प्रेग्नेंसी के साथ ही शरीर में मौजूद न्यूट्रिशन एवं पानी से एमनियॉटिक फ्लूइड का निर्माण शुरू हो जाता है। यूट्रस के अंदर विकसित हो रहे फीटस (Fetus) को एमनियॉटिक फ्लूइड भ्रूण के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और इससे ही शिशु को आवश्यक न्यूट्रिशन की पूर्ति होती है। अब ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड कम बनने लगे, तो यह गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना (Low Amniotic Fluid During Pregnancy) क्यों हो सकता है खतरनाक इसे समझेंगे।
- प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना क्या दर्शाता है?
- प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी के क्या हैं लक्षण?
- प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना आखिर किन कारणों से होता है?
- किन-किन महिलाओं को लो एमनियॉटिक फ्लूइड का खतरा बना रहता है?
- लो एमनियॉटिक फ्लूइड के कारण शिशु को क्या परेशानी हो सकती है?
- प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना कैसे बचें?
चलिए अब प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं, जो गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए आवश्यक है।
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प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना क्या दर्शाता है?
प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी को मेडिकल टर्म में ओलिगोहाइड्रेमनियोस (Oligohydramnios) भी कहा जाता है। जब प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य से कम एमनीओटिक फ्लूइड बनने लगता है, तो ऐसी स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है। प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल से भी शिशु की शारीरिक स्थिति की जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा शिशु के यूरिन सिस्टम की भी जानकारी मिल सकती है।
गर्भावस्था की शुरुआत से अंत तक एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
- 10वें हफ्ता में – 10-20 ml
- 16वें हफ्ता में – 250 ml
- 33वें हफ्ता में – 800 ml
- 38वें हफ्ता से 39वें हफ्ता में – 1000 ml
- 40वें हफ्ता में – 800 ml और एमनियॉटिक तरल की मात्रा कम होने लगती है।
प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना: प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी के क्या हैं लक्षण?
प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे:
- फीटल एक्टिविटी (Fetal activity) कम होना।
- वजायनल डिस्चार्ज से किसी तरह का स्मेल नहीं आना।
- लगातार डिस्चार्ज होना।
- अंडरवियर गिला रहना।
- टॉयलेट के बाद भी डिस्चार्ज होना।
- डिस्चार्ज का रंग हल्का गुलाबी या सफेद होना।
ऐसी स्थिति प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी की ओर इशारा करते हैं। इसलिए अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसे लक्षण नजर आएं या गर्भवती महिला महसूस करें तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना आखिर किन कारणों से होता है?
प्रेगनेंसी के दौरान ओलिगोहाइड्रेमनियोस की समस्या निम्नलिखित कारणों से हो सकती है। जैसे:
- शिशु के किडनी (Kidneys) या यूरिनरी ट्रैक्ट (Urinary tract) की समस्या होना।
- फीटल ग्रोथ ठीक (Poor fetal growth) तरह से नहीं होना।
- प्लेसेंटा एब्रप्शन (Placental abruption) की समस्या होना।
- गर्भवती महिला में क्रोनिक हाय ब्लड प्रेशर (Chronic High Blood Pressure) की समस्या होना।
- गर्भवती महिला को पहले से डायबिटीज की समस्या (Preexisting diabetes) होना।
- बर्थ डिफेक्ट (Birth defects) होना।
- मेंब्रेन का प्रीमैच्योर रप्चर (Premature rupture of membranes) होना।
प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना (Low Amniotic Fluid During Pregnancy) इन्हीं कारणों की वजह से हो सकता है। हालांकि ऐसी स्थिति गंभीर स्थिति भी पैदा कर सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में एमनीओटिक फ्लूइड की कमी से बचाव जरूरी है।
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प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना: किन-किन महिलाओं को लो एमनियॉटिक फ्लूइड का खतरा बना रहता है?
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसारगर्भावस्था के 42वें सप्ताह में एमनियॉटिक फ्लूइड लीक (Leakage Amniotic Fluid) होने की संभावना बनी रहती है। वहीं तकरीबन 4 प्रतिशत महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान ओलिगोहाइड्रेमनियोस की समस्या की शिकार होती हैं। वहीं तकरीबन 12 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में भी प्रेगनेंसी के दौरान ओलिगोहाइड्रेमनियोस (Oligohydramnios during Pregnancy) की समस्या इस लिए देखी जा सकती है, क्योंकि डिलिवरी डेट आगे बढ़ जाती है यानी शिशु का जन्म डिलिवरी डेट के अनुसार नहीं होता है।
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प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना: लो एमनियॉटिक फ्लूइड के कारण शिशु को क्या परेशानी हो सकती है?
लो एमनियॉटिक फ्लूइड के कारण प्रीमैच्योर बर्थ (Premature birth), बर्थ डिफेक्ट्स (Birth defects) और स्टीलबर्थ (Stillbirth) की संभावना बनी रहती है, वहीं मिसकैरिज (Miscarriage) या सी-सेक्शन (C-section) जैसी स्थिति भी बन सकती है।
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प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड कम होना: प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी से कैसे बचें?
सामान्य दिनों के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान भी ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। रिसर्च के अनुसार शरीर में पानी की सही मात्रा एमनियॉटिक फ्लूइड के लेवल को बैलेंस्ड रखने में मददगार होता है। तरल पदार्थों के सेवन से प्रेग्नेंसी के 37वें हफ्ते से प्रेग्नेंसी के 41वें हफ्ते में भी एमनियॉटिक तरल को संतुलित रहने में मदद करता है। आप तरल पदार्थों के रूप में फलों का जूस या फिर सब्जियों का सूप भी ले सकते हैं। अगर आपको किसी फल या सब्जी से एलर्जी है तो बेहतर होगा कि आप उसे डायट में न शामिल करें। अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान लीन प्रोटीन, साबुत अनाज और ज्यादा से ज्यादा मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें।
कभी-कभी प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक तरल की मात्रा में या लेवल में कमी होने के कारण डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह देते हैं। आराम करने से शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है और जो प्लासेंटा में ब्लड फ्लो बढ़ाने में मदद करता है। इससे एमनियॉटिक तरल का लेवल भी ठीक होता है। बेड रेस्ट की सलाह डॉक्टर गर्भवती महिला को दूसरी तिमाही या तीसरे ट्राइमेस्टर की शुरुआत में आराम करने की सलाह देते हैं। हालांकि ज्यादा आराम करना भी गर्भवती महिलाओं के लिए परेशानी हो जाती है। इसलिए इस दौरान आराम करते-करते आप किताबे पढ़ें, गाने सुने या आराम करते हुए कोई अन्य मजेदार काम आप करना चाहें तो आप कर सकती हैं।
नोट: अगर सामान्य से कम एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल की जानकारी मिलती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भवती महिला को बेड रेस्ट (Bed rest) की सलाह दे सकते हैं और हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करने के लिए डायट चार्ट भी शेयर कर सकते हैं। ऐसा करने से एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल (Level of Amniotic Fluid) को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
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इस आर्टिकल में आपने जाना कि प्रेग्नेंसी में एमनियॉटिक फ्लूइड की कमी एक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर इसका इलाज समय रहते न किया जाए, तो गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती दोनों के लिए हानिकारक स्थिति पैदा हो सकती है। इसका पता चलते ही अपने डॉक्टर से उचित इलाज कराएं और हेल्दी और पौष्टिक आहार का सेवन करें। अगर आप एमनियॉटिक फ्लूइड या एमनियॉटिक फ्लूइड के रिसाव से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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