‘एक्सेप्ट योर सेल्फ एंड लव योर सेल्फ फर्स्ट’ ये कहना है मुंबई की वेडिंग फोटोग्राफर मोनिशा अजगावकर का। मोनिशा भारत की मशहूर समलैंगिक वेडिंग फोटोग्राफर हैं। साथ ही वे LGBTQ एक्टिविस्ट भी हैं। वे इन दिनों LGBTQ में बढ़ रही डिप्रेशन और एंजायटी की समस्या को लेकर कहती हैं, “आज के वक्त में डिप्रेशन की समस्या आम है, इसलिए अगर आप समलैंगिक हैं, तो अपने आपको एक्सेप्ट करें और खुद को प्यार करें। अपनी फीलिंग्स या अपनी पर्सनल बातें उन्हीं लोगों से शेयर करें, जिन पर आप भरोसा करते हों। जल्दीबाजी में कोई भी निर्णय न लें। अगर आप किसी से बात करने में परेशानी महसूस करते हैं, तो ऑनलइन काउंसलर या समलैंगिक हेल्थ एक्सपर्ट से भी बात कर सकते हैं।’
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर या क्वीर (LGBTQ) समुदाय के लोगों पर किए गए सर्वे के अनुसार 60 प्रतिशत लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर होपलेस या दुखी महसूस करते हैं। यह सर्वे यूनाइटेड स्टेटस पर आधारित है। सर्वे के अनुसार लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल कम्युनिटी में डिप्रेशन देखा गया है। वहीं 53 प्रतिशत ट्रांसजेंडर्स भी हमेशा दुखी और नकारात्मक सोच के साथ मिले हैं।
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60 प्रतिशत LGBT कम्युनिटी के लोग होते हैं डिप्रेशन का शिकार
- मेंटल हेल्थ एंड द एलजीबीटी कम्युनिटी के द्वारा साल 2015 में किए गए सर्वे के अनुसार तकरीबन 60 प्रतिशत LGBT समुदाय के लोगों में दुखी रहना, निराशावादी होना और रोजाना की जाने वाली एक्टिविटीज को न करने की प्रवृत्ति देखी गई है।
- एंग्जायटी एंड डिप्रेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (ADAA) का मानना है कि LGBT कम्युनिटी में खास तौर पर डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
- LGBTQ में इसलिए डिप्रेशन के लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है। जिससे किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
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डिप्रेशन (Depression) क्या है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार डिप्रेशन एक तरह की मेंटल इलनेस (मानसिक बीमारी) है। डिप्रेशन (अवसाद) की समस्या होने पर व्यक्ति के स्वभाव में अत्यधिक बदलाव देखा जाता है और उसकी सोच नकारात्मक होने लगती है। साथ ही व्यक्ति का स्वभाव अत्यधिक चिड़चिड़ा हो जाता है।
एंग्जायटी (Anxiety) क्या है?
यदि किसी भी तरह की चिंता (एंग्जायटी) काफी लंबे समय तक चलती है, तो उसे एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder) कहते हैं। समय पर इलाज न हो पाने के कारण यह गंभीर रूप ले लेती है और व्यक्ति अपने डेली रूटीन के कामों को करने में भी असमर्थ हो जाता है।
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LGBTQ में डिप्रेशन के लक्षण:
- हमेशा रोना आना
- बात-बात पर झगड़ा करना
- अपने शरीर को हानि पहुंचाना
- बिना सावधानी के वाहन चलाना
- किसी भी काम पर ध्यान केन्द्रित न कर पाना
- तंबाकू, एल्कोहॉल या ड्रग्स निर्भरता का बढ़ना
- सुइसाइड करने का प्रयास करना
- स्कूल या कॉलेज में अपने आपको सुरक्षित महसूस न करना
- अत्यधिक सोना या नींद न आने की परेशानी होना
- हमेशा थकावट या कमजोरी महसूस करना
इन शारीरिक और मानसिक परेशानियों के अलावा डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति को अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं। अगर आपको खुद में या आपके किसी परिचित में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर या काउंसलर से संपर्क करना चाहिए।
साउथ लंडन एंड माॅडसले एनएस फाउंडेशन ट्रस्ट के कंसल्टेंट साइकियाट्रिस्ट डॉ. दिनेश भुगरा LGBT कम्युनिटी में डिप्रेशन या एंग्जायटी से जुड़े सवाल पर कहते हैं, “लोगों को यह समझना बेहद जरूरी है कि समलैंगिक होना कोई मानसिक बीमारी नहीं है। LGBT समुदाय के लोगों को सभी को अलग दृष्टिकोण से देखना नहीं चाहिए, क्योंकि LGBT कम्युनिटी में डिप्रेशन या एंग्जायटी अक्सर उनके साथ किए जाने वाले बुरे व्यवहार के कारण ही होती है। LGBT में डिप्रेशन या एंग्जायटी जैसी कोई भी परेशानी न हो, इसके लिए परिवार के लोगों के साथ-साथ अन्य लोगों को भी अवेयर होना बेहद आवश्यक है। इन सबके साथ ही इस मामले में साइकियाट्रिस्ट की भूमिका भी अहम होती है। इन मामलों में साइकियाट्रिस्ट को भी अपना नजरिया सकारात्मक रखना चाहिए। अक्सर ऐसा देखा गया है कि यंग फीमेल डॉक्टर्स अपनी सोच पॉजिटिव रखने के साथ ही इलाज के लिए आए व्यक्ति की भी सोच पॉजिटिव रखने में ज्यादा सक्षम होती हैं।’
LGBT कम्युनिटी के लोगों में डिप्रेशन इन कारणों से होता है शुरू
LGBT कम्युनिटी में डिप्रेशन का मुख्य कारण उनके साथ हो रहे भेदभाव को ही माना जाता है। LGBT वर्ग के लोगों में अवसाद या चिंता घर न कर जाए, इसके लिए घर-परिवार, आस-पास के लोग, स्कूल-कॉलेज में उनके साथ पढ़ने वाले और पढ़ाने वाले लोगों की जिम्मेदारी है कि लेस्बियन, गे, बायसेक्शुल, ट्रांसजेंडर या क्वीर (LGBTQ) समुदाय के लोगों के प्रति भेदभाव न करें।
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LGBTQ में डिप्रेशन या चिंता न हो, इसके लिए घरवालों को क्या करना चाहिए?
LGBT वर्ग के लोगों को डिप्रेशन या चिंता जैसी कोई भी परेशानी न हो, इसके लिए परिवार के लोगों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- उनसे बातचीत करें
- उनकी बातों को सुनें
- सकारात्मक सोच के साथ नजदीकी बढ़ाएं
- उनके लाइफ स्टाइल में शामिल होने की कोशिश करें
- किसी प्रकार की कोई समस्या आने पर काउंसलर या मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करें
स्कूल या कॉलेज प्रशासन को भी निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ स्पष्ट नीतियों को लागू करें
- गे-स्ट्रेट अलाइंस और अन्य छात्र क्लब जैसे सहायता समूहों को बढ़ावा दें
- LGBT से जुड़े टॉपिक्स को भी पाठ्यक्रम में शामिल करें
- स्टाफ भी मददगार बनें
मुंबई में सलाहकार मनोचिकित्सक और एलजीबीटी प्लस के पूर्व सह अध्यक्ष डॉ. अविनाश डिसूजा ने एक वेब सेमिनार के जरिए जानकारी दी कि, “MBBS के कोर्स में LGBT कम्युनिटी से जुड़ी शिक्षा को शामिल होना चाहिए। लोगों को इस बारे में खुलकर बातचीत करनी चाहिए। ऐसा कर के लोगों को LGBTQ के बारे में अवेयर किया जा सकता है और LGBT में डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी बढ़ती समस्या को कम किया जा सकता है।’
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LGBT कम्युनिटी में अगर कोई डिप्रेशन का शिकार हो जाए, तो क्या करना चाहिए?
LGBT में डिप्रेशन की समस्या बढ़ने पर उनमें आत्महत्या के विचार आने लगते हैं और वे खुद को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इसलिए सभी को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- कोई भी इमरजेंसी होने पर नजदीक के अस्पताल या इमरजेंसी नंबर पर कॉन्टैक्ट करें।
- व्यक्ति के साथ रहे और उन्हें अकेला न छोड़ें।
- व्यक्ति के पास ऐसा कोई भी सामान न रखें, जिससे वो खुद को हानि पहुंचा सके।
- उनकी बातों को सुनें और ध्यान रखें कि उन्हें जज न करें और न ही उन पर चिल्लाएं।
भारत में LGBT या LGBTQ समुदाय के लोगों को अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि लोग इस बारे में नए कानून के साथ-साथ शुभ मंगल ज्यादा सावधान जैसी फिल्मों से मुखातिब हो चुके हैं, लेकिन फिर भी वे कहीं न कहीं सेक्स, लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर या क्वीर जैसे मुद्दे पर चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। मोनिशा अजगावकर का मानना है LGBTQ समुदाय के लिए कोविड-19 का समय नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है, लेकिन इससे बचने के लिए बेहतर होगा कि नकारात्मकता को खुद पर हावी ना होने दिया जाए और साथ ही ऑनलाइन होने वाली अलग-अलग एक्टिविटीज में शामिल हुआ जाए।
अगर आप LGBT कम्युनिटी में डिप्रेशन या कोई भी शारीरिक परेशानी से जुड़े किसी तरह के सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।