शिशु के जन्म के बाद से आपकी मातृत्व अवकाश (मातृत्व अवकाश) की शुरुआत हो जाती है। इसके बाद आप आराम से घर बैठ कर अपनी और अपने शिशु की सेहत का ध्यान रख सकती हैं। यदि प्रसव के दौरान किसी प्रकार की जटिलताएं न आई हों तो डिलीवरी के एक-दो दिन बाद ही आप घर जा सकती हैं। अस्पताल में चीजें अलग महसूस होती हैं। ऐसे में आपका सारा ध्यान नवजात शिशु, अपने शरीर में हो रहे बदलावों और शायद से अपने पार्टनर पर जाए।
यहां तक कि आप से अस्पताल में मिलने आ रहे दोस्तों और परिवार जनों के ध्यान का केंद्र भी आपका शिशु ही होता है। कोई भी आप से आपके काम के बारे में नहीं पूछता है और न ही जानना चाहता है कि आप कार्य के बारे में क्या सोच रही हैं?
इसके बाद आप शिशु को अपने साथ घर लेकर आती हैं और अपने नए परिवार में बिजी हो जाती हैं। हो सकता है कि आपके पति भी अपनी फैमली के नए सदस्य के साथ समय बिताने के लिए कुछ हफ्तों की पैटर्निटी लीव लें।
सभी काम अच्छे से होने के बाद आप और आपका शिशु आखिरकार शांति से आराम करते हैं। इस शांति में कई बार आपका ध्यान शिशु को छोड़कर आपके जीवन में क्या चल रहा है और आप क्या करना चाहती हैं इस बात पर जा सकता है। हालांकि, आप पूरी तरह से अभी रिकवर नहीं हुई हैं लेकिन फिर भी आपके मन में यह सवाल आ रहे होंगे कि आप अपनी इन मातृत्व अवकाश का कैसे इस्तेमाल करें। इतने लंबे समय के कार्य के बाद अब इन छुट्टियों का मजा कैसे उठाया जाए।
मां बनने के शुरूआती दिन अकेलेपन से भरे हो सकते हैं। आपका पूरा टाइम अपने शिशु के साथ होता है जिससे न आप बड़ो की तरह बात कर सकती हैं और न ही वह आपकी भावनाओं को समझ सकता है। इस स्थिति में आप ख्यालों की दुनिया में खोने लगती हैं और अपनी 9 से 5 की जॉब के बारे में सोचने लगती हैं। आप सोचती हैं कि आपकी वर्क लाइफ कैसी थी और अब आप क्या कर रही हैं।
सही बताएं तो आपको इन सब बातों पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि यह मातृत्व अवकाश के दिन आपके दिमाग के आराम करने का समय होता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की कैसे आप अपनी मातृत्व अवकाश का सबसे अधिक फायदा उठा सकती हैं और अपने शिशु के साथ अधिक से अधिक पलों को एंजॉय कर सकती हैं। साथ ही फिर से ऑफिस जाना अचानक से मुश्किल न लगे इसके लिए भी कुछ टिप्स बताएंगे।
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मातृत्व अवकाश में नए दोस्त बनाएं
नए पेरेंट्स बनना अकेलापन महसूस करवा सकता है खासतौर से जब आपके घर में मदद के लिए कोई न हो। तो अगर आप अपने पड़ोस में या पार्क में टहलते समय अन्य गर्भवती महिला को देखें तो उनसे बात करने की कोशिश करें। इससे न केवल आपको समय काटने में मदद मिलेगी बल्कि हो सकता है आपको दूसरी महिला से शिशु की देखभाल के बारे में कुछ नया सीखने को मिले। मातृत्व अवकाश में अकेलापन महिलाओं को सबसे अधिक परेशान करता है। ऐसे में नए दोस्त बना लेने से आप अपनी मैटरनिटी लीव का अच्छे से लुत्फ उठा सकते हैं और कई नई चीजे सीख सकती हैं।
मातृत्व अवकाश में बाहर घूमें
आपको रोजाना कम से कम एक बार तो घर से बाहर घूमने या टहलने अवश्य जाना चाहिए। इससे न केवल आप सक्रिय रहेंगी बल्कि आपका मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा। घर में अकेले पड़े रहने से आपके मन और दिमाग में बेफिजूल ख्याल आते रहते हैं। यह शिशु की देखभाल या ऑफिस जाने से जुड़े हो सकते हैं। ख्यालों की दुनिया से बाहर निकलें और अपने पड़ोस में थोड़ा घूमें। ऐसी जगहों का चयन करें जहां अन्य माताएं अपने बच्चों के साथ खेलने या टहलने आती हैं। जैसे कि पार्क और प्लेग्राउंड।
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शिशु की देखभाल करें
हो सकता है कि आपको यह थोड़ा अटपटा लगे क्योंकि यह बात तो सभी जानते हैं कि मातृत्व अवकाश में उन्हें शिशु की देखभाल करनी चाहिए। लेकिन हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप इसे मजेदार और उत्साह से भरपूर बना सकती हैं। रोजाना शिशु की देखभाल से जुड़ें गोल सेट करें और उन्हें पूरा करने पर सेलिब्रेट करें। जैसे कि हमेशा की तरह अकेले नहाने से बेहतर है कि अपने साथ शिशु को भी ध्यानपूर्वक नहलाएं। ऐसे में न केवल आप शावर एंजॉय कर पाएंगी बल्कि अपने शिशु को भी नहला सकेंगी।
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नई वास्तविकता को अपनाएं
मातृत्व अवकाश के दौरान आप अपने घर के प्रोजेक्ट को पूरा करने को लेकर बेहद उत्साहित हो सकती हैं। लेकिन उन्हें शुरू करने के लिए समय न मिल पाने या शरीर में ऊर्जा की कमी के कारण आपको परेशानी महसूस हो सकती है। अपने शरीर को अधिक तनाव न दें। अधूरे कामों के बारे में सोचना छोड़कर उन चीजों के बारे में सोचें जिन्हें आप पूरा कर चुकी हैं और जिनपर आपको गर्व है। आप अपने नवजात की देखभाल के बारे में कई नई बातें सफलतापूर्वक सीख रही हैं। केवल आप ही अपने शिशु की जरूरतों को समझ सकती हैं और उन्हें पूरा कर सकती हैं।
जितनी जल्दी आप नए बदलावों को अपनाने लगेंगी उतनी ही जल्दी आपको घर की जिम्मेदारियों और बच्चे की देखभाल में खुशी महसूस होने लगेगी। समय के साथ-साथ घर को संभालने से लेकर शिशु के डायपर बदलने के आसान तरीकों तक आपको कई नई चीजें सीखने को मिलेंगी, लेकिन तब तक धैर्य रखने की आवश्कयता होगी। बच्चे को मिले तौफे घर को पूरी तरह से भर देते हैं जिन्हें शुरू में जगह पर रखना बेहद मुश्किल होता है लेकिन समय के साथ सभी कुछ अपनी जगह पर पहुंच जाता है। इसके बाद कई और बदलाव आते हैं और वह भी अपनी जगह बना लेते हैं जो की एक सामान्य बात है।
शिशु को जन्म देने के बाद मातृत्व को अपनाने में प्रयास और ऊर्जा लगती है। इसके कारण आपके पास बेहद कम समय बचता है। अगर आपको लगता है कि आपके घर की खराब हालत देखकर कोई आपको जज करेगा तो कुछ समय के लिए किसी को घर पर न बुलाएं।
मां बनने की नई वास्तविकता को अपनाने में कई प्रयास और गड़बड़ी का सामना करना पड़ता है। इसका अलावा मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद समस्याएं और भी अधिक बढ़ सकती हैं। ऐसे में बदलावों को अपनाने सबसे बेहतर होता है और अंत में सब कुछ अपने आप अच्छा होने लगता है। मातृत्व अवकाश में शिशु के साथ समय बिताने का जितना हो सके उतना प्रयास करें क्योंकि फिर न जाने कब आपको अपने शिशु के साथ समय बिताने का वक्त मिले।
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मैटरनिटी लीव में हर पल एंजॉय करें
मैटरनिटी लीव के दौरान “इस समय क्या चल रहा है’ इसके बारे में जानने से बेहतरीन मौका और कभी नहीं होता है। इस समय आपको कोई डिस्टर्ब नहीं करता और न ही आपके पास अधिक चीजों के बारे में सोचने को होता है। ऐसे में समय के साथ जीना सीखें। अपना सारा ध्यान वर्तमान में लगाने से आप भूतकाल व भविष्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में भूल जाएंगी। वर्तमान में रहने से न केवल आप उस पल को अच्छे से जी पाएंगी बल्कि अपने नजवात शिशु की अच्छी देखभाल भी कर सकेंगी और मैटरनिटी लीव के दौरान सबसे ध्यान योग्य जगह वही होनी चाहिए।
क्या आपको जॉब पर वापिस जाने के बारे में सोचकर बुरा महसूस होता है? अगर हां तो यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अपनी मैटरनिटी लीव के सभी पलों को अच्छे से जिएं और बीती हुई गलतियों व भविष्य में आने वाले काम के बारे में न सोचें। असल में आपको अंत में ऑफिस जाना पड़ेगा और वह कठिन भी हो सकता है। लेकिन आप ऑफिस तब तक नहीं जाने वाली हैं जब तक आपकी मातृत्व अवकाश खत्म न हो जाए। जिसमें अभी समय होगा? तो इस पल में सभी कुछ एंजॉय करें, बाहर घूमें, शिशु के साथ समय बिताएं और दोस्त बनाएं।
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मैटरनिटी लीव की जर्नल या किताब बनाएं
अब से पहले आपका पूरा रूटीन सुबह उठना, ऑफिस जाना और घर आकर सो जाना हुआ करता था। लेकिन आपके शिशु ने आपके इस रूटीन को पूरी तरह से बदल दिया होगा। अब इस नए रूटीन को कैसे अपनाया जाए? तो चलिए जानते। हैं। आमतौर पर नजवात शिशु का होना आपको बदलावों के बारे में अधिक सोचने का समय नहीं देता है जिसके कारण चिंता अपने आप ही कम हो जाती है। इस स्थिति में आप केवल वही करती हैं जो जरूरी होता है।
हालांकि, यह आपको काम के बारे में सोचने से नहीं रोक पाता है। खासतौर से जब आप देर रात स्तनपान के लिए जाग रही हों। मैटरनिटी लीव में कार्यस्थल से जुड़े ख्यालों को रोक पाना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि यह एक सामान्य ख्याल होता है जो की मातृत्व अवकाश के दौरान हर किसी के मन में आता है। आपको हो सकता है ऑफिस के छूटे काम या किसी कस्टमर की पेंडिंग फाइल को लेकर रातों में टेंशन होने लगे।
ऑफिस के कामों से पीछा छुड़वाने और मैटरनिटी लीव को सही तरह से एंजॉय करने के लिए रोजाना अपने थॉट्स को एक जर्नल या डायरी में लिखें। अगर आप लिख नहीं सकती हैं या लिखना नहीं चाहती हैं तो आप वॉइस भी रिकॉर्ड कर सकती हैं। जर्नल में उदाहरण के तौर पर आप निम्न सवालों से जुड़े ख्यालों के बारे में लिख सकती हैं –
- मैं ऑफिस की किन-किन चीजों को मिस कर रही हूं? मैं उसे लेकर इतनी उत्साहित क्यों हूं?
- मैटरनिटी लीव पर आने से पहले मुझे कौन से कार्य पूरे कर लेने चाहिए थे?
- इन छुट्टियों में मैं सबसे अधिक किन बातों को याद कर रही हूं?
अपनी भावनाओं को आपके मन को इधर-उधर ले जाने की बजाए कोशिश करें कि आप वर्तमान के सभी लम्हों को अच्छे से जिएं और उन्हें एंजॉय करें। अगर आपका शिशु आपके पास है तो उसे देखें। अगर वह सो रहा है तो उसकी प्यारी-छोटी उंगलियों को सहलाएं और सोचें कि आप कितनी खुशकिस्मत हैं जो आपको आखिरकार बच्चे का सुख प्राप्त हो रहा है। अपनी सभी भावनाओं को एक जर्नल में लिखने से आप उन्हें संतुलित रख पाएंगी और साथ ही फिर से ऑफिस जाने में मदद व उत्साह मिलेगा।
एक बार जब आप फिर से ऑफिस जाना शुरू करेंगी तो इस प्रकार के प्रयास आपको सामान्य होने में मदद करेंगे। काम का पहला दिन बेशक थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि आप अधिकतर समय अपने शिशु के बारे में सोचती रहती हैं कि वह कैसा होगा? उसका सही से ध्यान रखा जा रहा होगा या नहीं? लेकिन मैटरनिटी लीव के दौरान आप ने खुद को वर्तमान में जीने के लिए तैयार किया था जिसका इस्तेमाल आप ऑफिस में भी कर सकती हैं।
इधर-उधर के ख्यालों को छोड़कर उसी पल के बारे में सोचें जिससे आपको ऑफिस में काम पर ध्यान लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा मैटरनिटी लीव के दौरान जर्नल व अन्य प्रयासों की मदद से ऑफिस जाने की तैयारी आप लंबे समय से करती आई हैं इसलिए आपके लिए यह इतना मुश्किल नहीं होगा।
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