मेंस्ट्रुअल सायकल एक प्रोसेस है, जो महिलाओं की प्रेग्नेंसी के लिए हर महीने जरूरी होता है। नॉर्मल मेंस्ट्रुअल सायकल पीरियड्स के पहले दिन से शुरू हो जाती है। एवरेज सायकल 28 दिन की होती है। ये सायकल 21 दिन से 35 दिन की भी हो सकती है। मेंस्ट्रुअल सायकल के दौरान हॉर्मोन के लेवल में बदलाव होता रहता है। ब्रेन में उपस्थित पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलने वाले हॉर्मोन के कारण ही रिप्रोडेक्टिव ट्रेक्ट रिस्पॉन्स करता है। मासिक धर्म चक्र यानी मेंस्ट्रुअल सायकल के दौरान होने वाली घटनाओं को निम्न प्रकार से समझाया जा सकता है।
महीने के चरण (The menses phase)
इस फेज में पीरियड के पहले दिन से पांचवे दिन को शामिल किया जाता है। इस समय गर्भाशय यानी यूट्रस लेयर वजायना के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती है। ऐसा प्रेग्नेंसी न होने पर होता है। अधिकांश महिलाओं को तीन से पांच दिन तक ब्लीडिंग होती है। कुछ महिलाओं में पांच से सात दिन तक भी ये चरण हो सकता है, जिसे सामान्य माना जाता है।
फॉलिक्यूलर फेज (The follicular phase)
यह फेज आमतौर पर छह से 14 दिनों तक होता है। इस दौरान शरीर में एस्ट्रोजेन का लेवल बढ़ जाता है, जिसके कारण यूट्रस लाइनिंग बनती है। इसे एंडोमेट्रियम ( endometrium) कहते हैं। इस दौरान ये लाइनिंग ग्रो करती है और थिक बनती है। फिर फॉलिकल स्टिमुलेशन हॉर्मोन के कारण ओवरी में फॉलिकल ग्रो करते हैं। इसी दौरान विकसित हो चुके फॉलिकल से मेच्योर एग बनता है।
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ओव्युलेशन (Ovulation)
मेंस्ट्रुअल सायकल के 14 से 28 दिनों के बीच ओव्युलेशन का फेज आता है। इस फेज में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing hormone) में वृद्धि होती है, जिसके कारण ओवरी से एग रिलीज होता है। इस प्रक्रिया को ओव्युलेशन (Ovulation) कहते हैं। जिन महिलाओं को पीरियड्स नहीं आते हैं, उनमें ये प्रोसेस नहीं हो पाती है।
ल्यूटियल फेज (The luteal phase)
ल्यूटियल फेज 15 से 28 दिन का होता है। जब एग ओवरी से रिलीज हो जाता है, तो ये फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ यू्ट्रस में पहुंचता है। इस दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है और गर्भावस्था के लिए यूट्रस लाइनिंग को तैयार करने में मदद करता है। अगर एग स्पर्म से फर्टिलाइड हो जाता है और गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है, तो महिला प्रेग्नेंट हो जाती है। अगर प्रेग्नेंसी नहीं होती है, तो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल गिरता है और पीरियड्स के दौरान गर्भाशय की मोटी परत खून और कुछ टिशू के रूप से वजायना से बाहर निकल जाती है।
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पीरियड्स के दौरान दिखें ये लक्षण, तो तुरंत दिखाएं डॉक्टर को (If these symptoms are seen during periods, then show it to the doctor immediately)
- 16 साल की उम्र तक मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ हो।
- अगर पीरियड्स अचानक से रुक जाए, तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।
- ब्लीडिंग अगर पहले से ज्यादा हो, तो इसे इग्नोर न करें।
- पीरियड्स के दौरान हल्के दर्द का एहसास आम होता है लेकिन अगर आपको ज्यादा दर्द हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- ब्लीडिंग के दौरान अगर आपको बीमार होने का एहसास या बहुत कमजोरी लग रही है, तो भी डॉक्टर से संपर्क करें।
- आपको लगता है कि आपका पीरियड्स समय पर नहीं आया है, तो आपको प्रेग्नेंसी की जांच जरूर करानी चाहिए।
- अगर बर्थ कंट्रोल पिल्स बंद करने के बाद पीरिड्स सही से नहीं आ रहे हैं, तो डॉक्टर से जांच कराएं।
- आपको मेंस्ट्रुअल सायकल के बारे में किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंक डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।