिन, यह केवल एक अनुमान है। इन पर कभी भी विश्वास करने की गलती न करें। जानिए इनके बारे में:
रिंग जेंडर प्रीडिक्शन टेस्ट (Ring gender prediction test): इस टेस्ट के लिए एक रिंग यानी अंगूठी को धागे के साथ बांध दिया जाता है। इसके बाद इसे गर्भवती महिला के पेट पर इस रिंग को लटकाया जाता है। अगर यह रिंग सर्कुलर मोशन (Circular motion) में स्विंग करती है, तो ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिला के गर्भ में गर्ल है और अगर यह पेंडुलम कि तरह घूमती ,है तो इसे बॉय होने का संकेत माना जाता है।
चायनीज बर्थ कैलेंडर (Chinese birth calendar): इसे भी बेबी जेंडर प्रीडिक्शन (Baby gender prediction) का एक तरीका माना जाता है, जो पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें प्रेग्नेंट महिला की एज और कंसीवड मंथ के मुताबिक शिशु के जेंडर को प्रिडिक्ट किया जाता है।
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उम्मीद है कि नब थ्योरी (Nub theory) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यह केवल अनुमान है इसलिए इन सुपरस्टिशंस पर विश्वास न करने की सलाह दी जाती है। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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