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किन लोगों काे सलाह दी जाती है:
गर्भपात होने के कारण (Due to miscarriage)
अगर किसी महिला को बार बार गर्भपात हो रहा है, तो उस स्थिति में डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इससे उन कारणों के बारे में पता लगाया जाता है, जिससे बार-बार उनके होने के कारणों का पता लगाया जाता है, जैसे कि ही आनुवंशिक विकार के शिकार तो नहीं ,किसी प्रकार की कोइ गांठ होना, ग्रीवा की कोई समस्या होना या बच्चेदानी का कमजोर होना आदि।
प्रीमैच्योर प्रेग्नेंसी (Premature Labor)
अगर किसी महिला को समय से पहले पेन शुरू हो गया है, तो उस केस में गर्भावस्था के दौरान टीवीएस द्वारा सर्विस की लंबाई को मापा जाता है। सर्वाइकल की लेंथ के आधार पर महिला के बच्चेदानी के नीचे के रास्ते को जरूरत पड़ने पर टांका लगाया जाता है। मां और शिशु की सुरक्षा को देखते हुए।
गर्भावस्था के फस्ट स्टेज में (Pregnancy First Stage)
प्रेग्नेंसी क दौरान मुख्य रूप से ट्रांसएब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है। ट्रांसवजायनल अल्ट्रासाउंड की जरूरत विशेष रूप से प्रेगनेंसी के फस्ट ट्रीमेस्टर में होती है। पहले के 10-12 हफ्तों तक बच्चेदानी के पेट के निचले हिस्से में होती है। ऐसे में यह टेस्ट थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए इस जांच द्वारा गर्भाशय के शुरुआत में भ्रूण के विकास को देखने के लिए ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।
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ट्रांसवजायनल अल्ट्रासाउंड करवाने के जोखिम (Risk Factor of transvaginal ultrasound)
ट्रांसवजायनल अल्ट्रासाउंड करवाने के कोई जोखिम नहीं है। डॉक्टर द्वारा यह सुरक्षित तरीके से होता है। आपको हल्का सा दर्द महसूस हो सकता है। ट्रांसवजायनल स्कैन के दौरान डॉक्टर पेल्विक संरचना और भ्रूण के विकास को जांचने के लिए इस टेस्ट को करवा हैं।
इसके अलावा, अधिक जानकारी के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इनके अलावा अन्य कई प्रॉब्लम के लिए भी इस जांच की आवश्यकता हो सकती है।