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एचपीवी संक्रमण से आप भी हो सकते हैं संक्रमित, जानिए कैसे बचें इस बीमारी से?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/03/2021

    एचपीवी संक्रमण से आप भी हो सकते हैं संक्रमित, जानिए कैसे बचें इस बीमारी से?

    ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human papillomavirus infection) यानी एचपीवी स्किन कॉन्टेक्ट या सेक्स के दौरान फैलने वाला वायरस है। अगर ये कहा जाए कि सेक्शुअली एक्टिव व्यक्ति एचपीवी से आसानी से संक्रमित हो सकते हैं, तो ये गलत बात नहीं होगी। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि एक-दो नहीं बल्कि सौ प्रकार के एचपीवी अस्तित्व में हैं। ये वायरस वजायनल और एनल सेक्स, ओरल सेक्स या संक्रमित ब्लड से एक से दूसरे व्यक्ति में, त्वचा के संपर्क में आने पर भी फैलता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां को ये संक्रमण हो जाए, तो बच्चे को भी संक्रमित होने का खतरा रहता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस या एचपीवी से क्या खतरा हो सकता है और कैसे इससे बचा जा सकता है।

    ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के फैलने के क्या हैं मुख्य कारण?

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, ‘ एचपीवी सबसे आम यौन संचारित संक्रमण है। जेनिटल एचपीवी इंफेक्शन के कई केसेज में किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। कुछ एचपीवी इंफेक्शन के कारण जननांग में मस्से (Genital warts) या सर्विक्स कैंसर का कारण बन सकते हैं। एचपीवी इंफेक्शन वायरस के त्वचा से त्वचा के संपर्क के माध्यम से फैलता है। वहीं कुछ लोगों में ये सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। अगर आप ये सोच रहे हैं कि सेक्स के दौरान ही ये संक्रमण फैल सकता है, तो आप गलत हैं। अगर संक्रमित व्यक्ति किसी को किस करे, तो भी ये संक्रमण फैल सकता है। कई बार संक्रमित व्यक्ति को इस बारे में जानकारी ही नहीं मिल पाती है कि वो इस वायरस से संक्रमित है। जानिए एचपीवी संक्रमण होने पर क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं?

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    एचपीवी (Human papillomavirus infection) होने पर दिखने वाले लक्षण

    दस में से नौ एचपीवी संक्रमण अपने आप ही ठीक हो जाते हैं और व्यक्ति को इस बारे में जानकारी भी नहीं मिल पाती है। जब ये संक्रमण अपने आप ठीक नहीं होता है, तो ये सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम खड़ी कर सकता है। कुछ व्यक्तियों को इस संक्रमण के होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं।

    • जेनिटल वार्ट्स (Genital warts) – जब जननांगों में मस्सा निकल आता है, तो उसे जेनिटल वार्ट्स कहते हैं।
    • थ्रोट वार्ट्स (Throat warts) – गले में होने वाले मस्से थ्रोट वार्ट्स कहलाते हैं।
    • प्लैंटर वार्ट्स (Plantar warts)- पैर में होने वाले मस्से को प्लैंटर वार्ट्स कहते हैं।

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    पुरुषों में होने वाला एचपीवी संक्रमण (HPV in men)

    पुरुषों में अक्सर एचपीवी संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं। कुछ पुरुषों में लिंग, अंडकोश या एनस में घाव या उभार महसूस कर सकते हैं। अगर पुरुषों को ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई पड़े, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एचपीवी के कुछ स्ट्रेन पेनियल, एनल और थ्रोट कैंसर ( Throat cancer) को जन्म दे सकते हैं।

    एनल सेक्स करने वाले पुरुषों में या कमजोर इम्यूनिट सिस्टम वाले पुरुषों में एचपीवी (HPV) रिलेटेड कैंसर (Cancer) का अधिक खतरा रहता है। थ्रोट कैंसर पैदा करने वाला एचपीवी स्ट्रेन और जेनिटल वार्ट्स पैदा करने वाल एचपीवी स्ट्रेन एक नहीं बल्कि अलग होता है।

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    महिलाओं में होने वाला एचपीवी संक्रमण (HPV in women)

    करीब 80 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवनकाल में एक बार कम से कम एचपीवी के एक प्रकार से जरूर संक्रमित होती हैं। पुरुषों की तरह ही महिलाओं में भी संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आते हैं और न ही उन्हें किसी समस्या का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाओं को जननांग में मस्सा (genital warts) महसूस हो सकता है, जो कि योनी के अंदर, एनस के आसपास या फिर गर्भाशय ग्रीवा (cervix) में हो सकता है। अन्य एचपीवी स्ट्रेन वजायना कैंसर, एनस कैंसर या गले के कैंसर का कारण बन सकता है। सर्वाइकल सेल्स का डीएनए टेस्ट एचपीवी कैंसर के बारे में जानकारी देता है। आपको बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

    एचपीवी संक्रमण को कैसे डायग्नोज किया जाता है?

    पुरुषों और महिलाओं में एचपीवी संक्रमण को अलग तरीके से डायग्नोज किया जाता है। महिलाओं में बीमारी के लक्षण दिखने पर पैप स्मीयर टेस्ट (Pap test, or Pap smear) किया जाता है। साथ ही महिलाओं को ये सलाह दी जाती है कि जब वो सेक्शुअल एक्टिव हो जाए, तो रेग्युलर पैप स्मीयर कराएं। ऐसा करने से सर्वाइल कैंसर के खतरे से बचा जा सकता है। हर साल एचपीवी टेस्ट जरूर कराना चाहिए। डॉक्टर कोलोनोस्कोपी भी कर सकते हैं। एचपीवी डीएनए टेस्ट के माध्यम से बीमारी को डायग्नोज किया जाता है।

    पुरुषों में अभी तक एचपीवी डायग्नोज के लिए एफडीए एप्रूव्ड टेस्ट नहीं है। एनल, थ्रोट, पेनियल कैंसर की जांच के लिए रूटीन स्क्रीनिंग की जा सकती है। वहीं डॉक्टर एनल पैप टेस्ट भी कर सकते हैं। जिन पुरुषों को एचआईवी होता है या जो एनल सेक्स करते हैं, उनमें एनल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

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    एचपीवी (Human papillomavirus infection) का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?

    एचपीवी के ज्यादातर मामले अपने आप ही चले जाते हैं, इसलिए संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। डॉक्टर आपको साल में कुछ जरूरी टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। जिन लोगों को जेनिटल वार्ट्स की समस्या होती है, उसे मेडिसिन की हेल्प से ठीक किया जाता है। लेकिन जेनिटल वार्ट्स को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। ये दोबारा वापस आ सकते हैं। एचपीवी के कारण होने वाले सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए डॉक्टर आपको तय समय पर बुला सकते हैं। एचपीवी संक्रमण का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को दबाया जा सकता है। आपको इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    एचपीवी संक्रमण का जोखिम (Risk Factors) क्या है?

    एचपीवी संक्रमण या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human papillomavirus infection) के जोखिम कारक मुख्य रूप से यौन संबंध से संबंधित हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक से अधिक व्यक्ति से यौन संबंध स्थापित करता है, तो इस संक्रमण के होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। अन्य रिस्क फैक्टर्स में यंगर एज, स्मोकिंग, अधिक संख्या में प्रेग्नेंसी, जेनेटिक फैक्टर आदि शामिल है। बेहतर होगा कि आप एचपीवी संक्रमण के रिस्क फैक्टर के बारे में डॉक्टर से जानकारी लें।

    एचपीवी संक्रमण के लिए उपलब्ध वैक्सीन कौन-सी हैं?

    गार्डासिल 9 वैक्सीन (Gardasil 9 vaccine) की हेल्प से एचपीवी के कारण उत्पन्न हुए जननांग के मस्सों से बचा जा सकता है। ये वैक्सीन नौ तरह के एचपीवी से बचाती है। ये जननांग के मस्सों से या कैंसर से संबंधित हो सकते हैं। सी डी सी की ओर से 11 से 12 साल के सभी लड़के और लड़कियों को वैक्सीन की दो डोज छह माह में दी जानी चाहिए। वहीं 15 से 26 साल के महिलाओं और पुरुषों को इसकी तीन डोज देनी चाहिए। वहीं 27 और 45 वर्ष की आयु के लोगों, जिन्हें अब तक वैक्सीन का डोज नहीं मिला है, वो भी ये डोज ले सकते हैं। एचपीवी से बचने के लिए रेग्युलर हेल्थचेकअप, स्क्रीनिंग, पैप स्मीयर और वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। आप वैक्सीन के फायदे और नुकसान के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

    एचपीवी संक्रमण से बचने के लिए लाइफस्टाइल में क्या बदलाव करने चाहिए?

  • सेक्स के दौरान सेफ्टी बहुत जरूरी है। अगर आप सावधानी रखेंगे, तो आपका पार्टनर संक्रमित होने से बच सकता है।
  • आपको कॉन्डोम और सेफ सेक्स की आदत अपनानी चाहिए।
  • रोजाना एक्सरसाइज आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही आपको फिट रखेगा।
  • अगर प्रेग्नेंसी के दौरान एचपीवी संक्रमण हुआ है, तो इलाज जरूर कराएं, वरना आपको नॉर्मल डिलिवरी में समस्या हो सकती है।
  • वैक्सीन लेने से आप इस संक्रमण के खतरे को कम कर सकते हैं।
  • हम उम्मीद करते हैं कि आपको एचपीवी संक्रमण से संबंधित ये आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। सुरक्षित सेक्स न करने से बहुत-सी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप सुरक्षित सेक्स करेंगे और साथ ही बीमारियों के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराएंगे, तो बीमारी को दूर किया जा सकता है। आपको इस विषय से संबंधित अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूर करना चाहिए। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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