त्वचा का हेल्दी होना और बिना दाग वाला होना हर किसी का सपना होता है। हेल्दी स्किन के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल जरूरी होती है लेकिन कई बार ऐसे कारण भी सामने आते हैं, जो हेल्दी लाइफस्टाइल से संबंधित नहीं होते हैं। त्वचा पर सफेद धब्बे अक्सर तब होते हैं जब त्वचा के प्रोटीन या मृत कोशिकाएं त्वचा की सतह के नीचे फंस जाती हैं। ऐसा डिपिगमेंटेशन ( depigmentation) या फिर कलर लॉस के कारण हो सकता है। इस कलर लॉस के कारण ही स्किन में सफेद दाग की समस्या (White spots on skin) या फिर वाइट स्पॉट की समस्या हो सकती है। सफेद त्वचा के धब्बे आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होते हैं और प्रमुख लक्षण पैदा नहीं करते हैं लेकिन सफेद दाग के कारण अक्सर लोग बहुत चिंतित हो जाते हैं।
अगर आपको त्वचा संबंधी समस्या हो गई है, तो आपको इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सफेद दाग के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। डॉक्टर जांच के बाद ही इस बारे में जानकारी दे सकते हैं कि आपको किस कारण से सफेद दाग की समस्या हुई है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको सफेद दाग के संबंध में जानकारी देंगे और साथ ही बताएंगे कि इनका क्या ट्रीटमेंट किया जा सकता है।
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स्किन में सफेद दाग (White spots on skin) के क्या हो सकते हैं कारण?
स्किन में सफेद दाग के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। कई कंडीशन स्किन में सफेद दाग का कारण बनती है। आइए जानते हैं कि किन कंडीशन के कारण स्किन का रंग सफेद हो जाता है या फिर सफेद दाग की समस्या हो जाती है।
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सनस्पॉट या गटेट हाइपोमेलानोसिस (Sunspots, or guttate hypomelanosis) के कारण स्किन में सफेद दाग
सनस्पॉट या गटेट हाइपोमेलानोसिस की समस्या पिगमेंट के खत्म हो जाने से हो सकती है। इन सफेद धब्बों के कारण किसी प्रकार के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यह एक से 3 मिलीमीटर तक बड़े हो सकते हैं। यह सफेद दाग आमतौर पर हाथों में, पीठ के ऊपरी हिस्से में, चेहरे पर या पैरों में दिखाई पड़ सकते हैं। इनका कारण क्या हो सकता है, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। हमारे स्किन में मिलेनिन नामक पिगमेंट होता है, जो इसके रंग के लिए जिम्मेदार होता है। जब इसकी कमी हो जाती है, तो इस प्रकार की समस्याएं पैदा होने लगती है। स्पॉट की समस्या परिवार में एक व्यक्ति को हुई है, तो हो सकता है कि आगे भी बढ़े। इस तरह के सफेद दाग अक्सर खतरनाक नहीं होते हैं। अगर कोई व्यक्ति अधिक देर तक धूप में रहता है, तो उसे त्वचा कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए अगर आपको सनस्पॉट की परेशानी हो गई है, तो ऐसे में क्या सावधानी रखनी चाहिए और किस क्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए।
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विटिलिगो के कारण स्किन में सफेद दाग (White spots on the skin due to vitiligo)
जिन लोगों को सफेद दाग की समस्या होती है, उनमें स्किन में व्हाइट पैचेज नजर आने लगते हैं। विटिलिगो की समस्या स्किन के पिगमेंट कलर के नष्ट हो जाने के कारण होता है। विटिलिगो किस कारण से होता है, इस बारे में शोधकर्ता यकीन से नहीं कह सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जहां इम्यून सिस्टम गलती से हेल्थी सेल्स को नुकसान पहुंचाता है। सूर्य के संपर्क में आने पर सफेद दाग की समस्या हो जाती हैं। ये बीमारी फैमिली के अन्य सदस्यों को होने का भी खतरा रहता है।
डॉक्टर इस बीमारी से बचने के लिए नॉनस्टेरॉइडल फॉर्मुला एलिडेल क्रीम (Elidel cream), पैच वाली स्किन में ब्लीचिंग, सफेद दागों पर टैटू आदि उपाय अपनाएं जाते हैं।
पिट्रियासिस अल्बा (Pityriasis alba)
ये एक नॉन कैंसरस स्किन कंडीशन, जिसके कारण स्किन में लाल, पपड़ीदार पैच बन जाते हैं। इनमें खुजली की समस्या भी होती है। ये धब्बे ठीक हो जाते हैं और स्किन में सफेद दाग का कारण बनते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि ये एक्जिमा का माइल्ड फॉम हो सकते हैं। मॉइस्चराइजर का रोजाना इस्तेमाल, कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम, हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम, एलिडेल क्रीम आदि का इस्तेमाल करने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
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मिलिया (Milia)
आपने आंखों के आसपास ऐसे बहुत से दाने देखे होंगे, जो रंग में सफेद होते हैं और जिनमें जिनमें कुछ सफेद रंग का द्रव्य भरा होता है। जब केराटिन (Keratin) प्रोटीन त्वचा के नीचे फंस जाती है, तो इस तरह के उभार यह तरल पदार्थ से भरी थैली की संरचना होती है, जिसे मिलिया कहा जाता है। कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट से कारण भी स्किन में सफेद दाग या सफेद पैच की समस्या पैदा हो सकते हैं। डॉक्टर इस बीमारी से निपटने के लिए रेटिनोइड क्रीम और मलहम लगाने की सलाह दे सकते हैं।
टीनेया वेर्सिकलर (Tinea versicolor)
टिनिया वर्सिकलर की समस्सा फंगस के कारण होने वाली समस्या है। फंगस के कारण स्किन सूखी हो जाती है और साथ ही सफेद पैच भी बनने लगते हैं। ये पैच आमतौर पर काफी धीरे-धीरे बढ़ते हैं और अक्सर एक साथ क्लस्टर होते हैं।
एंटिफंगल शैंपू वॉश, साबुन और क्रीम आदि के इस्तेमाल से इस समस्या का उपचार हो जाता है। आप ओवर-द-काउंटर आसानी से ऑनलाइन भी ले सकते हैं। ज्यादातर एंटिफंगल दवाओं में सेलेनियम सल्फाइड, पाइरिथियोन जिंक या केटोकोनाजोल होता है।एक बार लक्षण दूर हो जाने के बाद गर्मी के मौसम में दोबारा ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है। कुछ समय बाद स्किन का रंग सामान्य हो जाता है।
क्या स्किन में वाइट पैच हो सकते हैं खतरनाक?
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि ज्यादातर मामलों में स्किन में सफेद दाग होने पर उन्हें ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। कुछ दाग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं होता है। अगर आपकी स्किन में कहीं पर भी सफेद दाग आ जाते हैं, तो बेहतर होगा कि आप स्किन स्पेशलिस्ट से जांच जरूर कराएं। अगर ट्रीटमेंट के कुछ समय बाद तक भी सफेद दाग रहते हैं या फिर यह दोबारा ट्रीटमेंट के बाद आ जाते हैं, यह शरीर के अन्य भागों में फैल रहे हो या फिर उनमें बहुत ज्यादा दर्द या जलन पैदा हो रही हो, तो ऐसे में आपको डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। कई बार चीजें भले ही नॉर्मल लगती है लेकिन वह बड़ा रूप ले सकती हैं। बेहतर होगा कि ऐसे में डॉक्टर की सलाह समय-समय पर जरूरी लें।
इस आर्टिकल में हमने आपको स्किन में सफेद दाग (White spots on skin) या वाइट स्पॉट लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।