जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। जलवायु परिवर्तन की बात की जाए, तो इस मामले में गर्भवती महिलाएं अधिक संवेदनशील होती हैं। क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Climate Change and Pregnancy Planning) में वे किस तरह भोजन की आदतों का पालन करती हैं, समय पर भोजन उपलब्धता होता है या नहीं और भोजन हेल्दी है या नहीं – ये सभी पहलू गर्भावस्था में बहुत मायने रखते हैं। हम सभी जानते हैं कि गर्भवती महिलाओं को अपने बच्चे के विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार (Nutritious food) की आवश्यकता होती है। यदि वे अपनी गर्भावस्था में उचित आहार नहीं लेतीं, तो प्रीटर्म डिलीवरी और बच्चे के जन्म के समय कम वजन होने की संभावना हो सकती है। इन शिशुओं में हाय मॉर्बिडिटी और मॉर्टालिटी (High Morbidity and Mortality) देखी जाती हैं।
हालांकि, जलवायु परिवर्तन या प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन (Adverse climate change) भी बच्चे के विकास को आकार देने और मां के स्वास्थ्य को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग के दौरान जो महिलाएं गर्भवती हैं या गर्भवती होने पर विचार कर रही हैं, उनके लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि बच्चे के जन्म का वजन आने वाले वर्षों में बच्चे के स्वास्थ्य को कैसे आकार दे सकता है। अत्यधिक गर्म मौसम गर्भवती महिलाओं में बहुत अधिक संक्रमण (Infection) का कारण बनता है। अगर मां को संक्रमण हो जाता है, तो उसके बच्चे को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता हैं। इसी तरह, बाढ़ के कारण उचित भोजन की उपलब्धता की समस्या भी संक्रमण का कारण बन सकती है। इसी तरह, हवा में अधिक धूल और रसायनों, जैसे वायु प्रदूषण (Air pollution) और मौसम का पैटर्न सांस की बीमारियों का कारण बनता है। यदि गर्भवती महिलाओं को सांस लेने से दिक्कत हो, तो शिशु को कम ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है, जिससे मॉर्बिडिटी और मॉर्टालिटी बढ़ सकती है। इसलिए क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग (Climate Change and Pregnancy Planning) में महिला और उसके परिवार के लिए गर्भावस्था की सही योजना बनाना बहुत जरूरी माना जाता है।