बॉलीवुड ऐक्ट्रेस और जवा दिलों की धड़कन दीपिका पादुकोण को देश में कौन नहीं जानता। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में काफी नाम कमाया है। दीपिका पादुकोण आज 34 साल की हो गई हैं। दीपिका पादुकोण का जन्म 5 जनवरी 1986 को हुआ था। दीपिका पादुकोण की फिल्मों के बारे में तो आप जानते ही होंगे, आज इस आर्टिकल की सहायता से हम आपको उनके निजी जीवन के बारे में खास बात बताने जा रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि दीपिका पादुकोण के जीवन में एक ऐसा भी समय आया था जब उनको डिप्रेशन की समस्या से गुजरना पड़ा था। डिप्रेशन से दीपिका पादुकोण कैसे बाहर आई, इस सवाल के जवाब को उन्हीं के शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कई बार इंटरव्यू में अपने डिप्रेशन से जुड़ी बातें मीडिया के साथ शेयर की हैं और इससे पीड़ित व्यक्तियों को हिम्मत भी बंधाई है। साथ ही डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए दीपिका ने ‘द लिव लव लाफ फाउंडेशन’ भी बनाया।
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तब हुआ डिप्रेशन का अहसास
बहुत-से इंटरव्यू में मीडिया से बातचीत करते हुए दीपिका पादुकोण ने बताया कि करीब तीन साल पहले मेरी फैमिली मुझसे मिलने मुंबई आई हुई थी। जब वो लोग वापसी के लिए निकलने वाले थे, तो मुझे बेहद अजीब लग रहा था। वो जाने के लिए तैयार थे और मैं बेडरूम में सिमटी हुई बैठी थी। मुझे परेशान देखकर मां ने मुझसे पूछा कि सब ठीक तो है न? मैंने ‘हां’ में सिर हिला दिया। मां ने दो से तीन बार पूछा और मैं हर बार टालती रही। लेकिन, आखिर में मेरा गला भर आया और मैं फूट-फूटकर रो पड़ी। मेरी ऐसी हालत देखकर घरवालों ने टिकट कैंसल करवा दिया।
मैं अपनी मां से कहना चाहती हूं कि अगर वह न होतीं, तो आज मैं यहां न होती। हर पल मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया मां। मां हमेशा मेरे साथ रहीं। मुझे कुछ भी पता नहीं लग पा रहा था कि मेरे साथ क्या हो रहा था।
मैंने एक अजीब-सा अकेलापन महसूस किया था। इस घटना के बाद पहली बार लगा कि मुझे किसी काउंसलर को दिखाना चाहिए। तब पहली बार मैंने ऐना चैंडी को दिखाया था। हालांकि, इसके बावजूद मैं दवाइयां नहीं खाना चाहती थीं। दरअसल, हमें ऐसा लगता ही नहीं कि हमें कोई मानसिक दिक्कत भी हो सकती है लेकिन, यह कड़वा सच है। सच्चाई यह है कि हमारे लिए मानसिक स्वास्थ्य को समझना बेहद जरूरी है।
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नहीं छिपाई डिप्रेशन की खबर
दीपिका पादुकोण अपने डिप्रेशन की खबर को लोगों से छिपाया नहीं। दीपिका पादुकोण ने कहा कि काफी समय तक इस बारे में मैं लोगों को बताना चाहती थी कि भारत में इसके प्रति लोगों का नजरिया बदले। मैं उस स्टेज पर पहुंच चुकी थी, जहां मैंने महसूस किया कि क्यों मैं लोगों को यह नहीं बता सकती कि मैं क्या महसूस करती हूं। लेकिन जब मैंने मदद लेने का फैसला लिया तब मैं अपने इलाज के बारे में लोगों से शेयर करने में पीछे नहीं हटी।
मेरा मानना है कि डिप्रेशन को लेकर हमें बचपन से ही सीरियस होना चाहिए। मेंटल हेल्थ भी स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। इससे बच्चों को इससे जुड़े मिथक का भी पता चलेगा। फिजिकल एज्युकेशन मेरे स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा था, इसलिए मैं उसके बारे में टीचर और पेरेंट्स या किसी से भी बात कर सकती थी। लेकिन, मेंटल हेल्थ कोर्स में न होने के कारण, इस पर बात करने के लिए कोई नहीं था। मैंने महसूस किया है कि शहरों में तो फिर भी इस बारे में लोग बात कर लेते हैं लेकिन, गांवों में तो लोग इससे अनजान ही हैं। वहां खासतौर पर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में काम करने की जरूरत है। लोगों को इस बारे में शिक्षित करना जरूरी है।
दीपिका पादुकोण ने 2015 में बनाया ‘लाइव लव लाफ फाउंडेशन’
दीपिका पादुकोण ने साल 2015 में ‘ द लिव लव लाफ फाउंडेशन’ का निर्माण किया। इस फाउंडेशन को चार साल हो चुके हैं। दीपिका ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि ‘ मुझे लगता है कि हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं’। लोगों को अब खुल के बात करनी चाहिए। निश्चित रूप से हमे अभी और अधिक काम करने की जरूरत है। मुझे यकीन है कि हम सब साथ मिलकर मानसिक परेशानी की समस्याओं से छुटकारा पा लेंगे।संस्था तनाव, चिंता और अवसाद का अनुभव करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का मार्गदर्शन करती है। ऐसे में लोग इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
लाइव लव लाफ फाउंडेशन की संस्थापक दीपिका पादुकोण ने कहा कि ‘ मीडिया ने लोगों के बीच मानसिक स्वास्थय के बारे में जानकारी को आगे बढ़ाया है। मैं सबको धन्यवाद कहना चाहूंगी। दीपिका पादुकोण का मानना है कि लोगों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरुक रहना चाहिए। दीपिका का मानना है कि कुछ लोग इंटरव्यू, लेखन, व मीडिया के माध्यम से डिप्रेशन को लेकर जागरुकता फैला रहे हैं।
द लिव लव लाफ फाउंडेशन के बारे में
द लिव लव लाफ फाउंडेशन को दीपिका पादुकोण ने साल 2015 में शुरू किया था। इस संस्था के माध्यम से तनाव, चिंता और अवसाद संबंधि समस्याओं का समाधान किया जाता है। ये तीनों शब्द कहीं न कहीं इंसान को अंदर से परेशान करते हैं लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं हो पती है। संस्था के माध्यम से कोई भी व्यक्ति विशेषज्ञ से बात करके अपनी समस्या बता सकता है।
मानसिक समस्याओं को नहीं चाहिए छिपाना
भले ही लोग तनाव को बहुत ही हल्का मानते हो, लेकिन तनाव के कारण शरीर को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तनाव के कारण ब्लड प्रेशर का हाई होना, इम्युन सिस्सटम का बिगड़ जाना, दिल का दौरा और स्ट्रोक संबंधि समस्या हो सकती है। कई बार तनाव इनफर्टिलिटी की समस्या भी पैदा कर सकता है।
अगर किसी भी व्यक्ति को तनाव की समस्या है तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। तनाव की समस्या को छुपाना से शरीर को कई बीमारियां घेर सकती हैं। सही समय पर तनाव का इलाज कई बीमारियों से बचाव कर सकता है। कई बार पेशेंट को काउंसलर की मदद भी लेनी पड़ सकती है। काउंसलर का काम संबंधित व्यक्ति से उसके तनाव का कारण जानकर उसका निवारण करना होता है। कई व्यक्तियों को इस समस्या से आसानी से छुटकारा भी मिल जाता है। बेहतर रहेगा कि आप भी डॉक्टर से संपर्क करे और उनसे अपनी समस्या के बारे में परामर्श करें।
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