गर्भनाल (Umbilical cord) गर्भावस्था के दौरान शिशु और महिला को जोड़े रखती है। गर्भनाल में तीन रक्त वाहिकाएं होती हैं। इनमें से एक शिशु तक भोजन और ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करती है। वहीं दो वाहिकाएं अपशिष्ट को मां के पास लेकर आती हैं। प्रेग्नेंसी के चार हफ्तों से गर्भनाल बनना शुरू हो जाता है, जिसकी लंबाई 23.6 इंच के करीब होती है। लेकिन डिलिवरी के दौरान गर्भनाल से जुड़े खतरे भी उत्पन्न हो जाते हैं जो शिशु और मां के लिए मुसीबत बन सकते हैं। आइए जानते हैं गर्भनाल से जुड़े खतरे के बारे में।
क्या हैं गर्भनाल से जुड़े खतरे?
कई मामलों में गर्भनाल ज्यादा बड़ी या ज्यादा छोटी हो सकती है। कई बार यह प्लेसेंटा से ठीक से जुड़ी नहीं होती है। कुछ मामलों में यह सिकुड़ी हुई या इसमें गांठें लगी होती हैं। इस स्थिति में डिलिवरी के वक्त मां और शिशु दोनों के लिए खतरा हो सकता है। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के जरिए गर्भनाल से जुड़े खतरे का पता लगा सकते हैं। जुड़वा बच्चों के मामलों में भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। जर्नल ऑफ ओबस्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, गर्भनाल (Umbilical cord) बढ़ने से मां और शिशु दोनों के लिए समस्याएं बढ़ने की संभावना रहती है।
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गर्भनाल से जुड़े खतरे : अंबिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स क्या होता है? (What is umbilical cord prolapse?)
गर्भनाल से जुड़े खतरे में अंबिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स का नाम सबसे पहले आता है। यह तब होता है, जब अंबिलिकल कॉर्ड प्रसव के दौरान वजायना में फिसल जाती है। लेकिन ऐसा लगभग 300 में से एक मामले में होता है। इस स्थिति में बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। साथ ही शिशु के चोटिल होने की संभावना रहती ह।
अंबिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स के कारण निम्न जोखिम हो सकते हैं:
- आपका बेबी समय से पहले हो सकता है। यानी कि 37 वे सप्ताह से पहले बेबी का होना। इन बच्चों में समय पर होने वाले बच्चों की तुलना में अधिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- शिशु का बर्थवेट कम होना।
- आपका बच्चा ब्रीच स्थिति में है। इसका मतलब बच्चा लेबर और जन्म के लिए सिर को नीचे नहीं कर रहा है।
- अंबिलिकल कॉर्ड लंबी हो सकती है
- गर्भ में अधिक एमनियोटिक द्रव है। इस स्थिति को पॉलीहाइड्रमनिओस कहा जाता है।
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अंबिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स होने पर डॉक्टरी मदद जरूरी
ज्यादातर मामलों में अंबिलिकल कॉर्ड प्रोलैप्स किसी तरह की परेशानी नहीं पैदा करती है। लेकिन अगर बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो इससे स्टिलबर्थ हो सकता है। स्टिलबर्थ तब होता है जब गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु हो जाती है। यदि आपका पानी ब्रेक हो जाए या आपको वजायना में कुछ महसूस हो तो बिना देरी करे हॉस्पीटल जाएं। डॉक्टर बेबी का हर्ट रेट देख और पेल्विक टेस्ट कर कॉर्ड प्रोलैप्स को देखेंगे। यदि कोर्ड दब गई है तो आपकी सिजेरियन डिलिवरी करने की आवश्यकता हो सकती है।
गर्भनाल से जुड़े खतरे : (Umbilical cord danger)
शिशु को ऑक्सीजन का खतरा (It can cut off your baby’s oxygen)
गर्भनाल से जुड़े खतरे में दूसरा सबसे बड़ा खतरा है गर्भनाल (Umbilical cord) का आकार अत्यधिक बड़ा होना। इसकी वजह से कॉन्ट्रैक्शन के वक्त यह शिशु के गले में उलझ जाती है। इस स्थिति में बच्चे को ऑक्सिजन और रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिसके चलते बच्चे की हार्ट रेट कम हो जाती है।
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गर्भ में शिशु की मृत्यु की संभावना (Chances of infant death in the womb)
दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर स्थित सपरा क्लीनिक की सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर एस के सपरा बताती हैं कि, ‘गर्भनाल (Umbilical cord) बड़ी होने की स्थिति में यह शिशु के गले में एक से अधिक बार लिपट जाती है, जिससे बच्चे को खतरा रहता है।’ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल ओबस्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी में उल्लेखित नतीजों में सुझाव दिया गया है कि गर्भनाल से जुड़े खतराों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। शोध में सुझाव दिया कि डिलिवरी के वक्त गर्भनाल से जुड़े खतरे की पुष्टि होने पर शिशु की हार्ट रेट की मॉनिटरिंग की जाना चाहिए। यह भी सुझाव दिया गया है कि किसी भी तरह की समस्या सामने आने पर सिजेरियन डिलिवरी की जाए।
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गर्भनाल में गांठ (knot in the umbilical cord)
प्रेग्नेंसी के दौरान जब बच्चा गर्भ में हलचल करता है तब गर्भनाल या अंबिलिकल कॉर्ड (Umbilical cord) में गांठें पड़ सकती हैं। ज्यादातर गांठें गर्भनाल (Umbilical cord) के लंबा होने की वजह से पड़ती हैं। विशेषकर जुड़वा बच्चों में यह मामले ज्यादा सामने आते हैं, जिनमें एक ही एमिनिओटिक सेक (पानी के बैग के नाम से भी जाना जाता है) है। ऐसे में जुड़वा बच्चों के इसमें फंसने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। यह बैग गर्भाशय के अंदर होता है, जो एमिनिओटिक फ्लूड से भरा होता है। हालांकि, इस प्रकार के मामले 100 में से एक प्रेग्नेंसी में सामने आते हैं। यदि इन गांठों पर तेज खिंचाव आता है, तो बच्चों तक पहुंचने वाली ऑक्सिजन रुक सकती है। इससे मिसकैरिज या गर्भ में मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भनाल में सिस्ट (Umbilical cord cysts)
गर्भनाल या अंबिलिकल कॉर्ड (Umbilical cord) में सिस्ट से तात्पर्य है गर्भनाल (Umbilical cord) में तरल पदार्थ के थैली का होना। ऐसा होना सामान्य नहीं है। 100 में से एक से कम प्रेग्नेंसी में ऐसा होता है। आपके चिकित्सक को अल्ट्रासाउंड के दौरान इसके बारे में मालूम हो सकता है। कई मामलों में यह पहली तिमाही तो कुछ मामलों में इसका पता दूसरी तिमाही में चलता है। पहली तिमाही में पाए गए अधिकांश सिस्ट बच्चे को चोट नहीं पहुंचाते हैं।
ध्यान दें
गर्भनाल से जुड़े खतरे जानने के लिए अल्ट्रासाउंड के माध्यम से आपका डॉक्टर इस स्थिति के बारे में पता लगा सकता है। कुछ मामलों में सिजेरियन डिलिवरी करने की जरूरत हो सकती है, जिससे बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। प्रेग्नेंसी के दौरान एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है। साथ ही रेगुलर चेकअप भी करवाना आवश्यक होता है।
हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में गर्भनाल (Umbilical cord) से जुड़े जोखिमों के बारे में जानकारी दी गई है। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है तो अप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों का उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे।
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