प्रेग्नेंसी की शुरुआत और शरीर में होने वाले बदलाव कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यूटरस में हो रहे बदलाव को समझना जरूरी है। युट्रस फीटस के विकास में खास भूमिका निभाता है। युट्रस ही शिशु को आवश्यक पोषण की पूर्ति हो यह तय करता है और इस शिशु के लिए पोषण की पूर्ति में साथ निभाता है एमनियॉटिक फ्लूइड, लेकिन कई बार बेबी डिलिवरी से काफी वक्त पहले यानी प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव (Leaking Amniotic Fluid During Pregnancy) होने लगता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव (Leaking Amniotic Fluid During Pregnancy) शुरू हो जाए तो ये किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड लीक होना क्यों खतरनाक है और इससे जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को आज इस आर्टिकल में आपके साथ शेयर करेंगे।
एमनियॉटिक फ्लूइड क्या है?
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव क्यों हो सकता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल कितना होना चाहिए?
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव हो रहा है इसे कैसे समझें?
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव से क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं?
चलिए अब एमनियॉटिक फ्लूइड और प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड लीक होना क्यों है खतरनाक इससे जुड़े इन ऊपर बताये सवालों का जवाब जानते हैं।
गर्भधारण के साथ ही शरीर में मौजूद पौष्टिक तत्वों एवं पानी से एमनियॉटिक फ्लूइड का निर्माण होता है। यूट्रस के अंदर डेवलप हो रहे फीटस (Fetus) को एमनियॉटिक फ्लूइड फीटस के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है और इससे ही शिशु को आवश्यक न्यूट्रिशन की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में अगर प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव होने लगे तो सोचिए यह गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए अब आगे समझेंगे कि प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव (Leaking Amniotic Fluid During Pregnancy) किन कारणों से हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव क्यों हो सकता है? (Cause of leaking Amniotic Fluid During Pregnancy)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार एमनियॉटिक फ्लूइड एमनियोटिक सैक (Amniotic Sac) में होता है। एमनियोटिक सैक दो मेम्ब्रेन कोरियोन (Chorion) और एमनियन (Amnion) से प्रोटेक्ट होता है और जब किसी कारण से ये मेम्ब्रेन टूट जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव (Leaking of Amniotic Fluid) शुरू हो जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव के कारणों में शामिल है-
37वें या 38वें हफ्ते से पहले मेम्ब्रेन टूटने की स्थिति में एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव हो सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल कितना होना चाहिए? (Level of Amniotic Fluid During Pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल कम या ज्यादा होते रहता है, क्योंकि इससे ही शिशु अपने पोषण की पूर्ति करता है। प्रेग्नेंसी के 36वें सप्ताह के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल सबसे ज्यादा होता है और 38वें सप्ताह के बाद एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल कम होने लगता है।
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) में पब्लिश्ड रिपोर्ट एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल (Level of Amniotic Fluid) इस प्रकार है-
प्रेग्नेंसी वीक
एमनियॉटिक फ्लूइड का लेवल
34वां सप्ताह
लगभग 800 mL
40वां सप्ताह
लगभग 600 mL
ये है नॉर्मल एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल। प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव को भी समझना जरूरी है।
नोट: अगर सामान्य से कम एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल की जानकारी मिलती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भवती महिला को बेड रेस्ट (Bed rest) की सलाह दे सकते हैं और हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करने के लिए डायट चार्ट भी शेयर कर सकते हैं। ऐसा करने से एमनियॉटिक फ्लूइड लेवल (Level of Amniotic Fluid) को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव से क्या कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं? (Complication due to leaking Amniotic Fluid During Pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव (Leaking Amniotic Fluid During Pregnancy) निम्नलिखित स्थितियों को दर्शाता है। जैसे:
अगर प्रेग्नेंसी के पहले या दूसरे ट्राइमेस्टर में एमनियॉटिक फ्लूइड का रिसाव हो तो ऐसी स्थिति मिसकैरेज (Miscarriage) या स्टिलबर्थ (Stillbirth) की ओर इशारा करती है।
शिशु के विकास (Babies growth) में बाधा पहुंच सकती है।
इंफेक्शन (Infection) की संभावना बढ़ जाती है।
एमनियॉटिक फ्लूइड के रिसाव के कारण समय से पहली डिलिवरी करनी पड़ सकती है।
प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला को डॉक्टर के संपर्क में लगातार रहना चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताई गई डेट पर टेस्ट (Test) या अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) जरूर करवाएं। ऐसा करने से यूट्रस (Uterus) में होने वाले बदलाव, शिशु के विकास (Babies growth) एवं एमनियॉटिक फ्लूइड (Amniotic Fluid) से जुड़ी जानकारी मिलती रहेगी। इस दौरान डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का ठीक तरह से पालन करें और स्वस्थ रहें।
इस आर्टिकल में आपने जाना कि प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियोटिक फ्लूइड का रिसाव एक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर इसका इलाज समय रहते न किया जाए, तो गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती दोनों के लिए हानिकारक स्थिति पैदा हो सकती है। इसका पता चलते ही अपने डॉक्टर से उचित इलाज कराएं और हेल्दी और पौष्टिक आहार का सेवन करें। अगर आप एमनियोटिक फ्लूइड या एमनियोटिक फ्लूइड के रिसाव से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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