के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
ग्लिओमा एक तरह का ट्यूमर होता है। जो ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में पाया जाता है। ग्लूई सपोर्टिव सेल्स, जो नर्व सेल्स को घेरे रहती है और उनकी क्रियाविधि में मदद करती है। उसमें ही ग्लिओमा हो जाता है। ग्लिआल सेल्स तीन प्रकार की होती हैं जो ट्यूमर को बनाती है। जिसके आधार पर ग्लिओमा के प्रकार निम्न हैं :
ग्लिओमा जानलेवा साबित हो सकता है और कभी-कभी तो ये मस्तिष्क के क्रियाविधि को भी प्रभावित करता है। ग्लिओमा सबसे सामान्य प्रकार का ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor) है।
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ग्लिओमा होना कितना सामान्य है, इसकी जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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ग्लिओमा के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
ग्लिओमा के कारण दिमाग (Brain) को जो हिस्सा प्रभावित होता है, उन पर ये सभी लक्षण निर्भर करते हैं। इन लक्षणों के अलावा ग्लिओमा (Glioma) का सबसे खराब रूप वो होता है जब ब्रेन सेल्स नष्ट होने लगती है। मस्तिष्क पर दबाव बनाने लगता है और मस्तिष्क (Brain) में सूजन (Swelling) आ जाती है। इसके अलावा ग्लिओमा के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही ग्लिओमा से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर ग्लिओमा के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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ग्लिओमा प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor) जैसा है। ग्लिओमा किन कारणों से होता है, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ फैक्टर होते हैें जिससे ब्रेन ट्यूमर होता है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
ग्लिओमा का इलाज उसके प्रकार और स्थिति पर निर्भर करता है। जिसमें उम्र और स्वास्थ्य स्थिति भी मायने रखती है। ग्लिओमा का इलाज निम्न प्रकार से किया जाता है :
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एस्ट्रॉसाइटोमास दो तरह के होते हैं, पहला लो ग्रेड और दूसरा हाई ग्रेड। लो ग्रेड एस्ट्रॉसाइटोमास में ट्यूमर ब्रेन के अंदर टिश्यू में पनपता है। जिसकी सर्जरी करनी कठिन होती है। इसलिए इसे ठीक करने के लिए किमोथेरिपी का सहारा लेना पड़ता है।
हाई ग्रेड एस्ट्रॉसाइटोमास को चौथे ग्रेड का ट्यूमर भी कह सकते हैं। जिसके इलाज के लिए किमोथेरिपी के साथ रेडिएशन थेरिपी भी दी जाती है। अगर ट्यूमर दोबारा हो जाता है तो किमोथेरिपी दोबारा की जाती है।
एपेंडाइमॉमस और एनाप्लास्टिक एपेंडाइमॉमस ब्रेन के नॉर्मल टिश्यू में नहीं होता है। इसलिए ये सर्जरी के द्वारा ठीक कर के निकाल दिया जाता है। इसके अलावा रेडिएशन थेरिपी के द्वारा भी इसका इलाज किया जाता है।
ऑलिगोडेंड्रॉग्लिओमास का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। जिसमें रेडिएशन के साथ किमोथेरिपी का प्रयोग किया जाता है। जिससे ट्यूमर सिकुड़ जाता है। इसके बाद सर्जरी की जाती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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