के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
एकैल्शिया एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो आमतौर पर ग्रासनली को प्रभावित करती है। ग्रासनली एक ट्यूब है जो गले से पेट तक भोजन पहुंचाने का कार्य करती है। लोअर एसोफेजियल स्पिंक्टर एक मस्कुलर रिंग होता है पेट से ग्रासनली को बंद कर देता है। एकैल्शिया होने पर लोअर एसोफेजियल स्पिंक्टर भोजन चबाते समय नहीं खुलता है जिसके कारण भोजन ग्रासनली में ही रह जाता है। यह स्थिति ग्रासनली के तंत्रिकाओं को भी डैमेज करती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को भोजन निगलने में परेशानी होती है और ग्रासनली में बेचैनी का अनुभव होता है।
इस बीमारी से पीड़ित दो तिहाई मरीजों के शरीर की ग्रासनली सामान्य तरीके से संकुचित नहीं हो पाती है जिसके कारण भोजन लार के साथ मिलकर ग्रासनली से होते हुए पेट में नहीं पहुंच पाता है। एकैल्शिया होने पर व्यक्ति को उल्टी, अपच, छाती में दर्द, जलन और वजन घटने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
एकैल्शिया एक रेयर डिसॉर्डर है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग एकैल्शिया से पीड़ित हैं। जबकि अमेरिया में प्रत्येक वर्ष लगभग 3000 लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। यह वयस्कों के साथ बच्चों को भी प्रभावित करता है। इसके साथ ही बूढ़े लोगों के शरीर पर भी इस बीमारी का असर पड़ता है। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों में यह बीमारी बहुत आम है। हालांकि यह बीमारी आनुवांशिक नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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एकैल्शिया शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। इस बीमारी के लक्षण महीनों या वर्षों तक रहते हैं। एकैल्शिया से पीड़ित व्यक्ति को प्रायः भोजन निगलने में कठिनाई होती है या भोजन ग्रासनली में फंसा हुआ महसूस होता है। यह बीमारी 25 से 60 साल के लोगों को प्रभावित करती है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से गले में कफ जमने के कारण सांस लेने में तकलीफ, गले में भोजन फंसने जैसी दिक्कतें महसूस होती हैं। इसके अलावा कई बार ग्रासनली में भोजन वापस आने लगता है और एसिड रिफ्लक्स जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर एकैल्शिया अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आपके सीने में दर्द, जलन, घबराहट, लिक्विड या सॉलिड डाइट लेने में कठिनाई होने का साथ ही लगातार वजन घटे तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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एकैल्शियाअलग-अलग कारणों से होता है। इस बीमारी का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। यह समस्या आनुवांशिक या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण हो सकती है। ऐसी स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती है। ग्रासनली में तंत्रिकाओं के क्षय के कारण एकैल्शिया के लक्षण नजर आने लगते हैं।
अन्य बीमारियों के लक्षण भी एकैल्शिया के जैसे ही नजर आते हैं। ग्रासनली में कैंसर इस बीमारी का एक अन्य कारण हो सकता है। साथ ही परजीवी इंफेक्शन के कारण भी यह बीमारी होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में ग्रासनली की मांसपेशियां सामान्य रुप से नहीं सिकुड़ पाती हैं।
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एकैल्शिया एक दुर्लभ बीमारी है जो धीरे-धीरे विकसित होती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को ठोस आहार और तरल पदार्थ निगलने में काफी कठिनाई होती है। एडवांस कंडीशन में एकैल्शिया के कारण वजन घटना और कुपोषण जैसी समस्या हो सकती है। सिर्फ यही नहीं एकैल्शिया के कारण ग्रासनली में कैंसर का भी जोखिम हो सकता है। इसके अलावा व्यक्ति को अपने ग्रासनली में हमेशा कुछ अटका हुआ सा महसूस होता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
एकैल्शिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
इसके अलावा मरीज को तरल बेरियम निगलने के लिए कहा जाता है और एकैल्शिया का निदान किया जाता है। बेरियम निगलने के बाद डॉक्टर मरीज के ग्रासनली में एक्सरे के माध्यम से बेरियम के मूवमेंट की जांच की जाती है। कुछ मरीजों में डॉक्टर निमोनिया और फेफड़े के इंफेक्शन की जांच करके भी इस बीमारी का निदान करते हैं।
एकैल्शिया का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में एकैल्शिया के असर को कम किया जाता है। एकैल्शिया के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा डॉक्टर मुंह के माध्यम से गले के नीचे एंडोस्कोप डालकर ग्रासनली की परत में एक चीरा लगाते हैं। इसके अलावा एसोफेजियल स्फिंक्टर की मांसपेशियों को भी काटते हैं। इससे एकैल्सिया का प्रभाव कम हो जाता है। इस प्रक्रिया को पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी कहा जाता है।
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अगर आपको एकैल्शिया है तो आपके डॉक्टर अधिक से अधिक पानी पीने के लिए बताएंगे और भोजन करते समय भी बीच-बीच में पानी पीने के लिए कहेंगे। इससे मरीज को भोजन निगलने में परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा एकैल्शिया से पीड़ित मरीज को डॉक्टर ठोस की बजाय लिक्विड डाइट लेने की सलाह देंगे। सिर्फ इतना ही नहीं इस दौरान कार्बोनेटेड पेय पदार्थ का सेवन करने से ग्रासनली पर दबाव बढ़ता है और यह आसानी से पेट में चला जाता है।
यदि एकैल्शिया से ग्रसित मरीज का वजन घट रहा हो तो डॉक्टर दिन में कई बार हेल्दी लिक्विड डाइट सप्लिमेंट लेने के लिए कहेंगे। साथ ही कुपोषण और कमजोरी से बचने के लिए पोषक तत्वों, विटामिन और मिनरल से भरपूर आहार लेना चाहिए। एकैल्शिया से पीड़ित मरीज को निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
यदि आप एकैल्शिया से पीड़ित हैं तो आपको ऐसे किसी भी आहार का सेवन करने से परहेज करना चाहिए जिन्हें निगलने में कठिनाई महसूस हो। इसके साथ ही पेट में कब्ज या गैस उत्पन्न करने वाली भी कोई चीज नहीं खानी चाहिए। जीवनशैली में बदलाव और खानपान की सही आदतें अपनाकर भी इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। ग्रासनली में किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए और उचित इलाज कराना चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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