टाइप 1 डायबिटीज के पेशेंट्स में रजिस्टेंस और इम्पेयर्ड एंडोथेलियल फंक्शन (Impaired endothelial functio) के बारे में पता लगाया जा सकता है। रेग्यूलर फिजकल ट्रेनिंग की मदद से एंडोथेलियल फंक्शन के बारे में जानकारी मिल जाती है। एक्सरसाइज से वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार (Exercise improves the vascular endothelial function in T1DM patients) किया जा सकता है। इस बारे में कई स्टडीज हो चुकी हैं, जिनमें ये बात सामने आई है। आपके मन में अगर ये प्रश्न आ रहा है कि आखिर वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन (vascular endothelial function) क्या होता है, है आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इसके बारे में जानकारी देंगे और साथ ही एक्सरसाइज से वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार संबंधित स्टडी के बारे में भी बताएंगे।
एक्सरसाइज से वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार (Exercise improves the vascular endothelial function in T1DM patients)
अमेरिकल डायबिटीज एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी के दौरान में 10 वर्ष की अवधि के लिए टाइप 1 डायबिटीज वाले 26 रोगियों को शामिल किया गया था। उनमें कोई भी ओवर्ट एंजीओपैथी नहीं थी। इसमें करीब 18 पेशेंट्स ने सायकिल एक्सरसाइज ट्रेनिंग में भाग लिया वहीं 8 टाइप 1 डायबिटीज के पेशेंट्स को कंट्रोल सब्जेट के रूप में सर्व किया गया। 2 और 4 महीने का प्रशिक्षण दिया गया और फिर रिजल्ट देखा गया।
रिजल्ट में क्या बात आई सामने?
रिजल्ट में ये बात सामने आई कि जो टाइप 1 डायबिटीज के पेशेंट्स लंबे समय तक एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic exercise) ट्रेनिंग ले रहे थे, उनमें वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार (Exercise improves the vascular endothelial function in T1DM patients) देखने को मिला। अगर डायबिटीज पेशेंट्स एक्सरसाइज नहीं करते हैं, तो वैस्कुलर फंक्शन में लाभदायक असर देखने को नहीं मिलता है।
स्टडी में ये बात भी सामने आई कि शारीरिक प्रशिक्षण लंबे समय से टाइप 1 मधुमेह वाले रोगियों में संवहनी कार्य में सुधार करता है, जो सूक्ष्म और मैक्रोएंगियोपैथी (macroangiopathy) विकसित करने के लिए काफी जोखिम में हैं। स्टडी के दौरान एक प्रश्न भी सामने आया कि क्या क्या बेहतर एंडोथेलियल फंक्शन कार्डियोवस्कुलर मॉर्बिडिटी (cardiovascular morbidity) को कम कर सकता है। इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम और हार्ड क्लीनिकल एंड पॉइंट के साथ आगे के स्टडी की आवश्यकता है।
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क्यों होती है टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या?
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) को इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज के नाम से भी जानते हैं। ये एक क्रॉनिक कंडीशन है, जिसमें पैंक्रियाज (Pancreas) बहुत कम मात्रा में या फिर न के बराबर इंसुलिन प्रोड्यूस होता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जो शुगर या ग्लूकोज को सेल्स में एनर्जी प्रोड्यूस करने में मदद करता है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या जेनेटिक या फिर वायरस इंफेक्शन के कारण भी पैदा हो सकती है। ये क्रॉनिक कंडीशन बचपन में या फिर किशोरावस्था में भी हो सकती है। साथ ही टाइप 1 डायबिटीज की समस्या वयस्कों में भी हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज के ट्रीटमेंट के संबंध में कई रिसर्च हो चुकी हैं। इस क्रॉनिक कंडीशन को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ ही ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी होता है। डायट में बैलेंस करना भी डायबिटीज पेशेंट के लिए बहुत जरूरी होता है।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के लक्षण
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के कारण एक नहीं बल्कि कई लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जानिए जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) हो जाती है, उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
- प्यास ज्यादा लगना।
- जल्दी पेशाब आना।
- उन बच्चों का बिस्तर गीला करना, जो पहले रात में बिस्तर गीला नहीं करते थे।
- ज्यादा भूख लगना।
- अचानक ही वजन कम होना।
- चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव।
- थकान और कमजोरी।
- साफ न दिखना।
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डायबिटीज पेशेंट्स और एरोबिक एक्सरसाइज
डायबिटीज पेशेंट के लिए एरोबिक एक्सरसाइज के एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं। डॉक्टर डायबिटीज पेशेंट को एरोबिक एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। एक्सरसाइज करने से डायबिटीज के कॉम्प्लीकेशंस ना बढ़ना फायदे के तौर पर देखा जाता है। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उनमें कई अन्य बीमारियां होने का भी खतरा रहता है। ऐसे लोगों में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या, हार्ट संबंधित बीमारियां, नर्व डैमेज होना आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में एरोबिक्स खतरों को कम करने का काम एरोबिक एक्सरसाइज करती है। इस संबंध में कई स्टडीज हो चुकी है, जिनमें यह बात निकलकर सामने आई है। एरोबिक एक्सरसाइज करने से ग्लाइसेमिक लेवल कंट्रोल किया जा सकता है।
डायबिटीज पेशेंट को व्यायाम करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से कम नहीं होता है। आपको व्यायाम करने से पहले और व्यायाम करने के बाद इंसुलिन का लेवल जरूर चेक करना चाहिए। साथ ही डॉक्टर से जानकारी लेकर आपको व्यायाम करने से पहले और व्यायाम करने के बाद कार्बोहाइड्रेट की कितनी मात्रा लेनी चाहिए, इसके बारे में जानकारी जरूर लें। आपको वर्कआउट में क्या शामिल करना चाहिए या क्या नहीं शामिल करना है, इस बात की जानकारी होना भी जरूरी है।
अगर आपको डायबिटीज के साथ ही अन्य कोई और बीमारी है, तो उसका ट्रीटमेंट भी लेते रहे। अगर आप ट्रीटमेंट रोक देते हैं, तो आपको अन्य समस्याएं भी घेर सकती हैं। अगर आपको किसी दवा को लेकर कोई कंफ्यूजन हो, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर लें।
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यह आमतौर पर देखने को मिलता है कि एंडोथेलियम वैस्कुलर फंक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम करती हैं। एंडोथेलियल डिसफंक्शन का एक महत्वपूर्ण फंक्शनल रिजल्ट नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), वैस्कुलर स्मूथ मसल्स सेल्स के वासोडिलेटर को छोड़ने में असमर्थता है। आपको एक्सरसाइज से वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार से संबंधित अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
जीवनशैली यानी कि लाइफस्टाइल में बदलाव कर न केवल डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है बल्कि साथ ही हार्ट संबंधी बीमारियों के खतरों को भी कम किया जा सकता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको एक्सरसाइज से वैस्कुलर एंडोथीलियल फंक्शन में सुधार (Exercise improves the vascular endothelial function in T1DM patients) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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