ज्वॉइंट फैमिली के फायदे के बारे में उल्लेख करते हुए देश के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि “भारत ने पारंपरिक रूप से एक मजबूत संयुक्त परिवार प्रणाली और तेजी से बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के भण्डार का आनंद लिया है।’ उपराष्ट्रपति ने यह बातें हैदराबाद में अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक परिसंघ (AISCCON) द्वारा आयोजित वरिष्ठ नागरिकों के 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन में सभा को संबोधित करते हुए कहा था।
उपराष्ट्रपति ने सभा को आगे संबोधित करते हुए कहा “हमारी संयुक्त परिवार प्रणाली में एक अंतर्निहित सामाजिक सुरक्षा थी क्योंकि यह बुजुर्गों का बहुत ध्यान रखती थी। लेकिन एकल परिवार के बढ़ते विस्तार के साथ, बुजुर्ग तेजी से उपेक्षित हो रहे हैं और उनकी गरिमा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जब भी परिवार की व्यवस्था बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए अपने कर्तव्य में विफल होती है, तो समुदाय, नागरिक समाज और सरकार इनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाती है।
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति ने बच्चों को उनके माता-पिता को छोड़ने के उदाहरणों पर भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “बुजुर्गों की उपेक्षा और दुर्व्यवहार करना घिनौना और पूरी तरह से अस्वीकार्य माना जाएगा।’
बता दें कि, साल 2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम 2007 भी शुरू किया गया है। हालांकि, इसके बाद भी देश में बुजुर्ग माता-पिता को छोड़ने वाले बच्चों के मामलों की संख्या में इजाफा देखा गया है। वर्तमान में, भारत में अनुमानित 10.5 करोड़ बुजुर्ग थे और साल 2050 तक यह आंकड़ा 32.4 करोड़ तक पहुंच जाएगा। वहीं, दुनिया भर में, साल 2050 तक हर पांचवां व्यक्ति एक बुजुर्ग होगा जो अपने परिवार से अलग रहने के लिए मजबूर भी होगा। बता दें कि देश की कुल आबादी का 70 फीसदी बुजुर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। जिनमें से लगभग 8 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। हालांकि, सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियानों से इनके आंकड़ों को कम करने की पहल की जा रही है, लेकिन अभी तक इसमे कोई सफलता नहीं मिली है।
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