बेबी डिलिवरी के प्रोसेस को आसान और हेल्दी बनाये रखने के लिए लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing technique) बेहद प्रभावी मानी जाती है। हालांकि गर्भवती महिला की सेहत को ध्यान में रखकर लमाज ब्रीदिंग के दौरान कुछ बदलाव भी किये जा सकते हैं। जैसे:
और पढ़ें : नॉर्मल डिलिवरी में कितना जोखिम है? जानिए नैचुरल बर्थ के बारे में क्या कहना है महिलाओं का?
लमाज ब्रीदिंग: लेबर के दौरान क्या करें?

लमाज ब्रीदिंग तकनीक लेबर के अलग-अलग स्टेज में अलग-अलग तरह से करने की सलाह दी जाती है। इसलिए-
लेबर के फस्ट स्टेज के दौरान (During the first stage of labor)
स्टेप 1: धीरे-धीरे सांस लें और अपने फिजिकल टेंशन को सिर से नीचे की ओर ले जाएं।
स्टेप 2: नाक से धीरे-धीरे सांस लें और कुछ सेकेंड के लिए सांस को होल्ड करें और मुंह से सांस छोड़ें।
स्टेप 3: सांस छोड़े के दौरान शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करें।
यह 3 स्टेप लेबर के फस्ट स्टेज के दौरान फॉलो करें।
एक्टिव लेबर के दौरान (During active labor)
स्टेप 1: स्टेप रिलैक्स करते हुए सांस लें।
स्टेप 2: नाक से सांस लें और मुंह से छोड़ें।
स्टेप 3: कोशिश करें सांस धीरे-धीरे लें।
स्टेप 4: लेबर के दौरान कॉन्ट्रेक्शन बढ़ने पर ब्रीदिंग स्पीड थोड़ी बढ़ाई जा सकती है।
स्टेप 5: कंधे को रिलैक्स रखें।
नोट: एक्टिव लेबर के दौरान कॉन्ट्रेक्शन के अनुसार डॉक्टर गर्भवती महिला को फास्ट या स्लो ब्रीदिंग तकनीक (Slow or fast Breathing technique) अपनाने की सलाह दे सकते हैं। शिशु के जन्म के दौरान लमाज ब्रीदिंग तकनीक हॉस्पिटल में डॉक्टर की निगरानी में करें। क्योंकि लमाज ब्रीदिंग तकनीक के फायदे और नुकसान भी होते हैं।
लमाज ब्रीदिंग के फायदे क्या हैं? (Benefits of Lamaze breathing)