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टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव कैसा होता है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/02/2022

    टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव कैसा होता है?

    डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के लिए अक्सर एरोबिक एक्सरसाइज रिकमंड की जाती है। वहीं कुछ एक्सपर्ट रेजिस्टेंस ट्रेनिंग को भी अच्छा बताते हैं। ऐसे में जानना जरूरी हो जाता है कि टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) कैसे होता है? बता दें कि टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित एक्टिव रहकर कॉम्प्लिकेशन के डेवलप होने की संभावना को कम कर सकते हैं। जिसमें हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हार्ट डिजीज (Heart disease), नर्व डैमेज (Nerve damage) और विजन लॉस (Vision loss) शामिल है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन भी डायबिटीज के मरीजों के लिए रेगुलर एक्सरसाइज रिकमंड करता है।

    डायबिटीज के मरीजों के लिए रेजिस्टेंस ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज में से क्या ज्यादा फायदेमंद है इस आर्टिकल में बताया जा रहा है। टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) कैसा होता है चलिए जान लेते हैं।

    टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients)

    एक्सरसाइज ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कंट्रोल करने में मदद करती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के मरीजों में एक्सरसाइज इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद करती है। दूसरे शब्दों में समझें तो एक्सरसाइज के बाद बॉडी को कार्बोहा यड्रेट को प्रॉसेस करने के लिए अधिक इंसुलिन की जरूरत नहीं होती है। अब सवाल यह उठता है कि टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) कैसा है? यह जानने के लिए स्टडीज की गईं।

    स्टडी

    डायबिटीज जर्नल में छपी स्टडी के अनुसार एक ही सेशन में एरोबिक और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करके टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में इसका एक्यूट ग्लाइसेमिक पर प्रभाव का निर्धारण किया गया। इसमें टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित 12 लोगों ने 45 मिनिट्स रेजिस्टेंस एक्सरसाइज के पहले एरोबिक एक्सरसाइज को परफॉर्म किया और एरोबिक एक्सरसाइज से पहले रेजिस्टेंस एक्सरसाइज को परफॉर्म किया। एक्सरसाइज के दौरान और 60 मिनिट के बाद प्लाज्मा ग्लूकोज को मापा गया और इंटरस्टीशियल ग्लूकोज (Interstitial glucose) को व्यायाम के 24 घंटे पहले, दौरान और 24 घंटे बाद लगातार ग्लूकोज मॉनिटरिंग द्वारा मापा गया था।

    इस स्टडी में पता चला कि एरोबिक एक्सरसाइज से पहले रेजिस्टेंस ट्रेनिंग करने से पूरे व्यायाम में ग्लाइसेमिक स्थिरता में सुधार होता है और टाइप 1 मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए व्यायाम के बाद हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) की अवधि और गंभीरता कम हो जाती है।

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    टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव को लेकर हुई अन्य रिसर्च

    टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) विषय पर एक अन्य रिसर्च एनसीबीआई (NCBI) में भी पब्लिश हुई है। जिसमें बताया गया है कि रेजिस्टेंस एक्सरसाइज एक्टिविटी के दौरान रक्त शर्करा में कम प्रारंभिक गिरावट का कारण बनती है, लेकिन यह एरोबिक एक्सरसाइज की तुलना में पोस्टएक्सरसाइज ग्लाइसेमिया में लंबे समय तक कमी के साथ जुड़ी हुई है। रेजिस्टेंस एक्सरसाइज के अध्ययन में पाया गया कि टाइप 1 मधुमेह में यह HbA1c कटौती के लिए जिम्मेदार हो सकती है लेकिन एरोबिक एक्सरसाइज नहीं।

    पहली स्टडी में जहां टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के लिए दोनों एक्सरसाइज को महत्वपूर्ण बताया है वहीं दूसरी स्टडी में रेजिस्टेंस एक्सरसाइज के फायदे पर अधिक जोर दिया गया है। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। एरोबिक और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के बारे में इतनी बात करने के बाद चलिए इन दोनों के बारे में भी थोड़ा जान लेते हैं।

    एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic exercise)

    एरोबिक एक्सरसाइज में वॉकिंग, जॉगिंग, रनिंग, टेनिस और बास्केटबॉल खेलना, स्विमिंग आदि आती हैं। हफ्ते में हर दिन 30 मिनिट्स एरोबिक एक्सरसाइज करनी चाहिए। यहां तक कि अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन हर वीक 150 मिनिट की मॉडरेट इंटेंसिटी एरोबिक एक्सरसाइज रिकमंड करता है। जो कि हफ्ते में 5 दिन 30 मिनिट की एक्सरसाइज होती है। डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होने के साथ ही ये ओवरऑल हेल्थ और वजन कम करने के लिए भी अच्छी होती हैं।

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    रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance training)

    रेजिस्टेंस ट्रेनिंग को आसान भाषा में वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज कहा जा सकता है। हालांकि यह रेजिस्टेंस एक्सरसाइज का एक प्रकार है। रेगुलर रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के जरिए अपने मसल्स को हेल्दी और एक्टिव रखकर डायबिटीज मैनेजमेंट को आसान बनाया जा सकता है। वीक में 2-3 बार रेजिस्टेंस एक्सरसाइज करनी चाहिए। वॉकिंग की तुलना में इस एक्सरसाइज में मसल्स का यूज ज्यादा होता है। खासकर अपर बॉडी मसल्स का।

    जब आप एक वेट ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू कर रहे हों, तो सुनिश्चित करें कि आप सभी उपकरणों का उपयोग करना जानते हो। अपने जिम के कर्मचारियों से पूछें कि आपको वजन का सही तरीके से उपयोग कैसे करना चाहिए, या अपने लिए उचित व्यायाम सीखने के लिए एक निजी प्रशिक्षक लेने पर विचार करें। वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज में निम्न शामिल हैं।

    • वजन उठाना
    • वजन मशीनों पर प्रशिक्षण
    • रेजिस्टेंस बैंड का उपयोग करना

    एरोबिक और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के अलावा डायबिटीज के मरीज फ्लैग्जिबिलिटी ट्रेनिंग भी कर सकते हैं। टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) जानने के बाद ये भी जान लीजिए कि एक्सरसाइज करने से टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को क्या-क्या फायदे होते हैं।

    टाइप 1 मधुमेह के साथ व्यायाम के लाभ (Benefits of exercise with type 1 diabetes)

    टाइप 1 मधुमेह के साथ जीवन बिता रहे लोगों को एक्सरसाइज करने से कई अन्य फायदे हो सकते हैं जो निम्न हैं।

    • A1C टार्गेट तक पहुंचने का बेहतर मौका
    • ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) के टार्गेट को अचीव करने का बेहतर मौका
    • डेली इंसुलिन की जरूरत को कम करने में मदद
    • हायपरटेंशन और डिसलिपिडिमिया (Dyslipidemia) जैसे हार्ट डिजीज (Heart disease) के रिस्क फैक्टर्स को कम करने में मदद
    • रेटिनोपैथी (Retinopathy) और माइक्रोएल्बुमिनूरिया (Microalbuminuria) जैसे कॉम्पिकेशन के रिस्क को कम करने में मदद
    • डायबिटिक कोटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) या सीवियर हायपोग्लाइेमिया के रिस्क में कमी

    और पढ़ें: टाइप 1 पेशेंट्स में हायपोग्लाइसीमिया के कारण जेंडर डिफरेंसेस के बारे में क्या यह सब जानते हैं आप?

    टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के पेशेंट एक्सरसाइज शुरू करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

    इससे पहले कि आप एक नया एक्सरसाइज रूटीन शुरू करें, अपने डॉक्टर या मधुमेह चिकित्सक से बात करना सबसे अच्छा है। वे यह तय करने में आपकी मदद कर सकते हैं कि कौन से वर्कआउट आपके लिए सुरक्षित हैं। वे आपको अपने भोजन, नाश्ते और दवाओं को अपनी दिनचर्या के साथ समन्वयित करके अपने रक्त शर्करा को एक सुरक्षित सीमा में रखने के तरीके के बारे में भी मार्गदर्शन कर सकते हैं। व्यायाम के दौरान और बाद में निम्न रक्त शर्करा को रोकने के लिए, आपका डॉक्टर या मधुमेह चिकित्सक आपको निम्नलिखित में से एक या अधिक कदम उठाने की सलाह दे सकता है:

    इन बातों का रखें ध्यान

  • व्यायाम से पहले, दौरान या व्यायाम के बाद आप जो बोलस या बेसल इंसुलिन लेते हैं, उसकी मात्रा कम करें।
  • व्यायाम करने से पहले, दौरान या बाद में आपके द्वारा खाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट की संख्या बढ़ाएं।
  • अपने एरोबिक वर्कआउट में स्प्रिंट या उच्च-तीव्रता वाले अंतराल शामिल करें।
  • अपने एरोबिक वर्कआउट से पहले प्रतिरोध गतिविधियों को पूरा करें।
  • अपने एक्सरसाइज के समय, इंटेंसिटी या अवधि को समायोजित करें।
  • और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज की समस्या है, तो यह व्यायाम आ सकते हैं आपके काम

    उम्मीद करते हैं कि आपको  टाइप 1 डायबिटीज पेशेंट पर रेजिस्टेंस बनाम एरोबिक एक्सरसाइज का प्रभाव (Effect of resistance versus aerobic exercise on type 1 diabetes patients) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

     

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