परिचय
अगर आपका पेट खराब है या पेट में कुछ गड़बड़ है तो आपको डॉक्टर स्टूल कल्चर या स्टूल एनालिसिस कराने की सलाह देते हैं। इसे हिंदी में मल की जांच कहते हैं। स्टूल एनालिसिस मल (Stool) के नमूने को लेकर किया जाने वाला टेस्ट है ताकि पेट के रोग या समस्या का पता लगाया जा सके। पेट की इन समस्याओं का कारण इन्फेक्शन, पोषक तत्वों का न मिल पाना या कैंसर भी हो सकता है। जानिए स्टूल एनलिसिस के बारे में विस्तार से।
स्टूल एनलिसिस क्या है?
स्टूल एनलिसिस मल को जांचने का तरीका है। स्टूल एनलिसिस के लिए सबसे पहले मल के नमूने को एक साफ कंटेनर में लिया जाता है और इसके बाद इसे लेबोरेटरी में भेज दिया जाता है। लेबोरेटरी एनालिसिस में इस नमूने की माइक्रोस्कोपिक जांच, केमिकल और माइक्रोबिओलॉजिक टेस्ट किया जाता है। मल के रंग, आकार, गंध, श्लेम (mucus) की मौजूदगी आदि को जांचा जाता है। इसके अलावा मल में मौजूद गुप्त खून, वसा, मीट फाइबर, सफेद रक्त कण आदि को भी जांचा जाता है। मल का pH लेवल भी देखा जाता है। स्टूल कल्चर टेस्ट के माध्यम से इसमें मौजूद बैक्टीरिया का भी पता लगाया जाता है जो इन्फेक्शन के कारण बन सकते हैं।
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लक्षण
स्टूल एनलिसिस की जरूरत क्यों पड़ती है?
डॉक्टर आप में निम्नलिखित लक्षण देखने के बाद स्टूल एनलिसिस कराने की सलाह दे सकते हैं, जैसे:
- कुछ दिनों से अगर आपको डायरिया है
- पेट में मरोड़ और दर्द होना
- जी मिचलाना
- बार-बा बुखार आना
- मल में खून या रेशा आना
यह स्थिति अधिक चिंता का विषय हो सकती है, यदि:
- आपकी उम्र बहुत कम या अधिक हो
- आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना
- आप गंदा पानी पी रहे हों या खाना खा रहे हों
- आपमें दिखने वाले लक्षण गंभीर हों
आपको इन्फेक्शन या अन्य सेहत संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ सकती है
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परिक्षण
स्टूल एनालिसिस कैसे किया जाता है?
इसके लिए आपको डॉक्टर के पास अपने मल के नमूने के साथ जाना होगा। इसे आप घर से ही लेकर जाएं। डॉक्टर या लैब कर्मचारी एक कंटेनर आपको देंगे, ताकि आप उसमे सैंपल इक्कठा कर के दे सकें। इसके ऊपर आपका नाम आदि लिखा होना चाहिए। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह का भी पालन करें। याद रखें इसके लिए प्रयोग किया जाने वाला कंटेनर साफ होना चाहिए। सैंपल को इस कंटेनर में स्टोर करने से पहले आपके हाथ साफ़ होने चाहिए ताकि इस सैंपल में अन्य गंदगी शामिल न हो सके। अपने मल में पेशाब को न मिक्स करें। कंटेनर में इसे इकट्ठा करने के बाद एक प्लास्टिक बैग में डाल लें। इसके बाद डॉक्टर के पास या लैब में इस नमूने को टेस्ट के लिए ले जाएं। जितना जल्दी हो सके, इस सैंपल को लैब तक पहुंचाएं। सही जांच के लिए सैंपल का सही समय पर परीक्षण के लिए पहुंचना आवश्यक है।
रिपोर्टस कब मिलेंगी?
जब आप लैब में अपना सैंपल दे देते हैं तो सामान्यतया एक या दो दिन में रिपोर्ट आ जाती है। अगर आपकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो इसका अर्थ है कि सब कुछ सही है और आपको किसी तरह का इन्फेक्शन नहीं है। लेकिन, अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो इसका अर्थ है कि आप जर्म्स, वायरस या बैक्टीरिया से पीड़ित है। रिपोर्ट आने पर आपके डॉक्टर को आपकी समस्या के बारे में बता दिया जाएगा। आपकी बीमारी के बारे में जानने के बाद डॉक्टर आपका उचित इलाज करेंगे और दवाईयां देंगे।
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जोखिम
मल का सैंपल लेने से किसी तरह का दर्द नहीं होता लेकिन अगर आपको कब्ज है तो आपको दर्द हो सकता है। मल के नमूने में जर्म्स होते हैं जिनसे बीमारियां फैल सकती हैं। इसलिए, सबसे अधिक जरूरी है कि इस नमूने को लेते हुए या लेने के बाद अपने हाथों को धोएं और पूरी सावधानियां बरते ताकि इन्फेक्शन न फैले।
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स्टूल एनलिसिस कब करवाना चाहिए?
निम्नलिखित शारीरिक परेशानी होने पर स्टूल टेस्ट किया जा सकता है। इन परेशानियों में शामिल है:
- पेट में हमेशा दर्द की शिकायत होना
- पेट में ऐंठन होना
- हमेशा लूज मोशन की समस्या होना
- मल से ब्लड आना
- बुखार होना
इन ऊपर बताई गई परिस्थिति होने पर इसे नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें
सावधानियां
स्टूल एनलिसिस टेस्ट के दौरान क्या सावधानियां होनी चाहिए?
स्टूल एनलिसिस टेस्ट कराना बेहद ही आसान है, यही नहीं कई रोगों का पता इस टेस्ट से चलता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके बारे में जानने के लिए यह टेस्ट अनिवार्य होता है। इस टेस्ट में सैंपल रोगी को खुद इक्कठा कर के जमा कराना होता है, ऐसे में कुछ सावधानियां बरतना बेहद आवश्यक है। इस टेस्ट के लिए आपको निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
- मल का नमूना लेने से पहले ही मूत्र त्याग कर लें ताकि आपका पेशाब मल के साथ न मिले।
- अपने मल का सैंपल लेने से पहले ग्लव्स पहन लें क्योंकि मल से निकलने वाले जर्म्स से इन्फेक्शन हो सकता है।
- सूखे हुए कंटेनर में मल का नमूना डालें।
- सख्त या तरल मल का सैंपल इकठ्ठा करें।
- अगर आपको डायरिया है तो एक बड़े प्लास्टिक बैग को टॉयलेट की सीट के नीचे रख लें ताकि आसानी से इसे इकट्ठा किया जा सके।
- अगर आपको कब्ज है तो आपको अनिमा [ENEMA] दिया जा सकता है।
- टॉयलेट के अंदर या सीट के ऊपर से सैंपल न लें।
- कंटेनर के ऊपर अपना नाम, डॉक्टर का नाम और तिथि अवश्य लिखें।
- पानी, टॉयलेट पेपर या साबुन को इस सैंपल के साथ न मिलाएं।
पेट संबंधी समस्याओं और रोगों के बारे में जानने के लिए स्टूल एनलिसिस टेस्ट करने की सलाह दी जाती है। इसे करने न केवल आपको रोग के बारे में पता चल जाता है बल्कि इसे कराना भी बेहद सरल है। न तो इसमें कोई दर्द होती है न ही आपको इसमें अधिक समय लगता है। इसके परिणाम भी सटीक होते हैं ताकि आपका इलाज जल्दी से जल्दी शुरू किया जा सके।
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