मूल बातों को जानें
क्लॉडिकेशन (Claudication) क्या होता है?
अगर चलते-फिरते समय अचानक आपकी जांघ या पैरों की मांसपेशियों में दर्द (Muscles pain) होता है, तो इसका मतलब आपको क्लॉडिकेशन की समस्या हो सकती है। क्लॉडिकेशन की समस्या अक्सर एक्सरसाइज करने से होती है। दरअसल, एक्सरसाइज के दौरान आपकी मांसपेशियों में बहुत कम रक्त प्रवाह होने के कारण क्लॉडिकेशन (Claudication) दर्द होता है। इस स्थिति को आंतरायिक क्लॉडिकेशन (Intermittent claudication) भी कहा जाता है क्योंकि दर्द आमतौर पर स्थिर नहीं होता है। ऐसा ब्लड सर्कुलेशन धीमा होने की वजह से होता है। क्लॉडिकेशन धमनी रोग का एक लक्षण हो सकता है। जब पैर की धमनी सिकुड़ जाती है तो मांसपेशियों में खून का प्रवाह कम हो जाता है। इससे पैरों में अकड़न पैदा हो जाती है। फिर चलते समय दर्द महसूस होता है। आमतौर पर आराम करने के बाद यह दर्द चला जाता है। क्लॉडिकेशन की समस्या उन व्यक्तियों में ज्यादा दिखती है जिन्हें दिल या मस्तिष्क से जुड़ी कोई बीमारी होती है। क्लॉडिकेशन से हार्ट अटैक आने की भी संभावना ज्यादा होती है। ये बीमारी होने पर सही उपचार की जरूरत होती है। आमतौर पर क्लॉडिकेशन का असर चलते समय दिखाई देता है। कभी-कभी ये दर्द इतना बढ़ जाता है कि मरीज चल भी नहीं पाता है।
कितना आम है क्लॉडिकेशन (Claudication)?
यह शारीरिक परेशानी उन लोगों में ज्यादा होती है जिन्हें ब्लड सर्क्युलेशन (Blood circulation) विशेषकर पैरों में ब्लड फ्लो (Blood flow) या पेरीफेरल आरट्री डिजीज (Peripheral artery disease (PAD) की समस्या होती हैं। यह समस्या व्यायाम के दौरान शुरू होता है और आराम के साथ समाप्त होता है। इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
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लक्षण
क्लॉडिकेशन के सामान्य लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Claudication)
क्लॉडिकेशन के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:—
- व्यायाम करते समय दर्द महसूस हो सकता है। इस दौरान आप अपने पैरों, जांघों और कूल्हों में दर्द या बेचैनी महसूस कर सकते हैं। दुर्लभ मामलों में आपके हाथों में भी क्लॉडिकेशन (Claudication) हो सकता है।
- रह रहकर या बार-बार दर्द का शुरू होना। यह दर्द इतना बढ़ जाता है, कि आप कोई काम भी नहीं कर पाते हैं।
- आराम करने पर भी आपको दर्द की महसूसता हो सकती है। जैसे-जैसे आपकी स्थिति गंभीर होती जाती है तो बैठने या लेटने पर भी आप अपने पैरों में दर्द (Pain) महसूस कर सकते हैं।
- यदि रक्त प्रवाह में कमी आ जाती है तो पैरों की उंगलियां सफेद पड़ने लगती हैं। उंगलियां छूने पर ये एकदम ठंडी रहती हैं। इससे पैर या उंगलियों के निचले हिस्से में घाव भी हो जाता है।
- पैरों में दर्द के साथ जलन भी महसूस हो सकती है।
- शरीर में कमजोरी (Weakness) आ जाती है।
- इसमें आपकी काल्फ, जांघों, नितंबों, कूल्हों और पैरों में दर्द होता है।
- इस स्थिति में आपके कंधे, बाइसेप्स और फोरआर्म्स में भी दर्द हो सकता है।
- इस दौरान हो रहा दर्द, आराम करने के तुरंत बाद ठीक हो जाता है।
- यह दर्द समय के साथ और अधिक गंभीर हो सकता है। आपको आराम करने के बाद भी दर्द शुरू हो सकता है।
इसके अन्य लक्षण में शामिल है?
- त्वचा का ठंडा होना।
- गंभीर दर्द होना।
- त्वचा के रंग में परिवर्तन।
- घाव, जो जल्दी ठीक नहीं होते।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि दिए गए लक्षणों में आप कुछ भी महसूस कर रहे हैं तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें। हर किसी का शरीर अलग तरह से कार्य करता है। इसलिए लक्षण दिखने पर अपने मन से कोई भी दवा ना लें। डॉक्टर से बात करें। कोई भी शारीरिक परेशानी होने पर उसका इलाज खुद करने से बचें। क्योंकि इस तरह की लापरवाही गंभीर समस्या भी पैदा कर सकती है।
कारण
क्लॉडिकेशन के कारण क्या हैं? (Cause of Claudication)
कई चिकित्सा समस्याएं क्लॉडिकेशन का कारण बन सकती हैं, लेकिन सबसे आम परिधीय धमनी रोग (Peripheral artery disease) है। पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होता है, जो धमनियों के अंदरूनी स्तर पर बनने वाली कोलेस्ट्रोल प्लेक के कारण धमनियों को सख्त कर देता है। इन पट्टिकाओं से धमनियों के ब्लॉक होने पर पैरों की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह कम होता है। पैरों की मांसपेशियों को घुमाने या व्यायाम करने से कोशिकाओं में ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए अधिक रक्त प्रवाह की आवश्यकता होती है। अपर्याप्त ऑक्सीजन के परिणामस्वरूप पैरों की मांसपेशियों में दर्द (Muscles pain) और जलन हो सकती है। इसे पैरों में ऐंठन के रूप में भी महसूस किया जा सकता है।
परिधीय धमनी रोग (पीएडी) एक बहुत आम समस्या है, मुख्य रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में यह होता है। पीएडी मुख्य रूप से पैरों में या शरीर की मुख्य धमनी (महाधमनी) में संकुचित या अवरुद्ध धमनियों के कारण होता है। यह आपकी काल्फ, जांघ या नितंब की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है। यह कम रक्त प्रवाह दर्द का कारण हो सकता है, जो कि बदहजमी की ओर ले जाता है।
ब्लॉकेज आमतौर पर संकुचित और कठोर धमनियों (एथेरोस्क्लेरोसिस) के कारण होता है। यह धमनियों के अंदर प्लाक बिल्ड-अप के कारण होता है। प्लाक फैट, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में अन्य पदार्थों से बना होता है। यह पट्टिका निर्माण आपके दिल की धमनियों को भी प्रभावित कर सकता है। इससे सीने में दर्द या दिल का दौरा पड़ सकता है।
पैर में होने वाली ब्लॉकेज जांघ और घुटने के पीछे होना सबसे आम है। लेकिन वे शरीर के अन्य हिस्सों जैसे महाधमनी, कमर या पेट में भी हो सकती हैं। इसके अलावा, आपको 1 से अधिक ब्लॉकेज भी हो सकती हैं।
इसके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:-
- इस समस्या में आपके पैरों में धमनी के ब्लॉक होने के कारण अकड़न हो जाती है।
- ज्यादा फैटी पदार्थों के खाने और कैल्शियम (Calcium) की कमी के कारण धमनी में ब्लॉकेज हो सकता है।
- पैरों में खून का प्रवाह धीमा होने के साथ शरीर के अन्य हिस्सों में भी ब्लड सर्कुलेशन स्लो हो सकता है। जिसमें महाधमनी, कमर या पेट शामिल हैं।
- ये आपके पेट या पैर में उभरी हुई धमनी के कारण हो सकता है।
- ये क्षतिग्रस्त नसों (परिधीय न्यूरोपैथी) के कारण हो सकता है।
- नैरो स्पाइनल कैनाल (स्पाइनल स्टेनोसिस) के कारण हो सकते हैं।
खतरों के कारण
क्या चीजें हैं जो क्लॉडिकेशन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं? (Risk factor of Claudication)
ऐसी कई प्रकार की चीजें है, जो इसके जोखिम को बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं क्लॉडिकेशन और भी कई तरह के रोगों को जन्म देने का कारण भी बन सकता है। इसलिए सही समय पर इसका इलाज करना बेहद आवश्यक होता है। क्लॉडिकेशन होने के कई जोखिम कारक इस प्रकार से हैं, जैसे:
- धूम्रपान (Smoking) अधिक करना
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) ज्यादा होना
- ब्लड प्रेशर ज्यादा होना
- शरीर का वजन बढ़ना
- डायबिटीज (Diabetes) की समस्या
- उम्र 70 साल से ज्यादा हो गई हो
- 50 वर्ष से ज्याद उम्र वाले वो लोग जो धूम्रपान भी करते हैं
- घर में अगर पहले भी किसी को ये बीमारी हुई हो तो आपको भी हो सकती है।
इसलिए ऊपर बताई गई बुरी आदतों से बचना ही हेल्दी हेल्थ का सीक्रेट होता है। ये आपको क्लॉडिकेशन की समस्या से बचाने में मदद कर सकता है।
जांच और इलाज
क्लॉडिकेशन का परीक्षण कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Claudication)
इसका परिक्षण निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
- इसमें डॉक्टर आपके शरीर की पूरी जांच करेंगे।
- डॉक्टर आपके हाथों और ब्लड प्रेशर चेक करेंगे।
- इसके लिए वह हाथ-पैरों का अल्ट्रासाउंड भी करवा सकते हैं।
- इसके लिए एंकल-ब्राचियल इंडेक्स (एबीआई)भी करवा सकते हैं।
- पेट या पैरों की धमनियों की जांच स्टेथोस्कोप के जरिए की जा सकती है।
- इसमें MRA (Magnetic resonance angiography) भी करवा सकते हैं।
- इसमें CTA (Computed tomography angiography) स्कैन भी करवा सकते हैं।
- पैरों में कितना ब्लॉकेज है ये जानने के लिए एक्स-रे भी करवाया जा
सकता है।
क्लॉडिकेशन का इलाज कैसे करें? (Treatment for Claudication)
इस शारीरिक परेशानी को दूर करने करने के लिए निम्नलिखित तरह से हेल्थ एक्सपर्ट इलाज कर सकते हैं। जैसे-
- क्लॉडिकेशन (Claudication) के उपचार से बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव जैसे धूम्रपान छोड़ना और नियमित
व्यायाम करने से भी पैरों की अकड़न चली जाती है।
- पैरों में जमने वाले खून के थक्कों को कम करने के लिए डॉक्टर एस्पिरिन (Aspirin) लेने की सलाह दे सकता है।
- खून के थक्कों को खत्म करने के लिए अन्य दवाएं हैं— क्लोपिडोग्रेल, डिपाइरिडामोल और टिक्लोपिडीन।
- इसके अलावा डॉक्टर आपके कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कम करने के लिए एक दवा (स्टेटिन) भी लिखेगा।
- क्लॉडिकेशन और धमनी रोग के मामले ज्यादा गंभीर होते हैं। उन्हें एंजियोप्लास्टी की आवश्यकता हो सकती है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो एक पतले ट्यूब का उपयोग करके धमनियों को चौड़ा करती है।
- इससे पैरों में रक्त का प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है।
- आपका डॉक्टर सर्जरी करवाने के लिए भी कह सकता है।
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जीवन शैली और घरेलू उपाय
जीवनशैली बदलाव और घरेलू उपाय क्या हैं?
क्लॉडिकेशन (Claudication) की समस्या से बचने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। जैसे:
· धूम्रपान (Smoking) बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
· नियमित रूप से वर्कआउट (Workout) करें। रेगुलर व्यायाम करने से आपको बहुत राहत मिलेगी। व्यायाम करने से शरीर की नसें और मांसपेशियां खुल जाती हैं और खून का संचार होने लगता है।
· पैदल चलना (Walking) भी जरूरी है। रोजाना वॉक करने की आदत डालें।
· समय-समय पर अपने कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की जांच कराते रहें।
· कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने पर डॉक्टर से पूछकर अपने आहार में बदलाव करें। तेल-मसाला और स्ट्रीट फूड (Street food) के सेवन से बचें।
· बिना डॉक्टर की जांच के कोई भी दवा न लें।
· इस बीमारी के दौरान पंजों और पैरों को चोट लगने से बचाएं।
इन घरेलू उपाय को अपना कर हेल्दी रहा जा सकता है।
अगर आप क्लॉडिकेशन (Claudication) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।