इंडियन जॉर्नल ऑफ कैंसर (Indian Journal of Cancer) में पब्लिश्ड रिपोेर्ट के अनुसार भारत में 50 से 60 प्रतिशत महिलाएं सर्विक्स यूटेरी कैंसर (Cervix Uteri Cancer), ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer), कॉर्पस यूटेरी कैंसर (Corpus Uteri Cancer) और ओवरी कैंसर (Ovary cancer)की समस्या से पीड़ित हैं। इन्हीं में से एक है वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) जो महिलाओं के रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट में होता है। वल्वर कैंसर रेयर कैंसर की लिस्ट में शामिल है। आज इस आर्टिकल में वल्वर कैंसर (वॉलवल कैंसर) से जुड़ी पूरी जानकारी आपसे शयेर करेंगे।
चलिए अब फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन से जुड़े इस कैंसर डिजीज के 8 सवालों का जवाब जानते हैं।
वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) क्या है?
वल्वर कैंसर को मेडिकल में वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) भी कहा जाता है। यह जेनाइटल एरिया के सबसे बाहरी हिस्से पर होने वाली बीमारी है। जेनाइटल एरिया का सबसे बाहरी हिस्सा रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन को प्रोटेक्ट करने का काम करता है। अगर सामान्य शब्दों में कहें, तो आउटर जेनाइटल एरिया रिप्रोडक्टिव ऑर्गेन के लिए रक्षा कवच है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी (American Cancer Society) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में 6,020 अमेरिकन महिलाएं वॉलवल कैंसर डायग्नोस की गईं थीं, जिनमें से 1,150 महिलाओं की मृत्यु इसी बीमारी की वजह से हुई। हालांकि ऐसा नहीं है कि वॉलवल कैंसर का इलाज नहीं किया जा सकता। अगर महिलाओं को रिप्रोडक्टिव सिस्टम (Reproductive system) से जुड़ी कोई परेशानी महसूस हो, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्टेशन जरूरी है। महिलाएं कुछ लक्षणों पर गौर कर वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) की बीमारी को खत्म कर सकती हैं, लेकिन सबसे पहले वल्वर कैंसर के अलग-अलग प्रकारों को समझना जरूरी है।
वल्वर कैंसर के प्रकार कौन-कौन से हैं? (Types of Vulvar cancer)
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)- त्वचा की सबसे बाहरी परत पर होने वाले वल्वर कैंसर को स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा टर्म दिया गया है। स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा को शुरुआती दिनों में समझना बेहद कठिन होता है।
वल्वर मेलेनोमा (Vulvar melanoma)- डार्क पैच वॉलवल कैंसर (Vulvar cancer) की ओर इशारा करता है। वल्वर मेलेनोमा शरीर के दूसरे ऑर्गेन को भी अपना शिकार बना सकता है, जिसे मेटास्टेसिस (Metastasis) कहते हैं। उम्र ज्यादा होने पर यह समस्या हो सकती है।
एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)- जब शरीर के अंदर म्यूकस प्रड्यूस करने वाले ग्लैंड्स सेल का निर्माण करने लगती है, तो इसे एडेनोकार्सिनोमा का टर्म दिया जाता है।
सारकोमा (Sarcoma)- जब टिशू एक-दूसरे से जुड़ने लगते हैं और वहां बनने वाले ट्यूमरों को सारकोमा कहते हैं। यह रेयर कैंसर माना जाता है।
वेरुकस कार्सिनोमा (Verrucous carcinoma)- यह स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का ही एक प्रकार है और यह मस्से (Wart) की तरह धीरे-धीरे डेवलप होता है।
ये हैं इसके अलग-अलग प्रकार और अब आर्टिकल में आगे समझेंगे वल्वर कैंसर के लक्षणों के बारे में।
वजायनल लिप्स (Vaginal lips) पर लंप (Lump) या इचिंग (Itching) होना।
टॉयलेट करने के दौरान दर्द महसूस होना।
अलग-अलग वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं और कुछ केसेस में लक्षण जल्द समझ भी नहीं आते हैं। इसलिए महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता बरतने की ज्यादा जरूरत होती है।
वल्वर कैंसर के कारण क्या हैं? (Cause of Vulvar cancer)
जब शरीर में मौजूद कोशिकाएं तेजी से बढ़ने लगती हैं, तो गांठ और ट्यूमर बनने लगते हैं। हालांकि कुछ गांठ और ट्यूमर कैंसरस नहीं होते हैं, लेकिन कुछ कारणों से यह कैंसरस भी हो सकते हैं, वल्वर कैंसर या कोई अन्य कैंसर की समस्या शुरू हो जाती है। इसके अलावा वॉलवल कैंसर vulval cancer के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
वल्वर कैंसर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Vulvar cancer)
वल्वर कैंसर का निदान निम्नलिखित टेस्ट द्वारा किया जाता है, जो इस प्रकार हैं-
मेडिकल हिस्ट्री (Medical history)- सबसे पहले डॉक्टर पेशेंट से पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री पूछेंगे। इसके साथ ही लाइफ स्टाइल कैसी है यह भी जानना चाहेंगे।
पेल्विक एग्जाम (Pelvic exam)- इस दौरान यूटरस (Uterus), वजायना (Vagina), ओवरी (Ovaries), ब्लैडर (Bladder) और रेक्टम (Rectum) की जांच की जाती है।
क्लोपोस्कोपी (Colposcopy)- इस प्रक्रिया को वल्वोस्कोपी (Vulvoscopy) भी कहते हैं। इस दौरान वजायनल एरिया को क्लोस्ली जांच किया जाता है।
बायोप्सी (Biopsy)- प्रभावित एरिया के टिशू का बायोप्सी किया जाता है।
इमेजिंग टेस्ट (Imaging tests)- इस टेस्ट के दौरान एक्स-रे (X-rays), सीटी स्कैन (CT Scan) पीईटी टेस्ट (PET) एवं एमआरआई (MRI) भी की जा सकती है, जिससे कैंसर कितना फैल चूका है, इसकी जानकारी मिलती है।
इन टेस्ट रिपोर्ट्स और पेशेंट के हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज शुरू की जाती है। अगर आवश्यकता पड़ी, तो ऊपर बताये टेस्ट के अलावा अन्य टेस्ट करवाने की सलाह दी जा सकती है।
वल्वर कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Vulvar cancer)
वॉलवल कैंसर (Vulvar cancer) का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
सर्जरी (Surgery)
वल्वर कैंसर का इलाज मुख्य रूप से सर्जरी की मदद से ही की जाती है। सर्जरी की मदद से कैंसरस ट्यूमर को रिमूव कर दिया जाता है। वल्वर कैंसर सर्जरी अलग-अलग तरह से की जाती है। जैसे:
लेजर सर्जरी (Laser surgery)- लेजर बिम की मदद से ट्यूमर को हटाया जाता है।
एक्सिजन (Excision)- इस दौरान कैंसरस सेल्स को हटाने के साथ-साथ कुछ नॉन कैंसरस सेल्स को भी हटाया जाता है।
स्किनिंग वल्वेकटॉमी (Skinning vulvectomy)- इस दौरान स्किन की सबसे ऊपरी लेयर को हटाया जाता है, जहां कैंसर बनना शुरू होता है।
रेडिकल वल्वेकटॉमी (Radical vulvectomy)- इस सर्जरी के दौरान वल्वा (Vulva) को हटा दिया जाता है।
रेडिएशन थेरिपी (Radiation therapy)
रेडिएशन थेरिपी अलग-अलग तरह की होती है। लिम्फ नॉड्स (Lymph nodes) की रिमूव करने के लिए रेडिएशन थेरिपी की मदद ली जा सकती है। रेडिएशन थेरिपी के एक से ज्यादा सेशन हो सकते हैं।
वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) के इलाज के लिए कीमोथेरिपी की मदद ली जा सकती है। कभी-कभी कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान कीमोथेरिपी के साथ-साथ रेडिएशन थेरिपी की भी मदद ली जा सकती है।
बायोलॉजिक थेरिपी (Biologic therapy)
वल्वर कैंसर के इलाज में बायोलॉजिक थेरिपी की मदद ली जाती है। बायोलॉजिक थेरिपी का इस्तेमाल मुख्य रूप से कैंसर या अन्य संक्रामक रोगों को दूर करें के लिए किया जाता है।
कैंसर के अलग-अलग स्टेज को देखकर और पेशेंट के हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इलाज किया जाता है। आर्टिकल में आगे जानेंगे वल्वर कैंसर के स्टेज से जुड़ी जानकारियों के बारे में।
वल्वर कैंसर के कौन-कौन से स्टेज होते हैं? (Stage of Vulvar cancer)
वल्वर कैंसर निम्नलिखित स्टेज में होता है। जैसे:
स्टेज 0 कार्सिनोमा इन सीटू(Stage 0 or carcinoma in situ)
वल्वर कैंसर स्टेज 0 में होने के दौरान सिर्फ स्किन के ऊपरी सरफेस पर होता है।
स्टेज 1 (Stage 1)
इस स्टेज में कैंसर वल्वा vulva या पेरिनियम perineum में होता है।
स्टेज 2 (Stage 2)
इस स्टेज में कैंसरस ट्यूमर के साइज 2 cm तक हो सकता है।
स्टेज 3 (Stage 3)
इस स्टेज में कैंसरस टिशू एनस (Anus) या वजायना (Vagina) तक पहुंच जाते हैं और लिम्फ नॉड्स (Lymph nodes) तक फैलने लगता है।
स्टेज 4 (Stage 4)
वॉलवल कैंसर अगर स्टेज 4 में पहुंच जाए, तो इसका अर्थ है यह बॉवेल (Bowel), ब्लैडर (Bladder) एवं यूरेथ्रा (Urethra) तक फैल चुका है।
वल्वर कैंसर का इलाज इन्हीं स्टेज को ध्यान में रखकर किया जाता है।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) के इलाज के बाद भी समय-समय पर डॉक्टर से कंसल्टेशन करते रहना चाहिए, क्योंकि वल्वर कैंसर ठीक होने के बाद फिर से होने का खतरा बना रहता है।
महिलाओं को सेहतमंद रहने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो में एक्सपर्ट से जानिए महिलाओं के डायट और न्यूट्रिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
अगर आप वल्वर कैंसर (Vulvar Cancer) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप वल्वर कैंसर (Vulvar Cancer) से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर और वल्वर कैंसर के लक्षण को समझकर जल्द से जल्द इलाज शुरू करेंगे।
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