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जन्म के समय वजन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य संकेत भविष्य के जीवन में महत्वपूर्ण परिणाम के कारण बन सकते हैं, जिसमें बचपन (Childhood), किशोरावस्था (Adolescence) और वयस्क स्वास्थ्य (Adult health) शामिल हैं। बहुत लंबे समय से शोधकर्ता मां के गर्भ में शिशुओं के स्वास्थ्य और विकास पर जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष संबंध और प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहे हैं। वे गर्भाशय में जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रभावों, जन्म के समय स्वास्थ्य को प्रभावित करने और लंबे समय में इसके प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। इसलिए क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Climate Change and Pregnancy Planning) को लेकर आपको कुछ बातों के बारे में जानना जरूरी है।
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कैसे पड़ता है जलवायु परिवर्तन का गर्भाशय पर प्रभाव?
जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जलवायु परिवर्तन की बात की जाए, तो इस मामले में गर्भवती महिलाएं अधिक संवेदनशील होती हैं। क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Climate Change and Pregnancy Planning) में वे किस तरह भोजन की आदतों का पालन करती हैं, समय पर भोजन उपलब्धता होता है या नहीं और भोजन हेल्दी है या नहीं – ये सभी पहलू गर्भावस्था में बहुत मायने रखते हैं। हम सभी जानते हैं कि गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे के विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार (Nutritious food) की आवश्यकता होती है। यदि वे अपनी गर्भावस्था में उचित आहार नहीं लेतीं, तो प्रीटर्म डिलीवरी और बच्चे के जन्म के समय कम वजन होने की संभावना हो सकती है। इन शिशुओं में हाय मॉर्बिडिटी और मॉर्टालिटी (High Morbidity and Mortality) देखी जाती हैं।