जिस तरह से स्वस्थ्य शरीर के लिए पौष्टिक आहार, पानी और ऑक्सीजन जरूरी होता है, ठीक वैसे ही अच्छी नींद भी बहुत जरूरी होती है। कई दिनों तक नींद न आने से शरीर बीमार पड़ सकता है। कुछ लोगों को कम नींद आती है, तो किसी को ज्यादा नींद आने की समस्या होती है। नींद के दौरान किसी प्रकार की समस्या अधूरी नींद का कारण बन सकती है। आज हम आपको ऐसे स्लीप डिसऑर्डर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके कारण नींद में लोग एब्नॉर्मली बिहेव करते हैं। पैरासोम्निया (Parasomnia) स्लीप डिसऑर्डर है, जिसके कारण नींद में व्यक्ति एब्नॉर्मली बिहेव करता है। पैरासोम्निया नींद में खलल डालने के साथ ही शरीर को कई तरह से नुकसान भी पहुंचा सकता है। नींद के दौरान व्यक्ति को नहीं पता होता है कि वो क्या कर रहा है। ऐसे में अचानक से गिर जाना या किसी चीज से भिड़ जाना आदि गंभीर चोट का कारण बन सकते हैं। पैरासोम्निया शारीरिक नुकसान पहुंचाने के साथ ही मानसिक समस्या का भी कारण बन सकती है। जानिए क्या होती पैरासोम्निया की समस्या और कैसे इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
क्या होती है पैरासोम्निया (Parasomnia) की समस्या?
पैरासोम्निया (Parasomnia) स्लीप डिसऑर्डर या नींद का विकार है, जो नींद में एब्नॉर्मल बिहेवियर का कारण बनता है। पैरासोम्निया की समस्या स्लीप की किसी भी स्टेज में हो सकती है। सोने से लेकर उठने तक इस डिसऑर्डर का असर देखने को मिलता है। पैरासोम्निया से पीड़ित व्यक्ति को नींद में चलने की आदत, नींद में बात करना या फिर कुछ भी काम करने की आदत हो सकती है। पैरासोम्निया से पीड़ित व्यक्ति को देखकर एहसास होता है कि वो जाग रहा है लेकिन असल में वो सो रहा होता है। पीड़ित व्यक्ति को नींद में किए गए काम के बारे में याद नहीं रहता है। पैरासोम्निया आम समस्या है लेकिन ये नींद में बाधा पैदा करता है। पैरासोम्निया कई स्थितियों में भयानक भी हो सकता हैं क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे कि साइकोलॉजिकल स्ट्रेस का सामना करना पड़ सकता है। अन्य स्लीप डिसऑर्डर की तरह पैरासोम्निया का इलाज भी संभव है। जानिए पैरासोम्निया कितने प्रकार का हो सकता है।
पैरासोम्निया के लक्षण (Parasomnia symptoms) क्या हैं?
नींद के दौरान असामान्य व्यवहार के साथ ही व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।
- जागते समय कंफ्यूजन होना
- जागते समय जगह के बारे में सोचना
- कुछ बातों को याद करने की कोशिश
- दिन में थकान महसूस होना
- रात में सोने में कठिनाई महसूस होना
पैरासोम्निया के कारण (Parasomnia causes)
स्लीप डिसऑर्डर पैरासोम्निया कई कारणों से हो सकता है। कुछ कंडीशन पैरासोम्निया को ट्रिगर कर सकती हैं।
- स्ट्रेस (stress)
- चिंता (anxiety)
- डिप्रेशन (depression)
- पीटीएसडी (Post-traumatic stress disorder )
- कुछ दवाओं का इस्तेमाल (certain medications)
- शिफ्ट वर्क रेग्युलर न होना
- अनिद्रा की समस्या (insomnia)
- सोने का अभाव
- न्यूरोलॉजिकल कंडीशन (Parkinson’s disease)
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पैरासोम्निया (Parasomnia) कितने प्रकार का हो सकता है?
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि पैरासोम्निया की समस्या स्लीप की किसी भी स्टेज में हो सकती है। कुछ पैरासोम्निया आधी नींद के दौरान और दूसरा पैरासोम्निया रेम स्लीप (REM sleep) के दौरान हो सकता है। जानिए स्लीप डिसऑर्डर पैरासोम्निया के प्रकार के बारे में।
नींद में चलने की समस्या (Sleepwalking)
पैरासोम्निया में स्लीपवॉकिंग कॉमन है। व्यक्ति नींद में चलने के साथ ही नींद में बातें भी कर सकता है। कुछ लोग नींद में एब्नॉर्मल एक्टिविटी भी करते हैं। स्लीप वॉकिंग की समस्या अर्ली नाइट में हो सकती है। कुछ लोग दिन में सोते समय भी स्लीपवॉकिंग कर सकते हैं। नींद में चलना कई बार खतरनाक भी हो सकता है और चोट लगने का खतरा रहता है।
नींद में आवाजे निकालना (Sleep-related groaning)
सोते समय तेजी से कराहने की आवजें निकालना कैटथ्रेनिया (Catathrenia) कहते हैं। ऐसे धीरे-धीरे सांस छोड़ने के कारण होता है। आपको बताते चले कि सोते समय खर्राटे मारना (snoring) और सोते समय कराहने की आवाजें निकालना (groaning), दोनों ही अलग प्रक्रिया हैं। सोते समय आवाजें निकालने की प्रक्रिया ब्रीथ यानी सांस से संबंधित नहीं है।
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नाइटमेयर यानी बुरे सामने आना (Nightmares)
सोते समय बुरे सपने आने से किसी की भी नींद टूट सकती है और फिर दोबारा सोना मुश्किल हो जाता है। इस कारण से गुस्सा, चिंता और डर मन में बना रहता है। अक्सर बुरा सपना देखने के कारण लोग भयभीत हो जाते हैं। कई बार तो एक ही नींद में कई सारे बुरे सपने दिखाई देते हैं। ये रैम स्लीप (Rapid eye movement sleep) के दौरान होता है।
नाइट टैरर (Night terrors)
नाइट टैरर या स्लीप टैरर के कारण व्यक्ति अचानक से उठ जाता है। नाइट टैरर 30 सेकेंड से 5 मिनट के लिए व्यक्ति को भयभीत कर देता है और व्यक्ति अचानक से चिल्लाने लगता है। ऐसे में दिल की धड़कन यानी हार्टबीट बढ़ जाती है और पसीना भी आने लगता है। नाइट टेरर कुछ समय के लिए होता है और ये नॉन रैप स्लीप के दौरान आता है।
बिस्तर गीला करना (Bedwetting)
बेडवेटिंग की समस्या बच्चों को होती है लेकिन पैरासोम्निया से पीड़ित व्यक्ति भी बिस्तर गीला कर सकते हैं। जब ब्लैडर में अधिक यूरिन होता है, तो यूरिन पास न करने की स्थिति में सोते समय बेड गीला हो जाता है। कुछ लोगों में यूरिनरी ट्रेक इन्फेक्शन के कारण भी ये स्थिति पैदा हो सकती है।
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सोते समय दांतों को चबाना
दांतों में सेंसिटिविटी (tooth sensitivity) पैरासोम्निया के कारण परेशान कर सकती है। रात में दांतों को पीसने की आदत भी देखने को मिलती है। दांत में दर्द जबड़े, चेहरे या गर्दन का दर्द, कान का दर्द आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
नॉन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप के दौरान लोग कुछ भी खा सकते हैं। खाने के साथ ही टॉक्सिक फूड खाने की भी संभावना रहती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं कुछ लोग सोते हुए मैसेज भी कर सकते हैं। सोते समय सेक्शुअल बिहेवियर, सोते हुए ड्राइविंग करना आदि पैरासोम्निया के दौरान देखने को मिलता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि पैरासोम्निया नींद खराब करने के साथ ही किस तरह से शरीर को खतरे में डालने का काम करता है। अगर बीमारी का सही समय पर इलाज न कराया गया, तो जान का खतरा भी हो सकता है।
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पैरासोम्निया को कैसे किया जाता है डायग्नोज (Diagnosing a parasomnia)
स्लीप स्पेशलिस्ट आपसे स्लीपिंग बिहेवियर के बारे में जानकारी ले सकते हैं। पिछली मेडिकल कंडीशन के साथ ही डॉक्टर मेडिकेशन, लाइफस्टाइल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में जानकारी ले सकते हैं। आपके साथ सोने वाले व्यक्ति को आपके नींद के पैटर्न के बारे में अच्छे से जानकारी होगी। डॉक्टर नींद के पैटर्न के बारे में भी पूछ सकते हैं। डॉक्टर अधिक जानकारी के लिए पेशेंट को पॉलीसोम्नोग्राम (Polysomnogram) लैब में रात भर सोने के लिए कह सकते हैं ताकि स्लीप बिहेवियर के बारे में जानकारी मिल सके। ऐसे में ब्रेन वेव्स, ब्रीथिंग, हार्ट रेट भी चेक कर सकते हैं।
पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट (Parasomnia treatment)
पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट करने के लिए डॉक्टर लक्षणों के आधार पर दवाइयों का सेवन करने की सलाह देते हैं। कुछ मेडिसिन्न जैसे कि टोपिरामेट (topiramate),
एंटीडिप्रेसेंट्स (antidepressants), डोपामाइन एगानिस्ट (dopamine agonists),मेलाटोनिन (melatonin), लीवोडोपा (levodopa) आदि। आपको डॉक्टर ने जिन दवाओं का सेवन करने की सलाह दी है, उन्हें रोजाना समय पर लें और दवा का डोज भी पूरा करें।
डॉक्टर कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी (Cognitive behavioral therapy) की मदद से भी पैरासोम्निया का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। पैरासोम्निया मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, इसलिए कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी की सलाह दी जाती है। साथ ही साइकोथेरिपी (psychotherapy), रिलेक्सेशन थेरिपी (relaxation therapy), हिप्नोसिस (hypnosis) आदि की सलाह भी देते हैं।
आपको ट्रीटमेंट के साथ ही नींद की आदतों में भी सुधार करने की जरूरत है। आप जिस स्थान में सो रहे हैं, वहां से सभी खतरनाक वस्तुओं को हटा दें। साथ ही खिड़कियों और दरवाजों को भी बंद कर दें ताकि सोते समय आप बाहर न जा सकें। चाहे तो फर्श में मोटे गद्दे भी डाल सकते हैं। ऐसा करने से गिरते समय चोट नहीं लगेगी। इन बातों का ध्यान रख इस स्लीप डिसऑर्डर से राहत पाई जा सकती है। आप अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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