हेल्थ इमरजेंसी लागू करने के पीछे दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण था जिसकी वजह से लोगों को अलग-अलग तरह की स्वास्थ संबंधित परेशानियां हो सकती है। वायु प्रदूषण का लगातर बढ़ता स्तर बच्चों के दिमाग के विकास को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों ने एयर पॉल्यूशन को लोगं में हो रही मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बिगड़ने का कारण बताया है। ताजा शोध के अनुसार, यह शारीरिक विकास से कई गुना ज्यादा मानसिक विकास को प्रभावित कर रहा है।
वॉल्टर्स क्लूवर द्वारा लिपिपकॉट पोर्टफोलियो में प्रकाशित एक पत्रिका के अनुसार, किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य में हवा के कणों से होने वाले नुकसान की अधिक आशंका है। शोधकर्ताओं के अनुसार, जैसे जैसे वायू प्रदूषण का स्तर बढ़ा, उसी के साथ डिप्रेशन की चपेट में आने वाले लोगों और खुदकुशी करने वाले लोगों की तादाद में भी उछाल देखने को मिला है। प्रदूषित हवा में मौजूद ये कण नाक से होते हुए हमारे दिमाग तक पहुंच सकते हैं। ये टेंशन वाले हॉर्मोन को बढ़ाने के साथ दिमाग में सूजन, नर्व सेल्स को नुकसान आदि का कारण बन सकता है। ग्लोबल डेटा के अनुसार, जो लोग ज्यादा प्रदूषित हवा वाली जगहों पर रहते हैं उनके डिप्रेशन में होने के और खुदकुशी करने की संभावना अधिक होती है। शोधकर्ताओं की मानें तो, वायु प्रदूषण को कम कर लाखों लोगों को डिप्रेशन में जाने से बचाया जा सकता है।
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क्या है स्टडी
इस अध्ययन के दौरान 144 किशोरों को एक सोशल स्ट्रेस टेस्ट दिया गया, जिसमें पांच मिनट का भाषण और एक गणित टेस्ट शामिल था। किशोरों की हृदय गति और अन्य शारीरिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करने के बाद यह पाया गया कि तनाव के लिए एक हाई ऑटोनॉमिक रेस्पांस के साथ किशोरों में उनके घर के पास पीएम का स्तर 2.5 तक बढ़ गया था।
हालांकि इस स्टडी में प्रदूषित हवा और अधिक तनाव के बीच किसी तरह का कोई कनेक्शन नहीं बताया गया है। लेकिन यह आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जहरीली हवा न्यूरोडेवलपमेंट और कॉग्नेटिव डेवलेपमेंट को भी नुकसान पहुंचा सकती है।