परिचय
हेमाटोमा क्या है ?
हेमाटोमा (Hematoma) रक्त वाहिका (Blood Vessels) के बाहर असामान्य रूप से इकठ्ठा हुए खून के संग्रह को कहते हैं। इसमें रक्त वाहिका (Blood Vessels) की दीवार, धमनी (Arteries), नस या कोशिका क्षतिग्रस्त हो जाती है और खून ऐसे ऊतक (Tissue) में जाकर इकठ्ठा हो जाता है, जहां उसे नहीं जाना चाहिए। हेमाटोमा (Hematoma) खून के एक डॉट के जैसा हो सकता है या कह सकते है, इससे बड़ा भी हो सकता है। हेमाटोमा से बहुत ज्यादा सूजन भी हो जाती है। शरीर में रक्त वाहिकाएं (Blood Vessels) लगातार कोशिकाओं की मरम्मत करती रहती हैं। नियमित दिनचर्या में छोटी मोटी चोटें शरीर को लगती रहती हैं, जिसका हमें एहसास तक नहीं होता है, रक्त इन चोटों को ठीक करने के लिए थक्का बनाकर कोशिकाओं की मरम्मत करता है। कभी-कभी शरीर में होने वाली ये स्वतः प्रक्रियाएं जैसे कोशिकाओं की मरम्मत असफल हो जाती है और चोट ज्यादा लगी है तो खून बहने लगता है। जब रक्त वाहिका (Blood Vessels) के अंदर दबाव ज्यादा पड़ जाता है, जिससे खून लगातार धमनियों (Artery) से निकलता है और क्षतिग्रस्त दीवार पर हेमाटोमा (hematoma) हो जाता है।
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हेमाटोमा के प्रकार क्या हैं?
हेमाटोमा को उसके होने वाले स्थान के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में बांटा गया है। सबसे खतरनाक हेमाटोमा वह है, जो खोपड़ी (Skull) के अंदर पाया जाता है इस हेमाटोमा में मस्तिष्क को काम करने में मुश्किल पेश आती है। विशेष तौर पर हेमाटोमा के दो प्रकार होते हैं, जानिए-
1.एपिड्यूरल हेमाटोमा
एपिड्यूरल हेमाटोमा ट्रामा के कारण होते हैं, यह ज्यादातर मस्तिष्क की झिल्लियों में किसी एक से संबंधित धमनी में होते है। यदि इस प्रकार का हेमाटोमा ठीक न हो तो आगे जाकर मस्तिष्क में चोट (Brain injury) भी कर देता है।
2.सबड्यूरल हेमाटोमा
सबड्यूरल हेमाटोमा भी ट्रामा के कारण ही होते हैं, इसमें चोट मस्तिष्क की नसों में होती है। ड्यूरा के नीचे एक स्पेस मौजूद होता है, जिसे सबड्रयूअल कहते हैं, जहां पर खून का धीमा रिसाव होता है। सबड्यूरल स्पेस में कभी-कभी इस कारण खून का आदान-प्रदान भी बंद हो जाता है। सबड्यूरल हेमाटोमा बड़े भी हो जाते है, और मस्तिष्क की सूजन का कारण बनते हैं।
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3.इंट्राक्रेनियल एपिड्यूरल हेमाटोमा
इस तरह का हेमाटोमा खोपड़ी और मस्तिष्क की बाहरी परतों के मध्य होता है।
4.सबउन्गुअल हेमाटोमा
इस तरह का हेमाटोमा नाखून के नीचे होता है। अगर नाखून में किसी तरह का स्पॉट दिखाई दे रहा है तो सबउन्गुअल हेमाटोमा हो सकता है।
5.इंट्रा-एब्डोमिनल, पेरिटोनियल या रिट्रोपेरिटोनियल हेमाटोमा
पेट की गुहा के भीतर होने वाला हेमाटोमा इंट्रा-एब्डोमिनल, पेरिटोनियल या रिट्रोपेरिटोनियल हेमाटोमा कहलाता है।
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6.कान या श्रवण संबंधी हेमाटोमा
कान के कार्टिलेज और उस पर लिपटी त्वचा के बीच होने वाला हेमाटोमा कान या श्रवण संबंधी हेमाटोमा कहलाता है।
7.स्प्लेनिक हेमाटोमा
स्प्लनी या तिल्ली के भीतर होने वाला हेमाटोमा स्प्लेनिक हेमाटोमा कहलाता है।
8.हिपेटिक हेमाटोमा
लीवर के भीतर होने वाला हेमाटोमा हिपेटिक हेमाटोमा कहलाता है।
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लक्षण
हेमाटोमा के लक्षण क्या हैं ?
हेमाटोमा (Hematoma) रक्त वाहिका (Blood Vessels) के बाहर असामान्य रूप से इकठ्ठा हुए खून के संग्रह को कहते हैं। हेमाटोमा होने पर जलन और सूजन जैसी समस्या हो जाती है। हेमाटोमा के लक्षण उनके स्थान पर निर्भर करते है। हेमेटोमा से सूजन के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- लाली (Redness) होना
- प्रभावित क्षेत्र में कोमलता और गर्मी महसूस करना
- दर्द होना
- सूजन हो जाना
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कारण
हेमाटोमा के क्या कारण हैं ?
ट्रॉमा (Trauma) हेमाटोमा होने का सबसे आम कारण है। सामान्यतः हम ट्रामा को लेकर वाहन दुर्घटना होने से, गिरने, सिर में चोट, टूटी हड्डियों और बंदूक की गोली के घावों के बारे में सोचते हैं। लेकिन, यह ट्रॉमा छींक या हाथ- पैर के अप्रत्याशित मोड़ (Unexpected Twist) के कारण भी हो सकती है। रक्तस्राव (Bleeding) की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, क्लॉट यानी हेमेटोमा उतना बड़ा होगा। हेमेटोमा के कारण ये निम्न परिस्थितियां भी हो सकती हैं।
1.हेमाटोमा का कारण पेल्विक बोन फ्रैक्चर
हेमाटोमा का कारण पेल्विक बोन फ्रैक्चर भी है, पेल्विक बोन टूटने से भी काफी खून बह जाता है, क्योंकि इन हड्डियों के टूटने से आस-पास की नसें और धमनियां भी ज्यादातर क्षतिग्रस्त हो जाती है।
2.महिलाओं में हेमाटोमा होने का कारण पीरियड्स
महिलाओं में हेमाटोमा होने का कारण पीरियड्स भी हो सकता है। पीरियड्स के दौरान खून योनि में जमा होता है, जिसके बाद पीरियड्स के दौरान खून तुरंत बाहर निकलने के बजाय छोटे-छोटे खून के थक्कों के रूप में बाहर निकलता है।
3.हेमाटोमा का कारण गर्भावस्था और डिलिवरी
यदि प्रेग्नेंसी सामान्य नहीं है तब हेमाटोमा की समस्या आ सकती है, डिलिवरी के लिए लेबर पेन होने पर भी हेमाटोमा हो सकता है।
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हेमाटोमा की जांच कैसे की जाती है?
जब किसी इंसान को हेमाटोमा की समस्या होती है तो उसकी जाँच और परीक्षण करके पता लगा जा सकता है कि हेमाटोमा है या नही। हेमाटोमा की जाँच या परीक्षण के लिए मरीज का विस्तृत चिकित्सकीय इतिहास के साथ ही शारीरिक निरीक्षण किया जाता है। इसके अलावा चोट या प्रदर्शन के आधार पर ब्लड टेस्ट करके भी हेमाटोमा का पता लगाया जा सकता है।
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इलाज
हेमाटोमा का इलाज कैसे किया जाता है?
- सामान्य तौर पर हेमाटोमा समय के साथ ठीक हो जाता है। इसमें खून का थक्का धीरे-धीरे स्पंजी और नरम हो जाता है और खून के थक्के को तोड़ कर हेमाटोमा समतल हो जाता है और इस तरह हेमाटोमा खुद ही ठीक हो जाता है।
- कई बार हेमाटोमा बैंगनी-नीले रंग से पीले और भूरे रंग में बदल जाता है क्योंकि खून में मौजूद केमिकल धीरे-धीरे मेटाबोलाइज हो जाते हैं और हेमाटोमा ठीक हो जाता है।
- ज्यादातर हेमाटोमा मामूली ट्रॉमा के कारण होते है, कई बार हमें स्वयं को चोट लग जाती है और इसका एहसास तक नहीं होता। अक्सर ये अपने आप ठीक हो जाते है। अगर हेमाटोमा दो से तीन दिन में जरा भी ठीक न हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
- हेमाटोमा में डॉक्टर ओवर-द-काउंटर दवाएं दे सकते है, हालांकि कई मामले में डॉक्टर यदि लीवर या कोई अन्य समस्या हो तो ओवर-द-काउंटर दवाएं नहीं देते। आइब्रुफेन भी दी जा सकती है। इलाज इस बात पर भी निर्भर करता है कि हेमाटोमा शरीर के किस अंग में हुआ है। यदि मस्तिष्क पर हुआ है तो डॉक्टर दवाइयां लेने की सलाह देते हैं।
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हेमाटोमा (Hematoma) रक्त वाहिका (Blood Vessels) के बाहर असामान्य रूप से इकठ्ठा हुए खून के संग्रह को कहते है। वैसे तो हेमाटोमा खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन अगर समस्या ज्यादा है तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।