जब बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से किसी काम जैसे कि पढ़ने, लिखने, सीखने और समझने में दिक्कत महसूस करते हैं तो यह मानिसक मंदता का संकेत हो सकता है। बच्चे का मस्तिष्क बौद्धिक और कामकाज दोनों स्थितियों में यदि सही ढंग से काम नहीं कर रहा है तो चिकित्सा क्षेत्र में इस स्थिति को “मानसिक मंदता’ कहा जाता है।
आईडी (intellectual disability) के चार स्तर हैं : हल्का, मध्यम और गंभीर। कभी-कभी आईडी (ID) को “अन्य’ या “अनिर्दिष्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
आईडी (ID) में कम आईक्यू (IQ) और रोजमर्रा के कामों को ना कर पाने की समायोजित समस्याएं शामिल हैं। इसमें सीखने, बोलने में दिक्कत या सोशल रिलेशन और शारीरिक विकलांगता भी हो सकती है।
जन्म के समय आईडी (intellectual disability) के गंभीर मामलों का निदान किया जाता है। आप तब तक ऐसे मामलों को समझ नहीं सकते जब तक कि स्थितियां गंभीर रूप नहीं ले लेती हैं।
बौद्धिक विकलांगता के लक्षण क्या हैं?
- बौद्धिक मानकों को पूरा करने में विफलता
- अन्य बच्चों की तुलना में देरी से बैठना या चलना सीखना
- याददाश्त की समस्या
- कार्यों के परिणामों को समझने में असमर्थता
- तार्किक रूप से सोचने में असमर्थता
- जिज्ञासा की कमी
- सीखने में दिक्कत होना
- चीजें याद रखने में कठिनाई होना
- स्कूल द्वारा आवश्यक शिक्षा संबंधी कामों को पूरा करने में असमर्थता
- 70 से कम आईक्यू
- बात करने में असमर्थता, खुद की देखभाल न कर पाना
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मानसिक मंदता के कारण
- जन्म के पूर्व कारण (जन्म के पहले का कारण) : अगर किसी बच्चे के माता-पिता में से कोई एक या दोनों ही मानसिक विकलांगता का शिकार हैं, तो बच्चे में यह स्थिति विकसित होने की संभावना अत्याधिक बढ़ जाती है।
- जन्म से पहले आघात, जैसे संक्रमण या शराब, ड्रग्स या अन्य विषाक्त पदार्थों का सेवन।
- मैटरनल इंफेक्शन जैसे – रूबेला, टोक्सोप्लास्मोसिस, साइटोमेगालोवायरस संक्रमण, सिफलिस, एचआईवी
- जन्म के दौरान आघात, जैसे कि ऑक्सीजन की कमी या समय से पहले प्रसव
- मातृ रोग जैसे – डायबिटीज, हृदय संबंधी रोग, किडनी की बीमारी आदि
- आनुवांशिक विकार, जैसे कि फेनिलकेटोनुरिया (पीकेयू) या टीए-सैक्स रोग
- क्रोमोसोम असामान्यताएं जैसे डाउन सिंड्रोम
- सीसा या पारा विषाक्तता
- गंभीर कुपोषण या अन्य आहार संबंधी समस्याएं (जैसे-आयोडीन की कमी, विटामिन बी 9 की कमी)
- बचपन की बीमारी, जैसे कि काली खांसी, खसरा या मेनिन्जाइटिस
- मस्तिष्क की गंभीर चोट
- गर्भावस्था की जटिलाताएं : गर्भावस्था में हाई बीपी, बच्चे के जन्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, प्लेसेंटल डिसफंक्शन (Placental dysfunction)
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मानसिक मंदता का निदान कैसे किया जाता है?
बच्चा बौद्धिक रूप से रोजमर्रा के काम करने और अपनी उम्र के हिसाब से चीजों को समझने में कुशल होना चाहिए। चिकित्सक आपके बच्चे का तीन-भाग में मूल्यांकन करेंगे :
- पेरेंट्स से बात
- बच्चे से बातचीत
- मानक परीक्षण
आपके बच्चे को स्टैनफोर्ड-बिनेट इंटेलिजेंस टेस्ट जैसे मानक परीक्षण दिए जाएंगे। इससे डॉक्टर को आपके बच्चे का IQ निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
डॉक्टर अन्य परीक्षण भी कर सकते हैं। आजकल स्कूलों में भी इस तरह के कई शिविर लगाए जा रहे है जहां बच्चों की प्रतिभा को परखा जा सके।
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मानसिक मंदता से बचाव कैसे करें?
मानसिक मंदता की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
- कुछ रोगों के खिलाफ टीकाकरण करना, जैसे खसरा और हेपेटाइटिस बी आदि। यह टीकाकरण ऐसी कई बीमारियों की रोकथाम करता है जो मानसिक मंदता का कारण बन सकती हैं।
- फेनाइलकाटोनूरिया (PKU) और हाइपोथायरॉइडिज़्म (Hyperthyroidism) के लिए नवजात शिशु की जांच जरूरी है। अगर ये समस्याएं दिखती हैं तो उनका तुरंत ट्रीटमेंट होना बहुत जरूरी है। ये बीमारियां बौद्धिक मंदता जैसे विकारों को जल्दी ही ग्रहण कर लेती हैं, इसलिए इन समस्याओं का इलाज करना मानसिक मंदता का बचाव करने का सबसे पहला कदम हो सकता है।
- जन्म के समय अच्छी देखभाल भी मानसिक विकलांगता की रोकथाम करने में मदद कर सकती है।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को शराब आदि पीने के जोखिमों और प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छा पोषण लेते रहने की आवश्यकता के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
- कुछ प्रकार के टेस्ट जैसे अल्ट्रासोनोग्राफी आदि यह बता सकते हैं कि गर्भ में भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।
- सभी बच्चों की बाल चिकित्सा देखभाल के तहत नियमित रूप से शारीरिक और मानसिक विकास संबंधी जांच होनी चाहिए।
जांच विशेष रूप से उन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन पर ध्यान नहीं दिया गया है या जो कुपोषित हैं या फिर उन बच्चों के लिए जो ऐसी स्थितियों में रहते हैं, जहां रोग फैलने की संभावनाएं हैं।
मानसिक मंदता का उपचार
बौद्धिक मंदता का उपचार कैसे किया जा सकता है?
काउंसलिंग के जरिए बच्चों में सुरक्षा संबंधी जोखिमों को कम किया जा सकता है और उचित और योग्य जीवन कौशल सिखाया जा सकता है।
मानसिक मंदता के उपचार में बच्चे की क्षमता को पूरी तरह विकसित करने का लक्ष्य रखा जाता है। बौद्धिक रूप से अक्षम बच्चे की मदद करने के लिए निम्न स्टेप्स फॉलो किए जा सकते हैं –
- मानसिक मंदता (बौद्धिक विकलांगता) के बारे में जितना हो सके उतना जानने की कोशिश करें। इसके बारे में आप जितनी जानकारी प्राप्त करेंगे उतना ही अच्छे से आप अपने बच्चे की सहायता कर पाएंगे।
- अपने बच्चे को ग्रुप की गतिविधियों में शामिल करें। उसको आर्ट क्लास में भेजें या खेल-कूद में भाग लेने दें, क्योंकि ऐसी गतिविधियों से बच्चे में सामाजिक कौशल विकसित होता है।
- बच्चे को स्वतंत्र रहने के लिए प्रोत्साहित करें। कोशिश करें कि आपका बच्चा नई-नई चीजें सीखे और उन्हें खुद करने की कोशिश करे। आवश्यकता पड़ने पर ही बच्चे को मार्गदर्शन दें और अगर वह कुछ अच्छा करता है या कोई नई चीज सीखता है तो उसकी प्रशंसा करके उसका हौसला बढ़ाएं।
- किसी अन्य मानसिक मंदता से ग्रस्त बच्चे के पेरेंट्स से मिलें और उनसे बातचीत करें। वे आपके लिए सलाह और भावनात्मक समर्थन का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं।
- जब आपका बच्चा स्कूल जाने के लिए तैयार होता है, तो उसकी शैक्षिक आवश्यकताओं में मदद करने के लिए एक वैयक्तिकृत शिक्षा कार्यक्रम (IEP) में उसे शामिल करें। आईडी (intellectual disability) वाले सभी बच्चे विशेष शिक्षा से लाभांवित होते हैं।
- बच्चे के टीचर के साथ संपर्क में रहें और उसकी एक्टिविटीज में शामिल हों। बच्चा जो भी स्कूल में सीखता है उसका घर पर अभ्यास करवाएं ताकि बच्चा अच्छी तरह से उसे सीख सके।
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ये समस्या इतनी भी गभीर नहीं है कि इसका सामना नहीं किया जा सकता है। जरूरी है कि हम सर्तक रहें और किसी भी संकेत के दिखने पर तुरंत एक्शन लें।
मानसिक मंदता इंसान के लिए कई विकट स्थितियां पैदा कर सकती है, लेकिन ये इसके आगे आप हार नहीं मान सकते हैं। मानसिक मंदता से पीड़ित बच्चों को हमें स्पेशल ट्रीटमेंट देने की जरूरत है।
उन्हें समझाने और सिखाने के लिए हमें कई तरह के नए विकल्पों को तलाशना होगा। इंसान में सीखने की प्रवृत्ति हमेशा रहती है। कोई जल्दी सीख जाता है तो किसी को कम समय लगता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।