रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी से संक्रमित लोगों में प्रॉक्सिमल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस का खतरा ज्यादा होता है। यह इंफेक्शन नाखूनों के अलावा पैर की त्वचा को भी अपना शिकार बना लेते हैं।
ये हैं फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) के अलग-अलग प्रकार और अब आगे समझेंगे की आखिर इस नेल इंफेक्शन को कैसे समझें।
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फंगल नेल इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Fungal Nail Infection)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) एवं नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (National Library of Medicine) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार फंगल नेल इंफेक्शन के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- नाखून का रंग भूरा, पीला या सफेद होना।
- नाखूनों के आकार में बदलाव आना।
- नाखून के किनारों का बार-बार टूटना।
- नाखूनों का कमजोर पड़ना या उठा हुआ नजर आना।
- नाखूनों का सामान्य से ज्यादा मोटा होना।
- नाखूनों में दरार पड़ना।
- नाखून का जरूरत से ज्यादा सख्त होना।
- नाखूनों से नैचुरल शाइन नहीं आना।
- नाखूनों के किनारे-किनारे सफेद या पीले रंग की धारियों का बनना।
इन ऊपर बताये लक्षणों से फंगल नेल इंफेक्शन (Fungal Nail Infection) को आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन फंगल नेल इंफेक्शन के कारण क्या हैं इसे समझना जरूरी है। क्योंकि किसी भी बीमारी के कारणों को समझकर उस बीमारी को आसानी से दूर करने में मदद मिलती है।
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फंगल नेल इंफेक्शन के कारण क्या हैं? (Cause of Fungal Nail Infection)
नेल फंगल इंफेक्शन माइक्रोस्कॉपिक ऑर्गॅनिसम के कारण होने वाली समस्या है, जिसे फंगी (fungi) कहते हैं। फंगल इंफेक्शन को अपने लाइफ साइकिल को मेंटेन रखने के लिए सनलाइट की जरूरत नहीं पड़ती है। नेल फंगल इंफेक्शन यीस्ट yeasts और मोल्ड्स molds का कारण भी हो सकते हैं। वैसे इन कारणों के अलावा नेल फंगल इंफेक्शन के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं। जैसे:
- ट्राइकोफाइटन रूब्रम (Trichophyton rubrum)
- ट्राइकोफाइटन इंटरडिजिटल (Trichophyton interdigitale)
- एपिडर्मोफाइटन फ्लोकोसम (Epidermophyton floccosum)
- ट्राइकोफाइटन वायलेसियम (Trichophyton violaceum)
- माइक्रोस्पोरम जिप्सम (Microsporum gypseum)
- ट्राइकोफाइटन टन्सुरान (Trichophyton tonsurans)
- ट्राइकोफाइटन सौडानेंस (Trichophyton soudanense)