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अपनी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी में खुद को कैसे मेंटली स्टेबल रखा, जानिए शिखा से....

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/09/2021

    अपनी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी में खुद को कैसे मेंटली स्टेबल रखा, जानिए शिखा से....

    कोरोना महामारी ने पूरी तरह से हमारी जिंगदी ही बदल दी है। पहले की तुलना में अब की जिंदगी में बहुत बदलाव आ चुके हैं।  काेरोना के इस काल में एक ऐसी जिंदगी देख ली, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। पैंडेमिक के इस माैहोल में प्रेग्नेंट विमेन के लिए पैंडेमिक प्रेग्नेंसी को लेकर कैसा अनुभव रहा, आज हम इस बारे में बात करने जा रहे हैं। इस बारे में लखनऊ कि शिखा जायसवाल ने कोरोना के दौरान पैंडेमिक प्रेग्नेंसी को लेकर हमारे साथ अपना अनुभव शेयर किया। उनकी यह दूसरी प्रेग्नेंसी थी और पांच महीने पहले इन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। अपनी पहली प्रेग्नेंसी और दूसरी प्रेग्नेंसी में उन्होंने क्या फर्क महसूस किया, इस महामाहरी के लिए दौरान शिखा ने अपनी प्रेग्नेंसी को कैसे  एंजॉए किया और अपनी मेंटल हेल्थ को कैसे स्टेबल रखा, जानें शिखा से उनके पैंडेमिक प्रेग्नेंसी (Pandemic pregnancy) के अनुभवों के बारे में:

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी (Pandemic pregnancy) : शिखा ने लॉकडाउन के दौरान कैसे अपनी हेल्दी और हैप्पी प्रेग्नेंसी बनायी?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी (Pandemic pregnancy) कुछ महिलाओं के लिए एक अलग ही अनुभव रहा है। इस दौरान महिलाओं को प्रेग्नेंसी के साथ मेंटली चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी मेंटल कंडिशन को स्टेबल बनाने के साथ कैसे प्रेग्नेंसी को एंजॉए किया जा सकता है, यह जानिए शिखा :

    आपकी उम्र क्या है और क्या आपकी यह पहली प्रेग्नेंसी है?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : मेरी उम्र 30 साल है और यह मेरी दूसरी प्रेग्नेंसी है। पहली मेरी 5 साल की बेटी है और दूसरा 5 महीने का बेटा है।

    आप अपनी इस पैंडेमिक प्रेग्नेंसी का अुनभव शेयर करें हमारे साथ  और यह आपकी पहली प्रेग्नेंसी से कितनी अलग थी?

    मुझे खुद यकिन नहीं होता है कि मेरी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी थी और सब आराम से निपट गया। मेरी पहली प्रेग्नेंसी जो कि पाचं साल पहले थी और दूसरी प्रेग्नेंसी का अनुभव काफी अलग रहा था। अपनी पहली प्रेग्नेसी (First Pregnancy) को मैं खुद एंजॉय किया था, लेकिन अपनी इस दूसरी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी को उतना एंजॉए नहीं कर पायी थी। लॉकडाउन की वजह से काफी मूड स्विंग और तनाव बहुत महसूस होते थें। मन में यह डर लगा रहता था कि जिस तरह से अस्पतालों की न्यूज दिखा रहे हैं, वैसे में डिलिवरी कैसे होगी और हाॅस्पिटल में बैड मिलेगा की भी नहीं। पर भगवान की दया से सब हो गया है।

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    आपने प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Pregnancy planning) कब से शुरू की थी और कंसीव (Conceive) करने में कितना समय लगा?

    कोराेना और लॉकडाउन का समय मेंटली रूप से हमारे लिए काफी चुनौती भरा रहा है। घर पर बैठे-बैठे लंबे समय से वैसे ही मेंटली रूप से हम परेशान हो चुके थें  और उसी बीच मैंने सेकेंड प्रेग्नेंसी प्लान की थी, पर तीन से चार महीने तक लगातार प्लान करने के बाद भी कुछ नहीं हो रहा था। उसके बाद, इस कारण मेरा स्ट्रेस  और भी बढ़ता जा रहा था।  लेकिन तीन से चार महीने के बाद कंसीव हो गया था। लेकिन जब तक नहीं हो रहा था, मानो ऐसा लग रहा था कि सब खराब हो गया है। कुछ अच्छा नहीं होगा। काफी निगेटिव ख्याल आ रहे थें।

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    आपको अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में कब पता चला और उस समय सबसे पहले आपके मन में क्या आया?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : जैसे कि मैं प्लानिंग कर ही रही थी और मेरी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी थी, तो मेरे लिए दोनों तरह का अनुभव रहा। अगर प्रेग्नेंसी न्यूज की बात करू तो यह किसी भी महिला के जीवन का सबसे अच्छा और यादगार पल होता है। मुझे भी सुनकर अच्छा लगा और सुखद अनुभाव रहा, शायद जिसे बयां न किया जा सके। मुझे अपनी प्रेग्नेंसी (pregnancy) कंसीव के बारे में जुलाई 2020 को पता चला था। जब मैंने यह गुड न्यूज (Good News) देखी, तो थोड़ी देर के लिए तो मैं ब्लैंक हो गई थी। लेकिन कुछ देर बाद खुशी से उछल रही थी।

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    जब आपने अपने हसबैंड को इसके बारे में बताया, तो उन्होंने सबसे पहले आपको क्या कहा और कैसा रिएक्शन (Reactions) था  ?

    पैडेमिक प्रेग्नेंसी : हां, हां, उस समय उनका चेहरा देखने लायक था, जो खशुी उनके चेहरे पर थी। मैंने तुरंत अपने पति को दूसरी प्रेग्नेंसी (Pregnancy) की गुड न्यूज दी  और वो यह न्यूज जानकर वो खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। मेरा बहुत ध्यान रखा उन महिनों में और अभी भी रखते हैं।

    इस बारे में आपने अपने परिवार और दोस्तों को कब बताया और उनकी क्या प्रतिक्रियाएं थीं?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी :  प्रेग्नेंसी की गुड न्यूज ( Good News in Pregnancy)  शुरुआत के महीने में ही सबको बता दी थी और इनत खुशी की बात थी, तो छुपाना क्या। हां, लोग कहते हैं कि ऐसी बातों को अपने पेट में छुपाकर रखना चाहिए। मैंने भी वैसी नहीं किया।  न्यूज ( News) कंर्फम हाेते ही, पति के बाद दादी और दादा और जिसे बताना चाहिए,सबको बताया मैंने। सब बहुत खुश थें कि फाइनली कोई गुड न्यूज तो मिली। नहीं तो बस कोरोना के बढ़ते हुए आकड़े ही देखने को मिल रहे थें।

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    अभी आपको कैसा महसूस होता है? मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness) , फूड क्रेविंग (Food Craving) या एवेरियन्स या अन्य  कोई लक्षण (Symptoms) आपमें दिखे थें?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : सभी की प्रेग्नेंसी में उन्हें अलग-अलग अनुभव प्रॉप्त होता है। कुछ लोगों को प्रेग्नेंसी के पहले तीन महिने यानि फर्स्ट ट्रिमेस्टर (First Trimester) थोड़ा दिक्कत भरे होते हैं। मुझे पहले तीन महिने भूख नहीं लगती थी और बहुत कम लक्षण (Symptoms) मुझे महसूस हुएं थें। पर हां, मुझे मॉर्निंग स्किनेस जरूर होती थी और मूड स्विंग की समस्या भी। अगर खाने बात करूं तो  सच बोलू तो हर कोई मुझसे पूछता था कि तुम्हें क्या खाने का मन कर रहा है। मेरा बस यही जवाब होता कि कुछ भी खा लूंगी, बस चटपटा होना चाहिए।

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    प्रेग्नेंसी के दौरान आप अपने अपनी लाइफस्टाइल (Lifestyle) और डायट (Diet) को कैसे बैलेंस रखा था?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी :  प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी लाइफस्टाइल (Lifestyle) और डायट दोनों ही बहुत जरूरी है। तभी मां और बच्चा दोनों ही हेल्दी रहेंगे। अगर मैं अपने डायट की बात करूं तो मैं सुबह उठकर सबसे पहले नारियल पानी पीती थी। फिर एक घंटे बाद एक सेब और खजूर खाती थी। इसके अलावा फ्रेश फ्रूट, नट्स और हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करती थी। रोजाना 30-40 मिनट की वॉक करती थी।  लंच में चपाती (Chapati) , ब्रोकली, लौकी और कई प्रकार की हरी सब्जी (Green vegetables) , चावल (Rice) और रायता लेती थी। रात को सोते समय एक गिलास दूध लेती थी।  30 मिनट की इवनिंग वॉक (Evening walk) करती थी। पर रोज नहीं,  कभी-कभी। रात के खाने में रोटी और सब्जी या कभी-कभी वजे कवाब आदि खाती थी।

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    प्रेग्नेंसी के दौरान अभी तक में आपके लिए सबसे स्पेशल मूमेंट क्या रहा?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : हर दिन कुछ न कुछ सरप्राइज (Surprise) की तरह होता है। कुछ नया महसूस करती हूं और कुछ नया जानने को मिलता है। बस एक चीज ये पैंडेमिक प्रेग्नेंसी कुछ अनुभव मेरे लिए काफी अलग थें।

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    अपनी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी सोचकर आपको  कैसा महसूस होता है?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : मन में डर भी रहता था, पर बहुत अच्छा भी महसूस करती थी कि अपनी प्रग्नेंसी को लेकिर। उस दौरान मैं सबके बीच सेंटर ऑफ पॉइंट (Center of Point) बनी हुई हूं थी…:)

    कोरोना के इस मुश्किल घड़ी में डिलिवरी को लेकर आपके मन में किस तरह के ख्याल आते थें?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : क्रॉस्ड फिंगर कर के…. बस सब कुछ सही हो जाए। सबसे पहले मन में यही डर था कि अस्पताल में बैड मिलेगा कि भी नहीं।

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    आपकी और बेबी की अच्छी हेल्थ (Baby Good Health) के लिए आपने क्या किया था?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : हां, जब भी मुझे समय मिलता है, मैं रोज दिन में दो बार वॉक और योग (Yoga) करती थी। अच्छी नींद भी लेती थी।

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    आप अपनी सेल्फ केयर टिप्स (Self care tips) के बारे में हमें बताएं?

    पैंडेमिक प्रेग्नेंसी : खुद का ध्यान रखना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। जिसके लिए स्वस्थ खान-पान (Diet) और व्यायाम (Exercise) बहुत जरूरी है। डॉक्टर द्वारा बतायी गई सभी दवाओं को नियमित रूप से लेना बहुत जरूरी है। इसी के साथ प्रेग्नेंसी के दाैरान होने वाले स्ट्रेच मार्क से बचने के लिए लोशन का उपयोग करना भी बहुत जरूरी है, जो मैं कर रही हूं। अपना और बच्चे की अच्छी हेल्थ के लिए डायट और अच्छी नींद का विशेष ध्यान रखें।

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    प्रेग्नेंसी प्लान कर रही महिलाओं को आप क्या प्रेग्नेंसी प्लानिंग टिप्स (Pregnancy planning tips) देना चाहेंगी?

    जी हां, प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Pregnancy planning tips) के दौरान मेरा सुझाव है कि अपनी हेल्थ और विशेष रूप से अपने मेंटल हेल्थ को स्टेबल रखें। समय -समय पर डॉक्टर से जरूरी मिलें और सभी जरूरी चेकअप भी करवाएं। इस पैंडेमिक समय पर पूरी प्लानिंग कर के चलें ताकि डिलिवरी के दौरान आपको किसी प्रकार की दिक्कत न आए। दूसरी बात, यदि आप शराब (alcohol) पीते हैं या धूम्रपान (Smoking) करते हैं, तो कृपया इसे तुरंत रोक दें अब आपका शिशु जो हेल्थ है, वह आपके साथ है।

    तो इस तरह से आपने शिखा से उनकी पैंडेमिक प्रेग्नेंसी के बारे में जाना यहां। इसी के साथ यह आपने जाना कि प्रेग्नेंसी के दाैरान मां के जीवन में क्या-क्या बदलाव आते हैं और कैसे उन्हें खुद को, खासतौर पर मेंटल हेल्थ को कैसे संभालना चाहिए। सभी के लिए प्रेग्नेंसी के अलग-अलग अनुभव होते हैं। इसके कोई उपचार न मानें। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह करें।

     

    डिस्क्लेमर

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