परिभाषा
रास्योला जिसे लाल खसरा भी कहा जाता है, बच्चों को होने वाला आम वायरस इंफेक्शन है। यह आमतौर पर 2 साल तक के बच्चों को होता है। अधिकांश मामलों में चिंता की कोई बात नहीं होती और रास्योला अपने आप ठीक हो जाता है। रास्योला के कारण, लक्षण और उपचार जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
रास्योला क्या है?
बच्चों को होने वाले इंफेक्शन में रास्योला भी आम है। यह आमतौर पर 2 साल तक की उम्र के बच्चे को प्रभावित करता है। बच्चों में यह संक्रमण हर्पीस वायरस के कारण होता है। रास्योला होने पर बच्चों को बुखार होता है और बुखार के बाद लाल चकत्ते हो जाते हैं, इसलिए इसे लाल खसरा भी कहते हैं। कुछ बच्चों में इसके लक्षण बहुत कम दिखते हैं जिससे उनकी बीमारी के बारे में पता भी नहीं चलता है, जबकि कुछ बच्चों में इसके लक्षण अधिक साफ दिखते हैं। रास्योला गंभीर नहीं होता है, लेकिन बच्चे को यदि बहुत तेज बुखार आ रहा है तो जटिलताएं बढ़ सकती हैं। इलाज के लिए आमतौर पर बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है, बुखार की दवा के साथ ही बच्चे को खूब तरल पदार्थ देना चाहिए।
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लक्षण
रास्योला के लक्षण क्या हैं?
रास्योला का सबसे आम लक्षण है तुरंत तेज बुखार आना और उसके बाद शरीर पर रैश (चकत्ते) उभरना। बुखार 3 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है। बुखार ठीक होने के 12 से 24 घंटे बाद चकत्ते उभरते हैं। चकत्ते लाल या गुलाबी रंग के होते हैं। रैश सबसे पहले पेट पर उभरते हैं, उसके बाद चेहरे, बांह और पैरों तक फैल जाता है। चकत्ते इस बात का संकेत है कि वायरस का असर खत्म होने वाला है। रास्योला के अन्य लक्षणों में शुमार हैः
- भूख कम लगना
- ग्रंथियों की सूजन
- मामूली डायरिया
- चिड़चिड़ापन
- पलकों की सूजन
- गले में खराश या मामूली कफ
- बुखार संबंधी दौरे जो तेज बुखार के कारण होता है
- कान में दर्द
वायरस के संपर्क में आने के बाद बच्चे में रास्योला के लक्षण उभरने में 5 से 15 दिन का समय लग सकता है। कुछ बच्चों में वायरस से संक्रमित होने के बाद भी लक्षण नहीं दिखते हैं।
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कारण
रास्योला किन कारणों से होता है?
रास्योला आमतौर पर ह्यूमन हर्पीस वायरस टाइप 5 के संपर्क में आने से होता है। इसके अलावा ह्यूमन हर्पीस 7 वायरस के कारण भी रास्योला हो सकता है। अन्य वायरस की तरह रास्योला भी संक्रामक है यानी एक बच्चे से दूसरे में फैलता है। यह संक्रमित बच्चे के छोट ड्रॉपलेट या तरल के जरिए फैलता है। इसका इनक्यूबेशन पीरियड 14 दिनों का होता है यदि रास्योला पीड़ित बच्चा जिसमें अभी लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वह दूसरों को संक्रमित कर सकता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
रास्योला वैसे तो गंभीर नहीं होता है, लेकिन इन स्थितियों में आपको बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत हैः
- 103°F से अधिक बुखार
- रैश आने 3 दिनों बाद भी यदि स्थिति में सुधार न हो
- बुखार यदि 7 दिनों तक ठीक नहीं होता है
- बच्चे ने तरल पदार्थ पीना भी बंद कर दिया है
- असामान्य रूप से सोना या बहुत बीमार लगना
बच्चे को यदि बुखार के कारण दौरे पड़ रहे हैं या बहुत गंभीर रूप से बीमार है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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निदान
रास्योला का निदान क्या है?
कई बार रास्योला को डायग्नोस करना मुश्किल होता जाता है, क्योंकि इसके लक्षण बच्चों में अन्य सामान्य बीमारियों की तरह होते हैं। साथ ही चूकि बुखार जाने के बाद चकत्ते आते हैं, इसलिए आमतौर पर इसका निदान बुखार जाने और बच्चे के ठीक महसूस करने पर ही होता है। डॉक्टर चकत्ते को देखकर इस बात की पुष्टि करता है कि बच्चे को रास्योला है। कुछ मामलों में ब्लड टेस्ट भी किया जाता है।
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उपचार
रास्योला का उपचार कैसे किया जाता है?
रास्योला के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, लेकिन दवाओं और घरेलू उपायों से इसके लक्षणों और होने वाली असहजता को ठीक किया जा सकता है।
तरल पदार्थ का सेवन
रास्योला के उपचार के दौरान बच्चे को हाइड्रेट रखने के लिए खूब तरल पदार्थ दें। बच्चों को पानी, सूप, नींबू पानी, इलेक्ट्रोलाइट सॉल्यूशन, स्पोर्ट्स ड्रिंक पिलाएं।
ओवर द काउंटर मेडिसिन
डॉक्टर की सलाह पर बच्चे को कुछ दर्दनिवारक दवाएं दी जा सकती हैं। बुखार कम करने के लिए भी दवा दी जा सकती है, लेकिन बच्चे को दवा देने से पहले दवा की बोतल पर और डॉक्टर द्वारा दिए निर्देशों का पालन जरूर करें। 16 साल से कम उम्र के बच्चे को बिना डॉक्टर की सलाह के एस्प्रिन न दें। इससे रे सिंड्रोम का खतरा रहता है।
एंटीवायरल दवाएं
डॉक्टर एंटीवायरल दवा भी प्रिस्क्राइब कर सकता है, खासतौर पर इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर। रास्योला में एंटीबायोटिक नहीं दिया जाता है, क्योंकि यह वायरस से लड़ने में मददगार नहीं है।
आराम करें
बाकी चीजों के साथ ही जब तक बुखार न उतर जाए बच्चे को आराम की सख्त जरूरत होती है। यदि वह ठीक महसूस कर रहे हैं तो खेल सकते हैं या अपना कोई भी पसंदीदा काम कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि वह दूसरे बच्चों से दूर रहें, क्योंकि संक्रमण दूसरे बच्चों में फैल सकता है।
ठंडा रखें
पीड़ित की बुखार से होने वाली असहजता को कम करने के लिएः
- गुनगुने पानी से स्पॉन्ज बाथ कराएं
- माथे पर पानी की पट्टिया रखें, लेकिन इसके लिए बर्फ के पानी या चिल्ड वॉटर का इस्तेमाल न करें
- बिस्तर पर हल्का बेडशीट डालें
एक बार बुखार उतर जाने पर बच्चे पहले की तरह अपनी एक्टिविटी कर सकते हैं।
रास्योला से बचाव कैसे किया जा सकता है?
रास्योला के लिए अभी तक कोई टीका विकसित नहीं हुआ है। ऐसे में बचाव का सबसे अच्छा तरीका यही है कि बच्चे को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखा जाए। यदि कोई व्यक्ति रास्योला से पीड़ित बच्चे के संपर्क में आता है तो उसे अपने हाथ धोने के बाद ही दूसरे बच्चों को टच करना चाहिए ताकि वायरस उन तक न पहुंचे। घर की सतह को भी हमेशा साफ रखें। संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए बच्चे को ठीक तरह से हाइजीन प्रैक्टिस करवाएं, जैसे खांसते-छींकते और नाक छिड़कते समय टिशू इस्तेमाल करना सिखाएं और इस्तेमाल के बाद टिशू को डस्टबिन में डालें।
संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए बच्चे को अपना कप, प्लेट और अन्य बर्तन दूसरों से शेयर न करने के लिए कहें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं
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