प्रेग्नेंसी के दौरान आपके पास पूरा परिवार मौजूद हो लेकिन पति न हो, तो ये खालीपन शायद ही कोई भर पाए। प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) महिलाओं के लिए पेन रिलीफ मेडिसिन की तरह काम करता है। भले ही महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान समस्याओं से गुजरना पड़ रहा हो, लेकिन पति का सपोर्ट मिलने पर उनके अंदर उस सिचुएशन से लड़ने की ताकत आ जाती है। आपको याद होगा कि पहले के समय में खासतौर पर आपकी दादी या फिर नानी के समय में महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान पति का सपोर्ट नहीं मिल पाता था। महिलाओं को खुद ही छोटी-छोटी बातों से हर एक चीज का ख्याल रखना पड़ता था। अब समय बदल चुका है। कहते हैं कि बच्चा भले ही मां के पेट में पल रहा होता है लेकिन पिता के मन में भी धीमे-धीमे बच्चे का विकास होता रहता है। इसे आज के समय की अंडरस्टैंडिंग ही कहेंगे कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) मिलने के साथ ही वो सभी सुविधाएं भी मिल रही हैं, जो एक प्रेग्नेंट लेडी डिजर्व करती है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हमने ऐसी ही कुछ महिलाओं से बात की और जाना कि कैसे उन्हें प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) मिला और उन्हें खट्टे मीठे दर्द के सफर में सहारा मिला।
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प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) कैसे एक महिला की प्रेग्नेंसी को हसीन बना देता है, ये आप उन महिलाओं की जुबानी जान सकते हैं, जिन्होंने इसे खुद एक्सपीरियंस किया है।
प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट: वो दिन के चार घंटे बहुत थे कठिन!
मुंबई में रहने वाले अमित कुमार की पत्नी नुपुर कहती है कि प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) बहुत मायने रखता है। नुपुर कहती हैं कि मेरा मायका रांची में है और प्रेग्नेंसी के समय में रांची में थी और हसबैंड मुंबई में। बात को आगे बढ़ाते हुए नुपुर कहती हैं कि मुझे प्रेग्नेंसी की खुशी बहुत थी लेकिन इस बात का दुख भी था कि साथ में हसबैंड नहीं थे। हसबैंड ने मुझे वादा किया था कि प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में वो मुझे पूरा सपोर्ट करेंगे। वो मुंबई से ड्यु डेट दो दिन पहले ही रांची पहुंच गए थे। मुझे लेबर पेन नहीं हो रहा था। हम दोनों ने डिसाइड किया कि ड्यू डेट वाले दिन को हम बच्चे के जन्म के लिए चुनते हैं। फिर क्या था, हम लोग डॉक्टर के पास गए और उन्हें अपनी समस्या बताई। मैं नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) के माध्यम से बच्चे को जन्म देना चाहती थी। लेबर इंड्यूस की हेल्प से लेबर पेन मुझे आने शुरू हुए और मैं दर्द से कहरा उठी।
नुपुर अपनी डिलिवरी के समय को याद करते हुए कहती हैं कि, वो तीन से चार घंटे मेरे लिए बहुत कठिन थे। लेबर पेन (Labor pain) के दौरान पति का सिर सहलाना और भरोसा दिलाना कि बस कुछ ही समय की बात, मेरे लिए मानों पेन रिलीफ का काम कर रहा था। अब मेरा बेटा दो साल का हो गया है। आज भी जब उस पल के बारे में याद करती हूं और सोचती हूं कि अगर उस समय हसबैंड न होते, तो मैं कैसे सारी सिचुएशन को फेज कर पाती। ये सच है कि हसबैंड भले ही आपके साथ पूरे नौ महीने न हो लेकिन अगर वो आपको सपोर्ट नहीं करते हैं, तो ये एक महिला के लिए दुखद घड़ी हो सकती है। मुझे न सिर्फ डिलिवरी के समय बल्कि प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) भी मिला। हसबैंड का हर महीने घर आना और दो से तीन दिन साथ रहना मेरे लिए एक बड़ा सहारा था।
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मिसकैरिज के बाद मुमकिन नहीं थी प्रेग्नेंसी, फिर उनके साथ ने दी मजबूती
प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) तो यकीनन हर महिला को उल्लास से भर देता है। कंसीव करने से लेकर डिलिवरी तक बिना किसी समस्या के बच्चे का जन्म होना हर माता-पिता का ख्वाब होता है। लखनऊ में प्राइवेट कंपनी में जॉब करने वाली शिखा सिंह (परिवर्तित नाम) के लिए चीजे आसान नहीं थी। शिखा ने नाम न लिखने की शर्त पर हैलो स्वास्थ्य से प्रेग्नेंसी के दौरान के अपने एक्सपीरिंयस शेयर किए। शिखा कहती हैं कि मैंने साल 2020 की शुरुआत में कंसीव (Conceive) किया था। कुछ समस्याओं के कारण मिसकैरिज हो गया। मेरे लिए वो समय एक साथ बहुत सारे दुख लेकर आया था। फिर कुछ ही समय बाद कोरोना महामारी शुरू हो गई। पहली प्रेग्नेंसी की खुशी जहां एक ओर दुख में बदल गई थी, वहीं दूसरी ओर कोरोना महामारी ने बहुत ज्यादा डिप्रेस्ड कर दिया था।
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उस समय मेरे पति ने मुझे बहुत संभाला और भरोसा जताया कि हम जल्द ही पेरेंट्स बनेंगे। पति के इस सपोर्ट ने मुझमें उम्मीद जगाई। करीब सात महीने बाद मैंने दोबारा कंसीव किया। शुरु से लेकर आखिरी तक मुझे प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) मिला और मानों मेरी सारी चिंता जैसे गायब हो गई हो। रोजाना सुबह मुझे टाइम पर जगाना और मेरे साथ वॉक पर जाना, कभी-कभार मेरा पसंदीदा ब्रेकफास्ट (Breakfast) मेरे सुबह उठने से पहले ही तैयार कर देना, मेरा साथ मेरा पसंदीदा शो देखना और जरूरी मेडिसिंस समय पर खिलाना मानों उनकी ड्यूटी थी। मैं तो भूल भी जाती थी लेकिन उन्हें याद रहता था। शिखा हंसते हुए कहती हैं कि मेरे हसबैंड को किचन में जाना पसंद नहीं है लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ सीखा। मुझे किसी भी सब्जी की छौंक की महक से उबकाई आती थी। उन्होंने शुरुआत के तीन से चार महीने इस बात का ख्याल रखा कि मेरे आसपास होने पर किचन में कुछ भी छौंका न जाए। मैं जानती हूं कि ये सब छोटी-छोटी बातें है लेकिन सही मायने में आपको इससे ही प्रेग्नेंसी में सपोर्ट मिलता है।
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प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट: मेरे लिए खाना बनाना सीख गए हसबैंड
लखनऊ की रीमा गुप्ता फिलहाल दो बच्चों की मां है और जब हमने उनसे प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) या हसबैंड सपोर्ट के बारे में पूछा, तो हमे बहुत ही मजेदार जवाब मिला। रीमा कहती हैं कि जब मेरी शादी हुई थी, तब मेरे हसबैंड को चाय तक बनानी नहीं आती थी। दो प्रेग्नेंसी के बीच उन्होंनों खाना तक बनाना सीख लिया है। रीमा हंसते हुए कहती हैं कि अब बताइयें कि इससे ज्यादा सपोर्ट और क्या हो सकता है? रीमा कहती हैं कि मेरी पहली प्रेग्नेंसी के दौरान मुझे पहले और दूसरे महीने बहुत दिक्कत हुई थी, इस कारण से खाना बनाना मुश्किल हो गया था। हम लोग लखनऊ में अकेले थे और परिवार के सदस्य भी दूर रहते थे, इसलिए मुझे खाना बनाने वाली रखनी पड़ी। एक दिन अचानक उसकी तबियत खराब हो गई। मेरी तबियत भी खराब थी और मैं बाहर का कुछ भी खाना नहीं चाहती थी। उस दिन पहली बार मेरे बताने पर हसबैंड में मुझे दाल खिचड़ी बनाकर खिलाई। ये प्रेग्नेंसी के दौरान पति का मेरे लिए बहुत बड़ा सपोर्ट था। मैं हमेशा से चाहती थी कि वो खाना बनाना सीखें ताकि ऐसी स्थिति का उन्हें कभी सामना न करना पड़े। फिर क्या उन्हें खाना बनाने में मजा आने लगा! पूरी प्रेग्नेंसी में उन्होंने मुझे हेल्दी रेसिपी बनाकर खिलाई। ये बात मुझे जीवनभर याद रहेगी।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको कुछ लोगों के प्रेग्नेंसी में पति का सपोर्ट (Husband support during pregnancy) या हसबैंड सपोर्ट से संबंधित एक्सपीरियंस को शेयर किया है। के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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