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Esophageal Varices : इसोफेजियल वर्सिस क्या है?

Esophageal Varices : इसोफेजियल वर्सिस क्या है?

परिचय

इसोफेजियल वर्सिस क्या है?

इसोफेजियल वर्सिस पेट या पाचन संबंधित समस्या है। इसमें गले और पेट को जोड़ने वाली नली में खून की नसें बढ़ जाती हैं। इसोफेजियल वर्सिस अक्सर लिवर डिजीज के साथ होता है। इसोफेजियल वर्सिस तब होता है जब लिवर में थक्के या स्कार टिश्यू के द्वारा खून की नस ब्लॉक हो जाती है। इस ब्लॉकेज के कारण आस पास की नसें जो ज्यादा खून नहीं प्रवाहित कर पाती हैं, उनमें खून ज्यादा मात्रा में भरने लगता है। जिससे खून की नसें फट सकती हैं। इससे आपकी जान भी जा सकती है। दवाओं और मेडिकल प्रक्रियाओं के द्वारा होने वाले ब्लीडिंग को रोका जाता है।

कितना सामान्य है इसोफेजियल वर्सिस होना?

इसोफेजियल वर्सिस होना कितना सामान्य है, इससे जुड़ी जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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लक्षण

इसोफेजियल वर्सिस के क्या लक्षण हैं?

इसोफेजियल वर्सिस का कोई मुख्य लक्षण नहीं है कि जिससे पता चल सके कि नसों के फटने से ब्लीडिंग हो रही है या नहीं। इसके अलावा ब्लीडिंग होने के कुछ सामान्य लक्षण सामने आ जाते हैं-

आपके डॉक्टर इसोफेजियल वर्सिस की आशंका तब भी जताते हैं, जब लिवर डिजीज के साथ निम्न लक्षण सामने आते हैं :

इसके अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही इसोफेजियल वर्सिस से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर इसोफेजियल वर्सिस के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।

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कारण

इसोफेजियल वर्सिस होने के कारण क्या हैं?

लिवर एक ऐसा अंग है जो खून से टॉक्सिन को अलग करने का काम करता है। इसलिए पोर्टल वेन लिवर तक खून को पहुंचाने का काम करता है। इसोफेजियल वर्सिस अक्सर उन्ही लोगों में पाया जाता है, जिन्हें लिवर की बीमारी हो। जब रक्त का संचार कम हो जाता है तो लिवर डिजीज हो जाता है।

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हाई ब्लड प्रेशर में पोर्टल वेन ज्यादा दबाव के साथ खून को पास करता है। जिससे नसों की पतली दीवारों पर अतिरिक्त दबाव बनता है। जिस कारण से खून की नसें सूज जाती हैं। वर्सिस पेट के ऊपरी हिस्से में खून की छोटी-छोटी नसें विकसित कर देता है। जब खून की नसों पर ज्यादा दबाव पड़ता है तो वे फट जाती हैं या उनमें से खून रिसने लगता है। अनियंत्रित ब्लीडिंग होने से शॉक या मौत भी हो सकती है।

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जोखिम

इसोफेजियल वर्सिस के मुझे क्या रिस्क हो सकते हैं?

हर किसी को इसोफेजियल वर्सिस में ब्लीडिंग नहीं होती है। लेकिन निम्न मामलों में जोखिम बढ़ जाता है :

  • हाई पोर्टल ब्लड प्रेशर होने पर खून बहने का रिस्क बढ़ जाता है।
  • इसोफेजियल वर्सिस होने का बड़ा कारण खून की नसों का बढ़ना भी है।
  • सिरोसिस या लिवर फेलियर हो जाने पर ब्लीडिंग होने का रिस्क बढ़ जाता है।
  • ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करने से भी ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ जाता है।

निदान

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

इसोफेजियल वर्सिस का निदान कैसे किया जाता है?

अगर आपको सिरोसिस है तो डॉक्टर इसोफेजियल वर्सिस की जांच कराने के लिए कहेंगे। इसोफेजियल वर्सिस का पता निम्न तरह के टेस्ट से लगाया जा सकता है :

  • एंडोस्कोप : एंडोस्कोप के द्वारा इसोफेजियल वर्सिस का पता लगाया जाता है इस प्रक्रिया को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी कहते हैं। डॉक्टर इस जांच को करने के लिए एक पतली, लचीली, हल्की ट्यूब को मुंह के जरिए पेट में डालते हैं। इस उपकरण के ट्यूब में कैमरा लगा होता है। जिसकी मदद से डॉक्टर ब्लीडिंग होने वाले स्थान को देख कर उसी समय ठीक करते हैं। साथ ही खून की नसों का माप भी लेते हैं।
  • इमेजिंग टेस्ट : पेट के हिस्से का सीटी स्कैन किया जाता है और साथ ही डॉप्लर अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है। इससे इसोफेजियल वर्सिस की स्तिथि पता चलती है।
  • कैप्सूल एंडोस्कोपी : इस टेस्ट में डॉक्टर आपको एक कैप्सूल निगलने के लिए देंगे। इस कैप्सूल में एक छोटा कैमरा रहता है, जो आपके पेट के अंदरूनी हिस्सों की तस्वीर भेजता है। ये प्रक्रिया नॉर्मल एंडोस्कोपी से महंगी होती है और हर जगह पर इसकी सुविधा नहीं होती है।

इसोफेजियल वर्सिस पटेला का इलाज कैसे होता है?

इसोफेजियल वर्सिस का प्राथमिक इलाज है खून को बहने से रोकना। क्योंकि इसोफेजियल वर्सिस में ब्लीडिंग होना जानलेवा साबित हो सकती है। इस समस्या का इलाज निम्न तरह से हो सकता है।

ब्लीडिंग का रिस्क कम करने के उपाय

ब्लड प्रेशर को लो रख कर ब्लीडिंग होने के रिस्क को कम किया जा सकता है। बीटा ब्लॉकर दवाओं से ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है। जैसे-प्रोप्रानोलॉल और नैडोलॉल।

ब्लीडिंग के रिस्क को कम करने के लिए डॉक्टर बैंड लाइगेशन करते हैं। इसमें डॉक्टर खून की नसों को इलास्टिक बैंड से बांध देते हैं। जिससे ब्लीडिंग का रिस्क कम हो जाता है। इलास्टिक बैंड को बांधने के लिए एंडोस्कोप का प्रयोग किया जाता है।

ब्लीडिंग को रोकने का ट्रीटमेंट

लगातार ब्लीडिंग होने से आपकी जान को खतरा हो सकता है। अगर ब्लीडिंग हो रही है तो उसे निम्न तरीकों से रोका जा सकता है:

  • जिस नस से ब्लीडिंग हो रही है उसे इलास्टिक बैंड से बांध दिया जाता है।
  • पोर्टल वेन में ब्लड के फ्लो को कम करने के लिए दवाएं दी जाती है। ऑक्ट्रीओटाइड नामक दवा प्रायः एंडोस्कोपिक थेरिपी के दौरान दी जाती है।
  • ब्लड फ्लो को पोर्टल वेन से डाइवर्ट कर के ब्लीडिंग को रोका जाता है। इस प्रक्रिया को ट्रांस जंगल इंट्राहेप्टिक प्रोटोसिस्टेमिक हंट (TIPS) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा एक शंट (छोटी सी ट्यूब) को पोर्टल वेन और हेप्टिक वेन में डाल दिया जाता है। जिससे पोर्टल वेन में ब्लड के द्वारा पड़ने वाला दबाव कम होता है और ब्लीडिंग रुक जाती है। वहीं, TIPS प्रक्रिया के साथ ही लिवर फेलियर और मानसिक भ्रम जैसे रिस्क भी जुड़े हैं। इसलिए TIPS प्रक्रिया सभी उपायों के फेल होने के बाद अपनायी जाती है।
  • ब्लीडिंग होने से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए एंटीबायटिक्स के जरिए संक्रमण के रिस्क को कम किया जाता है।
  • लिवर ट्रांसप्लांट कराने से भी इसोफेजियल वर्सिस का रिस्क कम हो जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प उनके लिए है जिन्हें लिवर से संबंधित कई तरह की समस्याएं हैं।
और पढ़ेंः Earwax Blokage: ईयर वैक्स ब्लॉकेज क्या है?

घरेलू उपचार

जीवनशैली में बदलाव क्या हैं, जो मुझे इसोफेजियल वर्सिस को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Esophageal varices. https://my.clevelandclinic.org/health/articles/esophageal-varices. Accessed on December 15, 2019

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Esophageal Varices https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/15429-esophageal-varices Accessed on December 15, 2019

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Esophageal varices https://www.apollohospitals.com/patient-care/health-and-lifestyle/diseases-and-conditions/esophageal-varices Accessed on December 15, 2019

Current Version

28/05/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Ankita mishra


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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/05/2020

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