परिचय
निल शुक्राणु (Azoospermia) क्या है?
सेमिनल फ्लूइड पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण है। जिन पुरुषों के वीर्य या सीमेन में शुक्राणु नहीं होते हैं, उन्हें निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) की परेशानी होती है। एक साल तक बिना प्रोटेक्शन के सेक्स करने के बाद भी यदि प्रग्नेंसी नहीं होती है तो पुरुष या महिला में से किसी एक को फर्टिलिटी की परेशानी हो सकती है। इन्फर्टाइल कपल्स में 40 प्रतिशत पुरुषों को फर्टिलिटी की परेशानी होती है।
निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) के बीमारी में आप इजैक्युलेट तो करते हैं लेकिन इसमें शुक्राणु नहीं होते हैं। आपने ‘लो स्पर्म काउंट‘ के बारे में सुना होगा लेकिन निल शुक्राणु से तात्पर्य है ‘नो स्पर्म काउंट‘।
निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) तीन तरह के होते हैं:
प्री टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Pre-testicular azoospermia): प्री टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया शुक्राणु बनाने के लिए जिम्मेदार हार्मोन के ठीक से उत्पादन न होने के कारण होता है। इसमें आपके अंडकोष सामान्य होते हैं लेकिन आपका शरीर उन्हें शुक्राणु नहीं बनाने देता। ऐसा शुक्राणु बनाने वाले हॉर्मोन के कम स्तर के कारण होता है। कई लोगों में कीमोथेरेपी के बाद भी यह परेशानी हो सकती है।
टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Testicular azoospermia): टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया अंडकोष के कार्य या संरचना में किसी भी तरह की असामान्यता के कारण होता है।
पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया (Post-testicular azoospermia): पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में किसी तरह की रुकावट के कारण इजैक्युलेशन में समस्या के कारण होता है।
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लक्षण
निल शुक्राणु (Azoospermia) के लक्षण क्या हैं?
हो सकता है आपको निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) के कोई लक्षण नजर न आएं। इसके बारे में आपको तब पता चले जब आप गर्भधारण के प्रयास में लगातार असफल हो रहे हो। यदि आपको कोई लक्षण नजर आ रहे हैं तो इसका संबंध हॉर्मोनल असंतुलन या जेनेटिक क्रोमोसोमल कंडिशन से हो सकता है। निल शुक्राणु के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- लो सेक्स ड्राइव (low sex drive)
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन (erectile dysfunction)
- अंडकोष के आसपास सूजन, बेचैनी या गांठ (lump, swelling, or discomfort around the testicles)
- चेहरे या शरीर पर कम बाल (decreased hair on the face or body)
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कारण
निल शुक्राणु (Azoospermia) के क्या कारण हैं?
10% से 15% पुरुषों में लो और नो स्पर्म प्रोडक्शन की समस्या जेनेटिक होती है। क्रोमोसोम में डिफेक्ट के कारण स्पर्म के साइज और नंबर पर असर पड़ता है।
टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया: इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में इंफेक्शन जैसे एपिडिडीमाइटिस (epididymitis) और यूरेथ्राटिस (urethritis)
- ग्रोइन इंजरी (groin injury)
- अंडकोष की अनुपस्थिति (एनोर्चिया)
- अंडकोष जो शुक्राणु पैदा नहीं करते हैं (सर्टोली सेल-ओनली सिंड्रोम)
- बचपन की बीमारी जैसे वायरल ऑर्काइटिस (viral orchitis), जिसके कारण एक या दोनों अंडकोष में सूजन हो
- अंडकोष जो परिपक्व शुक्राणु पैदा नहीं करते (स्पर्मेटोजेनिक अरेस्ट)
- कैंसर या कैंसर के इलाज जैसे रेडिएशन थेरिपी
- जेनेटिक कंडिशन जैसे क्लाइनेफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter’s syndrome)
पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया : पोस्ट टेस्टीक्युलर एजुस्पर्मिया रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में किसी तरह की रुकावट के कारण होता है। इसमें अंडकोष सामान्य शुक्राणु बनाते हैं, लेकिन कुछ उन्हें बाहर निकलने से रोकता है, जैसे:
- पुरुष नसबंदी (vasectomy)
- अंडकोष से आपके लिंग तक शुक्राणु ले जाने वाली ट्यूब में रुकावट
- रेट्रोग्रेड इजेक्युलेशन (Retrograde ejaculation), इसमें संभोग के दौरान वीर्य पेनिस की जगह ब्लेडर में चला जाता है
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निदान
निल शुक्राणु (Azoospermia) के बारे में पता कैसे लगाएं?
निल शुक्राणु का पता लगाने का जो सबसे बेसिक तरीका है वो है सीमेन एनालिसिस (semen analysis) टेस्ट। इसके लिए आपका डॉक्टर आपको एक कप में इजैक्युलेट करने के लिए कहेगा। परीक्षण के लिए यह नमूना लैब में भेजा जाएगा। यदि इजैक्युलेट में नो लिविंग स्पर्म देखा जाता है तो संभव है कि आपको निल शुक्राणु की समस्या है।
फिजिकल एग्जाम के साथ आपका डॉक्टर आपका मेडिकल हिस्ट्री देखेगा। इसके लिए डॉक्टर आपसे नीचे बताए सवाल पूछ सकता है:
- आपकी फर्टिलिटी हिस्ट्री,
- युरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन या सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज की हिस्ट्री के बारे में
- आपके परिवार की हिस्ट्री, परिवार में किसी को सिस्टिक फाइब्रोसिस या फर्टिलिटी संबंधित परेशानी हो
- पेल्विक एरिया या रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में आपने कोई सर्जरी कराई हो
- रेडिएशन या कीमोथेरेपी ले रहे हैं या पहले कभी ली है
- कोई दवा ले रहे हैं
- हाल ही में कोई बीमारी हुई हो
निल शुक्राणु की समस्या को डायग्नोस के लिए ये टेस्ट कराने के लिए भी कह सकता है आपका डॉक्टर:
- हॉर्मोन के स्तर या आनुवंशिक स्थितियों का मूल्यांकन करने के लिए रक्त परीक्षण (blood tests to evaluate hormone levels or genetic conditions)
- स्पर्म के उत्पादन की बारीकी से जांच के लिए बायोप्सी (biopsies to more closely examine sperm production)
- स्कोर्टम (scrotum ) और रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट (reproductive tract) के अन्य हिस्सों को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड
- हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि से जुड़ी समस्या को देखने के लिए ब्रेन इमेजिंग
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उपचार
निल शुक्राणु (Azoospermia) का उपचार कैसे किया जाता है?
निल शुक्राणु की समस्या को समझने और इलाज के लिए जेनेटिक टेस्टिंग और काउंसलिंग बेहद आवश्यक हैं।
- ओब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के मामले में बाधित या ठीक से काम न करने वाली नलिकाओं का पुनर्निर्माण या पुन: संयोजन किया जा सकता है। यदि हॉर्मोन के उत्पादन के कारण समस्या हो रही है तो इसके लिए डॉक्टर हॉर्मोन ट्रीटमेंट दे सकते हैं।
- यदि लिविंग स्पर्म मौजूद है, तो विट्रो फर्टिलाइजेशन या इंट्रासाइटोप्लास्टी स्पाइन इंजेक्शन जैसे असिस्टेड प्रेग्नेंसी के उद्देश्य से उन्हें वृषण से प्राप्त किया जा सकता है। जिन पुरुषों को नॉन ओब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया की समस्या है या फिर जो सर्जरी नहीं कराना चाहते यह विकल्प उनके लिए अच्छा ऑप्शन है। इसके लिए अंडकोष से स्पर्म को एक सुई का उपयोग कर लेना है। इसे नमूने को विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) में उपयोग करने के लिए फ्रीज कर सकते हैं।
- जिन पुरुषों में ओब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया की समस्या होती है उनके स्पर्म का निषेचन करने से पहले आनुवंशिक विश्लेषण कराना चाहिए। इससे यह मालूम होगा कि उन्हें कोई आनुवंशिक जोखिम तो नहीं है, जो आगे उनके बच्चों में पास हो सकता है।
- ओब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कई मामलों में सर्जरी कर ब्लॉकेज को रिमूव किया जाता है। इसके ज्यादातर मामलों में सर्जरी के अच्छे परिणाम देखे गए हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और निल शुक्राणुओं से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।