आज भी कई लोगों को लगता है कि पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से गर्भ नहीं ठहरता, लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस दौरान प्रेग्नेंसी की संभावना कम होती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि प्रेग्नेंसी बिल्कुल नहीं हो सकती। इसलिए यदि आप अभी प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं, तो पीरियड्स के दौरान भी सुरक्षित संबंध ही बनाएं, वरना अनप्रोटेक्डेट सेक्स से आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खासतौर पर जिन महिलाओं के पीरियड साइकल छोटे होते हैं, इस दौरान अनप्रोटेक्डेट सेक्स से उनके गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। यदि आप फैमिली प्लानिंग नहीं कर ही हैं तो आपको अपने ओव्यूलेशन पीरियड की जानकारी होनी चाहिए जिससे आपको पता चल सके कि आप कब ज्यादा फर्टाइल होती हैं और प्रेग्नेंसी से बचने के लिए सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि क्या है?
सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि का पता लगाने के लिए ओव्यूलेशन के बारे में जानना जरूरी है
सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि यानी वह समय जानना चाहते हैं जब फर्टिलिटी सबसे कम होती है तो आपको अपने ओव्यूलेशन पीरियड की जानकारी होनी चाहिए। ओवरी से एग (अंडा) निकलने की क्रिया को ओव्यूलेशन कहते हैं। महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से अंडा गर्भाशय तक पहुंचता है और फैलोपियन ट्यूब ही वह जगह जहां एग और स्पर्म फर्टिलाइज होते हैं। आमतौर पर महिलाओं का मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है। ओव्यूलेशन पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले शुरू होता है और अंडे 12 से 24 घंटे तक ही जीवित रहते हैं। इसी बीच यदि अंडे स्पर्म के साथ मिल जाते हैं तो प्रेग्नेंसी ठहर जाती है। आपको बता दें कि महिलाओं के अंडाणु जहां सिर्फ 24 घंटे तक ही जीवित रहते हैं, वहीं स्पर्म 5 से 7 दिनों तक जीवित रह सकता है। महिलाओं के गर्भाशय में एग रीलिज होने की प्रक्रिया 13वें, 14वें, 15वें और 16वें दिन अधिक तीव्र होती है। यानी इस दिन संबंध बनाने पर प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक होती है।
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पीरियड्स के दौरान कैसे ठहर सकता है गर्भ?
पीरियड्स के दौरान अनप्रोटेक्टेड सेक्स से प्रेग्नेंसी की संभावना रहती है। कई बार महिलाएं पीरियड्स के अंतिम दिनों में असुरक्षित संबंध बना लेती हैं यह सोचकर की प्रेग्नेंसी नहीं होगी, लेकिन स्पर्म तो 5-6 दिनों तक जिंदा रहते हैं और महिला का पीरियड साइकल छोटा है तो उसके प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। जो महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं, उनके लिए तो ठीक है, लेकिन जो अनचाहा गर्भ नहीं चाहती, उन्हें हमेशा सेफ सेक्स ही करना चाहिए। हमारे देश में जहां फैमिली प्लानिंग के फैसले अक्सर पुरुष ही लेते हैं, उन्हें भी इस बात की जानकारी होना जरूरी है कि पीरियड्स के दौरान भी गर्भ ठहर सकता है, क्योंकि आम धारणा तो यही है कि उन दिनों में सेक्स से प्रेग्नेंसी नहीं होती है। पुरुषों को भी सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि की जानकारी होनी चाहिए।
कैसे पता करें कि आपका ओव्यूलेशन शुरू हो गया है?
महिलाओं में ओव्यूलेशन शुरू होने पर उन्हें कुछ संकेत दिखाई देते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
- ओव्यूलेशन शुरू पर कई महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में क्रैंप पड़ने लगते हैं और दर्द भी होता है। यह समस्या ओव्यूलेशन खत्म होते ही अपने आप ठीक हो जाती है।
- इस दौरान महिलाओं को सामान्य दिनों की तुलना में अधिक व्हाइट डिस्चार्ज होता है।
- ब्रेस्ट थोड़ा सख्त हो जाता है और हल्का दर्द भी होता है। इस दौरान ब्रेस्ट को टच करने पर दर्द अधिक होता है।
- क्योंकि इस दौरान सेक्स हार्मोन बहुत एक्टिव हो जाते हैं, इसलिए महिलाओं की सेक्स की इच्छा अधिक होती है।
- हार्मोनल बदलाव के कारण कई महिलाओं को मितली की समस्या होती है और उन्हें खाने का टेस्ट भी अच्छा नहीं लगता है।
यदि आप फैमिली प्लानिंग कर रही हैं तो आपको इन लक्षणों पर खास ध्यान देने की जरूरत है और इस दौरान सेक्स करना आपके लिए फायदेमंद होगा, लेकिन आप यदि प्रेग्नेंसी प्लान नहीं कर रही हैं तो इस दौरान संबंध बनाते समय हमेशा प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें, क्योंकि बिना प्रोटेक्शन के यह सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि नहीं है।
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ओव्यूलेशन कैलेंडर से जाने सेक्स के लिए सुरक्षित अवधि
ओव्यूलेशन कैलेंडर की मदद से आप अपने सबसे अधिक फर्टाइल दिनों के बारे में पता कर सकती हैं और उस दौरान सेक्स से समय सावधानी बरत सकती हैं। कई वेबसाइट्स और ऐप्स है जो इसमें आपकी मदद करते हैं। इसमें आपसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं जैसे-
- आपकी लास्ट पीरियड कब शुरू हुआ था?
- आमतौर पर आपके पीरियड कितने दिन तक रहते हैं?
मेन्सट्रुअल साइकल की सारी जानकारी रिकॉर्ड करते रहने से आपकी पीरियड्स से जुड़ी किसी भी तरह की अनियमितता के बारे में भी पता चल जाता है। मार्केट में ओव्यूलेशन किट भी मौजूद है जिसकी मदद से आप अपने फर्टाइल दिनों के बारे में पता कर सकती हैं।
डिसऑर्डर जिससे ओव्यूलेशन प्रभावित हो सकता है
कुछ बीमारियों के कारण ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पर असर पड़ता है और कई मामलों में इन्फर्टिलिटी भी हो सकती है।
पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)
इस समस्या से ग्रसित महिलाओं की ओवरी (अंडाशय) बड़ी होती है जिसमें तरल पदार्थ भरे छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। इसकी वजह से हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और ओव्यूलेशन चक्र प्रभावित होता है। PCOS के अन्य लक्षणों में शामिल है असामान्य बालों का बढ़ा, पिंपल्स, मोटापा आदि। महिलाओं में इंफर्टिलिटी का यह मुख्य कारण है।
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हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन
FSH और LH हार्मोन का प्रोडक्शन जब प्रभावित हो जाता है तब हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन होता है। यह हार्मोन्स ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार है। इनके प्रभावित होने से मासिक धर्म के चक्र पर भी असर पड़ता है। इससे महिलाओं को अनियमित पीरियड्स या पीरियड न आने जैसी समस्याएं हो सकती है।
प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफिशियंसी
एस्ट्रोजन लेवल गिरने पर जब एग प्रोडक्शन मैच्योर होने से पहले ही बंद हो जाता है तो इस स्थिति को प्रीमैच्योर ओवेरियन इंसफिशिंयसी कहते हैं। ऐसा ऑटोइम्यून डिसीज, जेनेटिक असामान्ता या इन्वॉयरमेंटल टॉक्सिन्स के कारण हो सकता है। आमतौर पर यह 40 की उम्र से पहले महिलाओं को होता है।
सेक्स से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अगर आपका कोई सवाल है, तो कृपया इस बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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