कहते हैं आपकी स्किन से आपकी सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आपके हाथ एवं पैरों के नाखूनों से भी सेहत की जानकारी मिल जाती है। अगर नाखून पर फंगस इंफेक्शन (Fungus infection) की समस्या शुरू हो जाए, तो नाखून की खूबसूरती ही नहीं कम होती है, बल्कि फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) कई बीमारियों की ओर इशारा भी करते हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी शेयर करने जा रहें हैं।
फंगल नेल इंफेक्शन क्या है?
फंगल नेल इंफेक्शन कितने तरह का होता है?
फंगल नेल इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?
फंगल नेल इंफेक्शन के कारण क्या हैं?
फंगल नेल इंफेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है?
फंगल नेल इंफेक्शन से बचाव कैसे संभव है?
चलिए अब फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) क्या है?
फंगल नेल इंफेक्शन को सामान्य भाषा में नाखून का संक्रमण भी कहते हैं, जो पैर या हाथों के नाखून में होने वाली समस्या है। फंगल नेल इंफेक्शन (Nail infection) होने की वजह से नाखून सामान्य से अलग और अनहेल्दी दिखने लगते हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फंगल नाखून के साथ-साथ या इससे ज्यादा फंगल इंफेक्शन अंगूठे पर नजर आते हैं। फंगल नेल इंफेक्शन को मेडिकल टर्म में ऑनिओमाइकोसिस (Onychomycosis) भी कहा जाता है। फंगल नेल इंफेक्शन (ऑनिओमाइकोसिस) अलग-अलग तरह के होते हैं, जिनके बारे में आगे समझेंगे।
फंगल नेल इंफेक्शन कितने तरह का होता है? (Types of Fungal Nail Infection)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉमेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फंगल नेल इंफेक्शन चार अलग-अलग तरह के होते हैं।
डिस्टल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस फंगल नेल इंफेक्शन का सबसे सामान्य प्रकार माना जाता है। डिस्टल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस नाखून के नोक पर होने वाला इंफेक्शन है। जिन लोगों को डिस्टल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस की समस्या होती है उनके नाखून का आगे का हिस्सा कमजोर होने की वजह से टूटने लगता है। नाखून के आसपास सूजन की भी तकलीफ शुरू हो जाती है।
फंगल नेल इंफेक्शन का यह दूसरा प्रकार है। व्हाइट सुपरफिशियल ऑनिओमाइकोसिस नाखूनों के ऊपरी हिस्से पर इंफेक्शन की समस्या शुरू करता है, जो धीरे-धीरे नाखूनों के अंदुरुनी हिस्से तक पहुंच जाता है।
3. नाखून का कैंडिडा संक्रमण (Candida infection)
नाखून के संक्रमण अगर नाखूनों के साथ-साथ उसकी आसपास की त्वचा को भी प्रभावित करते हैं, तो यह नाखून का कैंडिडा संक्रमण (Candida infection) की ओर इशारा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नाखून का कैंडिडा इंफेक्शन पुरुषों के तुलना में महिलाओं को ज्यादा होने वाली समस्या है।
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी से संक्रमित लोगों में प्रॉक्सिमल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस का खतरा ज्यादा होता है। यह इंफेक्शन नाखूनों के अलावा पैर की त्वचा को भी अपना शिकार बना लेते हैं।
ये हैं फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) के अलग-अलग प्रकार और अब आगे समझेंगे की आखिर इस नेल इंफेक्शन को कैसे समझें।
फंगल नेल इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Fungal Nail Infection)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) एवं नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (National Library of Medicine) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फंगल नेल इंफेक्शन के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
नाखून का रंग भूरा, पीला या सफेद होना।
नाखूनों के आकार में बदलाव आना।
नाखून के किनारों का बार-बार टूटना।
नाखूनों का कमजोर पड़ना या उठा हुआ नजर आना।
नाखूनों का सामान्य से ज्यादा मोटा होना।
नाखूनों में दरार पड़ना।
नाखून का जरूरत से ज्यादा सख्त होना।
नाखूनों से नैचुरल शाइन नहीं आना।
नाखूनों के किनारे-किनारे सफेद या पीले रंग की धारियों का बनना।
इन ऊपर बताये लक्षणों से फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन फंगल नेल इंफेक्शन के कारण क्या हैं इसे समझना जरूरी है। क्योंकि किसी भी बीमारी के कारणों को समझकर उस बीमारी को आसानी से दूर करने में मदद मिलती है।
फंगल नेल इंफेक्शन के कारण क्या हैं? (Cause of Fungal Nail Infection)
नेल फंगल इंफेक्शन माइक्रोस्कॉपिक ऑर्गॅनिसम के कारण होने वाली समस्या है, जिसे फंगी (fungi) कहते हैं। फंगल इंफेक्शन को अपने लाइफ साइकिल को मेंटेन रखने के लिए सनलाइट की जरूरत नहीं पड़ती है। नेल फंगल इंफेक्शन यीस्ट yeasts और मोल्ड्स molds का कारण भी हो सकते हैं। वैसे इन कारणों के अलावा नेल फंगल इंफेक्शन के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं। जैसे:
इसके अलावा नाखून के संक्रमण के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं। जैसे:
नियोसाइटालिडियम (Neoscytalidium)
स्कोपुलरिओप्सिस (Scopulariopsis)
एस्परजिलस (Aspergillus)
ये ऊपर बताये कारण फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) के हो सकते हैं। हालांकि इन कारणों के अलाव निम्नलिखित स्थितियां भी फंगल नेल इंफेक्शन को बढ़ा सकती है। जैसे:
रक्त परिसंचरण (Blood Circulation) में कमी होना।
नाखूनों का ग्रोथ ठीक से नहीं होना।
अत्यधिक पसीना आना।
आर्टिफिशियल नेल लगवाना।
ऐसे सॉक्स या दस्ताने का इस्तेमाल करना जिनसे पसीना ज्यादा आता हो।
इन कारणों की वजह से भी नेल फंगल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) की समस्या हो सकती है।
फंगल नेल इंफेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Fungal Nail Infection)
नेल इंफेक्शन एवं फंगस के इलाज में ज्यादा वक्त लगता है। फंगल नेल इंफेक्शन के लिए एंटीफंगल दवाओं और क्रीम प्रिस्क्राइब की जाती है।
नोट: फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) की समस्या होने पर डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब्ड मेडिसिन का सेवन या इस्तेमाल एक्सपर्ट द्वारा बताये अनुसार ही करें।
फंगल नेल इंफेक्शन से बचाव कैसे संभव है? (Tips to prevent fungal nail infections)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) एवं नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फंगल नेल इंफेक्शन की समस्या ना हो, इसलिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करना चाहिए। जैसे:
पैर एवं हाथ के नाखूनों को ट्रिम करें और क्लीन रखें।
नाखून को स्क्रब करें या ब्रश से साफ करें।
पार्लर ये सैलून में नेल क्लीन करने वाले टूल्स को सैनेटाइज करवाना ना भूलें।
नाखून से मुंह से काटने की आदत छोड़ दें।
पब्लिक प्लेस में हमेशा जूता या चप्पल पहनें।
दूसरों के तौलियों (Towel) का इस्तेमाल ना करें।
दूसरों के सॉक्स और शू ना पहनें।
अपने शॉप को किसी अन्य के साथ शेयर ना करें।
नेल हाइजीन का ख्याल रखें।
नाखून ना चबाएं।
नाखून से जुड़ी अगर कोई परेशानी हो, तो उसका इलाज करवाएं।
इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर नाखून के संक्रमण से बचा जा सकता है। वैसे अगर आप नाखून के संक्रमण (Fungal Nail Infection) की समस्या से परेशान हैं, तो ऐसे में समय-समय पर डॉक्टर से कंसल्टेशन करते रहें और डॉक्टर द्वारा दी गई सलाह का पालन करें। अगर आप नाखून के संक्रमण से जुड़ी कोई जानकारी शेयर करना चाहती हैं या चाहते हैं या आप अपने नाखूनों का ख्याल कैसे रखते हैं ये कमेंट बॉक्स में शेयर करें।
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Comparison of two topical preparations for the treatment of onychomycosis: Melaleuca alternifolia (tea tree) oil and clotrimazole.. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/8195735/Accessed on 04/01/2022