परिचय
डर्मेटोमायोसाइटिस क्या है?
डर्मेटोमायोसाइटिस एक गंभीर इंफ्लमेट्री डिजीज है। डर्मेटोमायोसाइटिस में त्वचा पर लाल चकते, मांसपेशियां कमजोर और मायोपैथी (मांसपेशियों में दर्द) आदि समस्याएं होती हैं। यह तीन मायोपैथियों में से एक मायोपैथी है।
कितना सामान्य है डर्मेटोमायोसाइटिस होना?
डर्मेटोमायोसाइटिस बड़े और बच्चे दोनों को प्रभावित करती है और यह महिला और पुरुष दोनों में ही होने वाली परेशानी है। बड़ों में ये समस्या 40 से 60 साल के उम्र के बीच होती है। वहीं, डर्मेटोमायोसाइटिस 5 से 15 साल के बच्चों में देखने को मिलती है। डर्मेटोमायोसाइटिस पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को होता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
डर्मेटोमायोसाइटिस के क्या लक्षण हैं?
डर्मेटोमायोसाइटिस के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
- डर्मेटोमायोसाइटिस में त्वचा पर लाल या बैंगनी रंग के रैशेज हो जाते हैं। ये रैशेज ज्यादातर चेहरे, पलकों, अंगुलियों के पोरों, कोहनी, घुटने, सीने और पीठ पर होते हैं। इन रैशेज में दर्द और खुजली होती है।
- मांसपेशिया कमजोर हो जाती हैं। इसमें हिप्स, जांघों, कंधे, बाजुओं और गर्दन की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ये कमजोरी शरीर के दोनों हिस्सों में होती है।
इसके अलावा डर्मेटोमायोसाइटिस के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
आपको अपने डॉक्टर से निम्न समस्याएं सामने आने पर मिलना चाहिए :
- मांसपेशियों का कमजोर होना
- त्वचा पर रैशेज होना
इसके साथ ही स्किन से जुड़ी किसी तरह की परेशानी होने पर इसे नजअंदाज न करें और जल्द-से-जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
कारण
डर्मेटोमायोसाइटिस होने के कारण क्या हैं?
डर्मेटोमायोसाइटिस होने का मुख्य करण क्या है इसपर रिसर्च जारी है लेकिन, डर्मेटोमायोसाइटिस के लक्षणों के आधार पर इसे ऑटोइम्यून डिजीज माना जाता है। ऑटोइम्यून डिजीज में बैक्टीरिया या वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडीज स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण शुरू कर देती हैं। जिसके चलते संबंधित व्यक्ति के शरीर में संक्रामक रोग हो जाते हैं, जैसे- वायरल इंफेक्शन या कैंसर। इसी तरह से डर्मेटोमायोसाइटिस भी होता है।
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जोखिम
डर्मेटोमायोसाइटिस से मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
डर्मेटोमायोसाइटिस किसी को भी हो सकता है। ये बड़े और बच्चे दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। बड़ों को 40 से 60 साल के उम्र के बीच और बच्चों को 5 से 15 साल के उम्र के बीच डर्मेटोमायोसाइटिस होता है। डर्मेटोमायोसाइटिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं को होता है।
निम्नलिखित बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। जैसे-
- स्किन अल्सर की परेशानी
- गैस्ट्रिक अल्सर होना
- सांस लेने में परेशानी होना
- लंग्स में इंफेक्शन होना
- खाना खाना और निगलने में परेशानी होना
- कुपोषण होना
- शरीर का वजन कम होना
- टिशू से जुड़ी परेशानी
- कैंसर का खतरा बढ़ना
- मायोकार्डिटिस (हृदय गति असामान्य होना)
इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी हो सकती है। इसलिए डर्मेटोमायोसाइटिस के लक्षण नजर आने पर लापरवाह न रहें और स्वस्थ रहने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डर्मेटोमायोसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है?
डर्मेटोमायोसाइटिस का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर कई टेस्ट कराते हैं :
- डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। ताकि मांसपेशियों में एंजाइम का लेवल पता लगाया जा सके। मांसपेशियों में क्रिएटिन काइनेज और एल्डोलेज एंजाइम पाए जाते हैं। इन एंजाइम के बढ़ने पर मांसपेशियां डैमेज होने लगती हैं। इसके साथ ही डर्मेटोमायोसाइटिस को उत्पन्न करने वाली एंटीबॉडीज का भी पता चल जाता है।
- सीने का एक्स-रे करने से फेफड़े में संक्रमण या डैमेज का पता चलता है। क्योंकि कभी-कभी डर्मेटोमायोसाइटिस के कारण फेफड़े भी डैमेज हो जाते हैं।
- त्वचा संबंधित समस्याओं को जानने के लिए डॉक्टर इलेक्ट्रोड निडिल को त्वचा में डालकर मांसपेशियों को चेक करते हैं। जिससे पता लगाया जाता है कि मांसपेशियों में कितना कसाव और ढीलापन है। साथ ही मांसपेशी को डर्मेटोमायोसाइटिस किस तरह से प्रभावित कर रहा है।
- डर्मेटोमायोसाइटिस में मांसपेशियों की एमआरआई या स्कैनिंग होती है। जिससे मांसपेशियों में सूजन और बढ़े हुए हिस्से को देखा जाता है।
- त्वचा या मांसपेशी की बायोप्सी कर के भी डर्मेटोमायोसाइटिस का पता लगाया जाता है। बायोप्सी में त्वचा का छोटा सा सैंपल निकाल कर जांच के लिए लैब में भेजा जाता है।
डर्मेटोमायोसाइटिस का इलाज कैसे होता है?
डर्मेटोमायोसाइटिस का कोई सटीक इलाज नहीं है। ट्रीटमेंट से डर्मेटोमायोसाइटिस की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। जिसमें दवाओं के साथ फिजिकल थेरिपी और सर्जरी की जाती है। दवाओं में कॉर्टिकोइस्टेरॉइड दिया जाता है। जिसे त्वचा पर लगाया और मुंह से सेवन किया जाता है। डर्मेटोमायोसाइटिस के लिए जिम्मेदार एंटीबॉडीज को ठीक करता है।
इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोब्यूलिन (IVIG)
डर्मेटोमायोसाइटिस में ऐसी एंटीबॉडीज बन जाते हैं जो आपकी त्वचा और मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं। इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोब्यूलिन (IVIG) के द्वारा हेल्दी एंटीबॉडीज डाली जाती है जो डर्मेटोमायोसाइटिस की एंटीबॉडीज को ब्लॉक कर देता है।
अन्य इलाज
डर्मेटोमायोसाइटिस में डॉक्टर अन्य इलाज भी बताते हैं :
- फिजिकल थेरिपी से आपको मांसपेशियों को मजबूती दी जाती है। इसके साथ ही मांसपेशियों के टिश्यू का भी इलाज होता है।
- रैशेज को रोकने के लिए एंटीमलेरियल दवाएं दी जाती हैं।
- पेनकीलर भी दिया जाता है।
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव, जो मुझे डर्मेटोमायोसाइटिस को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
डर्मेटोमायोसाइटिस को जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपाय अपना कर ठीक किया जा सकता है :
- डर्मेटोमायोसाइटिस के लक्षणों के प्रति जागरूकता ही आपका पहला इलाज है। इसलिए अगर आप में डर्मेटोमायोसाइटिस के लक्षण सामने आ रहे हैं तो आप बिल्कुल भी घबराएं नहीं और डॉक्टर के साथ इलाज प्लान करें।
- डर्मेटोमायोसाइटिस से लड़ने के लिए मेडिकल टीम का हिस्सा बनें। क्योंकि मानसिक सपोर्ट से आप इस बीमारी से लड़ सकते हैं।
- नियमित एक्सरसाइज से आप अपनी मांसपेशियों में मजबूती को बनाए रख सकते हैं। इसके लिए आप अपने फिजिकल थेरिपिस्ट से एक्सरसाइज के बारे में पूछ लें।
- जब आपको थकान महसूस हो तो आराम करें। आप जितना आराम करेंगे, आपके शरीर के लिए उतना ही अच्छा होगा।
- डर्मेटोमायोसाइटिस के कारण आप गुस्से या तनाव में रह सकते हैं। इसलिए अपने दोस्तों और परिवार के साथ रहें और खुश रहें।
इसके अलावा इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।