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पेशाब का रंग देखकर पहचान सकते हैं इन बीमारियों को

पेशाब का रंग देखकर पहचान सकते हैं इन बीमारियों को

पुरुष हो या महिला यदि पेशाब के रंग में बदलाव नजर आता है तो सचेत होकर डाक्टरी सलाह लेना चाहिए। कई लोगों को पीला पेशाब आता है तो वे घबरा जाते हैं। ये कहना है जमशेदपुर के सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट संजय जोहरी का। वे आगे बताते हैं कि, ‘पीला पेशाब होना कोई रोग नहीं है बल्कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम कम पानी पीते हैं। पुरुष-महिलाओं का प्राकृतिक तौर पर पेशाब का रंग यल्लो होता है। यदि हम पेशाब को कंटेनर में स्टोर करेंगे तो वह पुआल के रंग की तरह दिखेगा। अगर कलरलेस दिखता है तो इसका अर्थ है कि आप ज्यादा पानी पी रहे हैं। वहीं गहरा पीला रंग व पीला पेशाब आए तो इसका अर्थ यह हुआ कि आप कम पानी पी रहे हैं।’

एक्सपर्ट बताते हैं कि पेशाब में पिग्मेंट मौजूद होता है। इसी पिग्मेंट को यूरोक्रोम (urocrome) कहा जाता है। यूरो का अर्थ यूरिन व क्रोम का अर्थ कलर पिग्मेंट से है। यह तत्व पेशाब में पाया जाता है, इसके कारण ही पेशाब का रंग स्टा यल्लो होता है। सेहत के प्रति जागरूक लोग पेशाब के रंग को देख डाक्टरी सलाह ले सकते हैं।

सामान्य तौर पर एक व्यस्क को जो किसी ऑफिस में रहकर या घर में रहकर काम करता है उसको एक दिन में औसतन 2.5 लीटर का पानी पीना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति का एक दिन में थूक, लार व पसीने से लगभग आधा लीटर पानी निकल जाता है। भारत उष्णकटिबंधीय (tropical) देश है। ऐसेमें यहां पर सूर्य की रोशनी का सीधा संपर्क ज्यादा है। वहीं ऐसे लोग जो शारीरिक तौर पर ज्यादा मेहनत करते हैं, पेशे से मजदूर हैं व जिनका आउटडोर काम ज्यादा है ऐसे लोगों को दिन में औसतन 3.5 लीटर पानी पीना चाहिए। ऐसे लोगों का दिन में लगभग एक लीटर पानी पसीने, लार या थूक के जरिए निकल जाता है। यदि ये लोग कम पानी पिएंगे तो उनके पेशाब का रंग बदलेगा, वहीं यदि ये लोग जो शारीरिक मेहनत कम करते हैं, यदि वो धूप में बिना नियमित पानी पिए ज्यादा काम करेंगे तो उनके पेशाब के रंग में परिवर्तन आएगा।

ज्यादा पानी पीना भी हो सकता है नुकसानदायक 

लोगों में भ्रांति है कि ज्यादा से ज्यादा पानी पीने से किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती। जबकि ऐसा गलत है। ज्यादा पानी पीने से भी पेशाब का रंग कलरलेस हो जाता है। ज्यादा पानी पीने के चक्कर में यदि कोई दिनभर लगभग पांच लीटर पानी पीता है तो 60 साल के बाद उसे पेशाब संबंधी रोग होना शुरू हो जाते हैं। ज्यादा पानी पीने से यूरिनरी ब्लैडर (urinary bladder) ढीला हो जाता है। वहीं मरीज को प्रोस्टेट (prostate) का रोग शुरू हो जाता है। इसलिए हर उम्र के लोगों को डाक्टरी सलाह लेकर ही पानी की उचित मात्रा का सेवन करना चाहिए।

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सरसों के तेल के रंग की तरह पेशाब हो तो रोग का अंदेशा

डाक्टर संजय बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को किडनी संबंधी रोग है तो उसके पेशाब का रंग बदल सकता है। पेशाब का रंग पीला हो तो कोई बात नहीं, लेकिन यदि मस्टर्ड कलर (mustard colour) यानी सरसों के तेल के रंग की तरह पेशाब आए तो उन्हें सचेत हो जाना चाहिए। वहीं डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि ऐसा होना जॉन्डिस (jaundice) का प्रयाय लक्षणों में से एक है। ऐसे में डॉक्टर मरीज को लिवर फंक्शन टेस्ट (lever function test) की सलाह देते हैं।

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मिल्की व्हाइट पेशाब आए तो लें डाक्टरी सलाह

यूरोलाॅजिस्ट बताते हैं कि कायलूरिया (chyluria) का अर्थ कायल यानि वसा-चर्बी से है व यूरिया का अर्थ पेशाब से, ऐसे में कायल इन यूरिया यानि पेशाब में चर्बी का आना जिसे कायलूरिया कहा जाता है। उसी प्रकार हिमेटूरिया (hematuria) है, यानि हिम का अर्थ हिमोग्लोबिन से है व यूरिया का अर्थ यूरिन से है, ऐसे में पेशाब में यदि खून आए तो उसे हिमेटूरिया का रोग है। ठीक उसी प्रकार प्रोटीनयूरिया (proteinuria) है यानि पेशाब में प्रोटीन का आना। यदि ऐसी शिकायत आए तो डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन तमाम प्रकार की बीमारियों में पेशाब का रंग भी बदलता है। जरूरी है कि उसे देख डाक्टरी सलाह ली जाए।

डाक्टर बताते हैं कि कालयूरिया एक प्रकार का फाइलेरिया (filaria) का विस्तृत रूप है। ऐसे में यह बीमारी सिर्फ पांव तक सीमित न रहकर किडनी तक पहुंच जाती है। वहीं किडनी में फैट होने से वो पेशाब को अच्छे से छान नहीं पाती और पेशाब में चर्बी आने लगती है। वहीं जब पेशाब में चर्बी आती तो वह मिल्की व्हाइट कलर की तरह दिखता है। यदि किसी मरीज में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो उन्हें डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए। अमूमन यह बीमारी उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है जो पेशे से किसान हैं। ज्यादातर समय खेतों में नंगे पांव रहने के कारण जमीन का किटाणु सीधे शरीर में घुस जाता है व हाथी पांव व इस रोग का शिकार हो सकते हैं। यह बीमारी ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के मरीजों में देखने को मिलती है।

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पेशाब जहां गिरे और वह जगह सफेद हो तो जाए तब उठाए यह कदम

प्रोटीनयूरिया (proteinuria) में पेशाब से प्रोटीन का रिसाव होता है। बकौल यूरोलाजिस्ट इस प्रकार की बीमारी बच्चों में देखने को मिलती है, जिसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम (nephritic syndrome) कहा जाता है। यह जन्मजात (conginital) बीमारी में से एक है। इस रोग के होने से किडनी का प्रोटीन को छानने की क्षमता कम हो जाती है और पेशाब से प्रोटीन निकलने लगता है। वहीं पेशाब से व्हाइटिश यूरिन (whitish urine) निकलने लगता है। इसका मुख्य लक्षण है कि पेशाब जहां गिरता है उसकी सतह सफेद हो जाती है। यदि पेशाब फर्श पर गिरी है तो फर्श कुछ देरी में सफेद हो जाती है। अक्सर माताएं डॉक्टरों को शिशु के इसी लक्षण के बारे में बताती हैं। बच्चों को होने वाली इस बीमारी का इलाज संभव है। वहीं व्यस्कों को यह बीमारी किडनी फेल्योर (kidney failure) के कारण हो सकती है। उस स्थिति में किडनी प्रोटीन को छान नहीं पाता। व्यस्कों को होने वाली इस बीमारी का शत प्रतिशत इलाज संभव नहीं है, लेकिन शुरुआत में ही बीमारी का पता लग जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

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पेशाब में खून आना 

हिमेचूरिया (hematuria) इस बीमारी के होने के मुख्य रूप से तीन से चार लक्षण हैं। वहीं यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। डा. संजय बताते हैं कि,’ रोग होने का लक्षण यूटीआई यानि यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (urinary tract infection) होने से पेशाब का रंग बदलकर उसमें खून आए, जलन, दर्द और बुखार आता हैं। दूसरा कारण यूरिनरी स्टोन (urinary stone) या कैंसर होने के कारण होता है। ऐसा होने से यूरिनरी सिस्टम में किडनी, यूरेटर, पेशाब की नली, थैली, ब्लॉडर में स्टोन है तो इस कारण भी पेशाब से खून आ सकता है। तीसरा कारण यूरिनरी ब्लैडर कैंसर (urinary bladder cancer) या पेशाब की थैली के कैंसर के कारण भी खून का रिसाव हो सकता है। यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों में अधिक होती है, वहीं यह पुरुषों में अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि रोग के होने का 70% फीसदी कारण किसी भी प्रकार का तंबाकू, गुटका, खैनी, पान, धूम्रपान आदि का सेवन करना है, जिसमें निकोटीन की मात्रा होती है। इस बीमारी का मुख्य लक्षण पीठ या पेट में दर्द, पेशाब से खून आना, खून के थक्कों का आना है। यदि किसी को ऐसे लक्षण दिखाई दे तो उन्हें डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए। पेशाब के रंग में यदि इस प्रकार के बदलाव दिखें तो जरूरी है कि आप सचेत हो जाएं।

पेशाब में वीर्य का लक्षण दिखे तो हो जाए सचेत

यूरोलाजिस्ट डा. संजय बताते हैं कि स्पर्मेच्यूरिया (Spermaturia) के रोग को भारत में धात की बीमारी या धात सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यह बीमारी साइकोलॉजिकल बीमारी है, जो युवाओं में 18-20 साल के उम्र के लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। इस बीमारी का लक्षण यही है कि यूरिन में स्पर्म आने लगता है। इस बीमारी का इलाज दवा के साथ काउंसलिंग के जरिए किया जाता है। युवाओं को लगता है कि पेशाब रंग बदल गया है वहीं उसमें से वीर्य निकल रहा होता है। ऐसे में डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

इन दवाओं के सेवन से भी बदलता है पेशाब का रंग

यूरोलाजी केयर फाउंडेशन के लेख के अनुसार फेनाजोफायरिडीन (Phenazopyridine (Pyridium) दवा का सेवन करने से पेशाब संबंधी कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। दवा के अंदर मौजूद तत्व पेशाब का रंग रेडिश ऑरेंज में परिवर्तन कर सकते हैं। वहीं सूजन को कम करने की दवा जैसे सलफासालाजीन (sulfasalazine (Azulfidine), फेनाजोफायरेडीन (phenazopyridine) व कीमोथैरेपी के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवा के इस्तेमाल से भी पेशाब का रंग ऑरेंज रंग में बदल जाता है। वहीं अवसादरोधी दवा एमीट्रपिटीलाइन (amitriptyline) व दर्द निरोधक दवा प्रोपोफोल (डिप्रिवन) (propofol (Diprivan) का सेवन करने से भी पेशाब का रंग नीले से हरा हो सकता है।

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कब जरूरी है डाक्टरी सलाह

किस वक्त डाक्टरी सलाह लेना चाहिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है। बता दें कि पेशाब के सामान्य रंग में बदलाव के साथ ही जब उसमें खून दिखाई दे तो तुरंत डाक्टरी सलाह लेना चाहिए। क्योंकि ऐसा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या किडनी की बीमारी के कारण हो सकता है। वहीं दर्द के साथ पेशाब के साथ खून आना कैंसर की बीमारी का लक्षण हो सकता है। जब ज्यादा पीला पेशाब या ऑरेंज की तरह पेशाब का रंग हो तो उस स्थिति में डाक्टरी सलाह लेना चाहिए। शरीर का लिवर जब काम करना बंद कर देता है तो उस स्थिति में भी ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

अगर आप यूरिन संबंधी परेशानियों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

The Meaning Behind the Color of Urine/https://www.urologyhealth.org/careblog/the-meaning-behind-the-color-of-urine 30 march 2020/ Accessed 30 March 2020

Urine color/ https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/urine-color/symptoms-causes/syc-20367333/ Accessed 6 April 2020

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10 Colors That Suggest Urine Trouble/https://health.ucsd.edu/news/features/pages/2014-04-21-colors-that-suggest-urine-trouble.aspx/Accessed on 21st May 2021

What the Color of Your Urine Means/https://www.kidney.org/atoz/content/what-color-your-urine-means/Accessed on 21st May 2021

 

dr Sanjay Johri, ex consultant surgeon, Tata hospital and senior consultant urologist kantilal gandhi memorial medical hospital, Jamshedpur

 

Current Version

21/05/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/05/2021

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