मूल बातों को जानें
मल्टीपल मायलोमा क्या है?
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर है जो मैलिग्नेंट प्लाज्मा सेल्स के कारण होता है। प्लाज्मा कोशिकाएं एंटीबॉडीज बनाती हैं, जो कीटाणुओं के हमले के समय लड़ती है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है। प्लाज्मा कोशिकाएं बोन मैरो (Bone marrow) में पाई जाती हैं और ये रोग प्रतिरोधक प्रणाली ( immune system ) का महत्त्वपूर्ण भाग बनाती हैं। बोन मैरो (Bone marrow) हड्डियों के अंदर पाए जाने वाले कोमल टिशू को कहते हैं। प्लाज्मा सेल्स के अलावा बोन मैरो (Bone marrow) में और तरह के ब्लड सेल्स बनाने वाले हिस्से होते हैं।
शरीर के किसी भी अंग में जब जरुरत से ज्यादा बढ़ोतरी होने लगे और कोशिकाएं अनियमित ढंग से विभाजित हो तब कैंसर का बनना संभावित है। कैंसर शरीर के किसी भी भाग में बन सकता है।
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मल्टीपल मायलोमा होना कितना आम है ?
मल्टीपल मायलोमा दुनिया में पाए जाने वाले सभी प्रकार के ब्लड कैंसर में से दूसरे नंबर पर है। कुछ समय पहले तक इस कैंसर का इलाज़ संभव नहीं था लेकिन कैंसर रिसर्च में प्रगति की वजह से इसकी रोकथाम संभव है। इस कैंसर को बढ़ावा देने वाले फैक्टर्स को रोकने से हम इस कैंसर को रोक सकते है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिले।
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लक्षणों को जाने
मल्टीपल मायलोमा के क्या लक्षण हो सकते है ?
मल्टीपल मायलोमा के निम्नलिखित लक्षण संभव है :
- एनीमिया ( Anaemia) होना।
- किडनी खराब होना।
- ह्यपरकैल्सीमिआ ( कैल्शियम की मात्रा का बढ़ जाना )( Hypercalcemia)
- नसों का खराब होना।
- त्वचा में खुरदुरापन आना।
- संक्रमण होना।
- जीभ का बढ़ना (माक्रोग्लोस्सया (Macroglossia)
- हड्डियों में दर्द होना।
- थकान होना।
- हड्डियों में फ्रैक्चर होना।
- पीठ दर्द होना।
- स्पाइनल कॉर्ड का सिकुड़ना।
- भूख न लगना या फिर वजन कम होना।
- अपच (Constipation) की परेशानी होना।
- पैरो में सूजन होना।
- अत्यधिक प्यास लगना
मल्टीपल मायलोमा पूरे रोग प्रतिरोधक प्रणाली को प्रभावित करता है इसलिए इसके बहुत सारे लक्षण हो सकते है। इसके चार मुख्य कारण हो सकते है :
खून की कमी होना :
मल्टीपल मायलोमा में प्लाज्मा कोशिकाएं बहुत तेज़ी से बनेंगी जिसके कारण साधारण खून की कोशिकाओं की कमी हो जाएगी और आपको एनीमिया हो सकता है। एनीमिया की वजह से आपको थकान लगेगी और प्लेटलेट्स की कमी भी हो सकती है। इसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया ( Thrombocytopenia) कहते है। प्लेटलेट्स कोशिकाएं किसी भी घाव के भरने में सहायक होती है। प्लेटलेट की कमी होने पर कोई भी घाव जल्दी नहीं भरेगा और खून जरुरत से ज्यादा बहेगा। इससे ल्यूकोपीनिया (Leukopenia )भी हो सकता है ये ऐसी स्थिति है जब वाइट ब्लड सेल्स की कमी हो जाएगी। इससे आपका शरीर किसी भी संक्रमण के लिए ज्यादा संवेदनशील हो जाएगा।
हड्डियों और कैल्शियम से जुड़ी समस्याएं
बोन सेल साइकिल हड्डियों की नई कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया को कहते है। मायलोमा कोशिकाएं बोन सेल साइकिल में रूकावट डालती है। मायलोमा कोशिकाएं ऐसा पदार्थ निकालती हैं, जिससे हड्डियों में गलन शुरू हो जाती है। इसे ओस्टेओक्लास्ट (Osteoclast) कहते है। इस प्रक्रिया के चलते नई कोशिकाएँ यानि की ओस्टिओब्लास्ट(Osteoblast) नहीं बन पाती। इससे हड्डिया कमजोर हो जाती है और जल्दी गल जाती है।
संक्रमण
प्लाज्मा कोशिकाएं संक्रमण रोकने का काम करती है। कैंसर कोशिकाएं संक्रमण को नहीं रोकती और संक्रमण की आशंका को बढ़ा देती है।
किडनी फेलियर
मल्टीपल मायलोमा कोशिकाओं से बनने वाली एंटीबॉडीज किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
इन लक्षणों के आलावा भी कई लक्षण हो सकते है और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से मिले।
अपने डॉक्टर से कब मिलें?
इनमें से किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिले। हर व्यक्ति अलग स्थिति में अलग व्यवहार करता है इसलिए सही परामर्श के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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कारणों को जानें
मल्टीपल मायलोमा के क्या कारण हो सकते है?
मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का खून का कैंसर है। अत्याधिक और अनियमित ढंग से कोशिकाओं में विभाजन के कारण बोन मैरो में ट्यूमर बन सकता है, जिससे शरीर के बाकी अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। अगर आपको एक ही जगह पर ट्यूमर हो रहा है और ये कही और नहीं फैल रहा इस स्थिति में इसे हम आइसोलेटेड प्लास्मासाइटोमा ( Isolated Plasmacytoma) कहेंगे।
अभी तक कई रिसच के बावजूद वैज्ञानिक मल्टीपल मायलोमा के कारण का पता नहीं लगा पाए है। अंदाज़ा लगाया जाता है की डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिइक एसिड (DNA ) में बदलाव की वजह से भी ये कैंसर हो सकता है।
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खतरों को जाने
मल्टीपल मायलोमा के खतरे को क्या बढ़ा देता है ?
मल्टीपल मायलोमा होने का खतरा इन स्थितियों में बढ़ सकता है :
- उम्र : जैसे -जैसे उम्र बढ़ती है इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। ज्यादातर इस समस्या से जूझने वाले लोग 65 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के ही होते है।
- लिंग: पुरुषों में मायलोमा की संभावना महिलाओ के मुकाबले ज्यादा होती है।
- जाति : अफ्रीकन अमेरिकन्स में मायलोमा कैंसर की संभावना वाइट अमेरिकन्स के मुकाबले ज्यादा होती है।
- रेडिएशन : ज्यादा देर तक रेडिएशन के प्रभाव में रहने वाले लोगो में भी मायलोमा कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
- मोटापा : अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की रिसर्च में पाया गया है कि मोटापे से ग्रस्त लोगो में मायलोमा की आशंका अधिक होती है।
- प्लाज्मा कोशिकाओं से जुडी किसी बीमारी या कैंसर का होना भी मायलोमा कैंसर को बढ़ावा देता है।
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जाँच और इलाज़ को समझे
यहां दी गई जानकारी किसी भी डॉक्टर एडवाइस का विकल्प नहीं है। अधिक और विश्वसनीय जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से मिलें ।
मल्टीपल मायलोमा की जांच कैसे की जा सकती है ?
- मल्टीपल मायलोमा की स्थिति आपके खून की जांच से की जा सकती है। अगर आपको मल्टीपल मायलोमा है तो आपके खून का प्रोटीन असमान होगा। इससे आपके खून में चिपचिपाहट दिखेगी जो की असाधारण ब्लड सेल्स के बनने की वजह से होगी।
- डॉक्टर आपकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री देखेंगे और फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे इसके बाद मायलोमा कैंसर के लक्षणों के लिए आपकी जांच होगी। अगर आपमें लक्षण दिखते है तो आपको बायोप्सी ( biopsy ) या फिर बोन मैरो एस्पायेरशन (Bone marrow aspiration ) करवाने के लिए कहा जाएगा। इस टेस्ट से पता चलेगा की आपमें मायलोमा कोशिकाएं मौजूद है या नहीं।
- इसके अलावा ब्लड मोनोक्लोनल इम्म्यूनोग्लोबिन ( Blood Monoclonal Immunoglobulin ) टेस्ट और रेडियोलोजी टेस्ट (Radiology Test) भी करवाए जा सकते है। इनसे ये पता लगाया जा सकता है की हड्डियों में कितने गहराई तक कैंसर पहुंचा है।
मल्टीपल मायलोमा का इलाज कैसे किया जा सकता है ?
- मल्टीपल मायलोमा का इलाज़ आपकी दवाइयों को निर्धारित करने से होता है जिससे आपके इम्म्यून सिस्टम को सहारा दिया जा सके। इसके बाद दवाइयों, कीमोथेरिपी , रेडिएशन थेरेपी, ट्रांसप्लांट या फिर सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है। कौनसा इलाज आपके लिए सही रहेगा ये आपके कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है।
- मल्टीपल मायलोमा को ठीक करने के लिए कई दवाइयाँ है। डेक्सामेथासोन के साथ निम्नलिखित दवाइयों को ओरली या फिर इंट्रावेनस थेरेपी (IV) से दिया जा सकता है।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय
मायलोमा कैंसर को नियंत्रित करने के लिए अपनी जीवनशैली में क्या बदलाव लाने चाहिए ?
- अपनी स्थिति और कैंसर स्टेज के बारे में पूरी जानकारी रखे और इसके इलाज से जुड़े हानिकारक प्रभाव के बारे में भी पता कर लें।
- अपने परिवार, दोस्तों की सलाह लें और उनसे आपकी मदद करने के लिए कहें ।
- आराम करें ।
- पौष्टिक खाना खाए।
- अगर एक बार में पूरा खाना नहीं खा पा रहे हैं तो भोजन को दो हिस्सों में बांट दें।
- अगर आप कैंसर के समय भी काम पर जाना चाहते है तो अपने अधिकारी से बात कर ले और अपनी सेहत को ध्यान में रखकर काम करे।
- अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।