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OFT: ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या हैं?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/06/2021

    OFT: ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या हैं?

    किसी भी शारीरिक परेशानी की गंभीरता को समझने के लिए पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री समझने के साथ-साथ डॉक्टर कुछ बॉडी चेकअप करवाने की भी सलाह देते हैं। हेल्थ चेकअप रिपोर्ट्स से बीमारी की गंभीरता या बीमारी कौन सी स्टेज पर है, इसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test [OFT]) के बारे में जानेंगे।

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट के पहले किन बातों को ध्यान रखना जरूरी है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट के रिपोर्ट का क्या मतलब है?

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    चलिए अब इस आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट (RBC Fragility Test) से जुड़ी पूरी जानकारी आपसे एक-एक कर आपसे शेयर करते हैं।

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) क्या है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट को मेडिकल टर्म में आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट (RBC Fragility Test) भी कहा जाता है। ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट की आवश्यकता थैलेसीमिया (Thalassemia) एवं हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस (Hereditary Spherocytosis) के इलाज के लिए किया जाता है।

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test)

    थैलेसीमिया (Thalassemia)- थैलेसीमिया एक जेनेटिकल डिजीज है, जिसकी वजह से हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) का असामान्य निर्माण होता है। आपको बता दें कि हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) आपके शरीर मे ऑक्सिजन (Oxygen) को पहुंचाने का काम करता है। अगर शरीर मे इसकी कमी हो जाये तो ब्लड और ऑक्सिजन दोनों की ही कमी हो जाती है। अगर इस बीमारी का समय पर इलाज ना किया गया तो यह बीमारी खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकती है।

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    हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस (Hereditary Spherocytosis)- रेड ब्लड सेल्स के सबसे बाहरी हिस्से में होने वाली परेशानी धीरे-धीरे एनीमिया का भी कारण बन सकती है और ऐसी स्थिति हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस कही जाती है।

    थैलेसीमिया एवं हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस से जुड़ी परेशानी होने पर ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (OFT) की आवश्यकता पड़ती है। इस टेस्ट के दौरान पेशेंट के शरीर से ब्लड सैंपल (Blood sample) लिया जाता है। आपकी लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) का परीक्षण यह देखने के लिए किया जाएगा कि वे सेलाइन सॉल्यूशन (नमक का घोल) में कितनी आसानी से टूट जाती हैं। यदि आपकी लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) सामान्य से अधिक नाजुक हैं, तो टेस्ट को पॉजिटिव (Positive) माना जाता है।

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    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) की जरूरत क्यों पड़ती है?

    डॉक्टर थैलेसीमिया या हेरिडेटरी स्फेरोसाइटोसिस के फैमली हिस्ट्री वाले बच्चों के लिए ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) करवाने की सलाह देते हैं। यह बीमारी के निदान में मदद करने का एक तेज और किफायती तरीका हो सकता है। हालांकि कभी-कभी अन्य जेनेटिक टेस्ट (Genetic test) या ब्लड टेस्ट (Blood Test) की सलाह भी दी जा सकती है अगर रिपोर्ट एक जैसे या ठीक नहीं आने की स्थिति में। इसके अलावा निम्नलिखित स्थितियों में भी ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (OFT) की भी सलाह दी जा सकती है। जैसे:

    इन ऊपर बताई गई शारीरिक स्थितियों में भी ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) की सलाह दी जा सकती है।

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    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के पहले किन बातों को ध्यान रखना जरूरी है?

    वैसे तो ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) नॉर्मल ब्लड टेस्ट (Blood test) ही है, लेकिन अगर आपके हेल्थ एक्सपर्ट ने इस टेस्ट की सलाह दी है, तो अगर किसी तरह कोई दवाओं (Medication) का सेवन करते हैं तो उनका सेवन ना करें। इस दौरान आप डॉक्टर से ये जरूर जान लें कि ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के पहले आपको कुछ खाना है या नहीं। आप जिन दवाओं का रोजाना करते हैं, उनका सेवन करें या ना करें।

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के दौरान क्या किया जाता है?

    • ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक नॉर्मल ब्लड टेस्ट है, जिसे (Venipuncture) वेनिपंक्चर भी कहा जाता है। ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट लैब या फिर डॉक्टर के क्लिनिक में भी की जा सकती है।
    • यदि आपने लंबी बाजू की शर्ट पहनी हुई है, तो हेल्थ एक्सपर्ट आपको अपनी शर्ट की बाजू को ऊपर रोल करने या फिर हाफ शर्ट टी-शर्ट पहनने की सलाह देंगे। ऐसा करने से ब्लड सैंपल आसानी से लिया जा सकता है।
    • नसों में ब्लड फ्लो के लिए अपर आर्म में एलास्टिक बैंड बांध देंगे, जिससे ब्लड सैंपल (Blood sample) लेना आसान हो जायेगा।
    • अब वेन और उसके आसपास एंटीसेप्टिक (Antiseptic) से क्लीन करेंगे और फिर ब्लड लेंगे। इस दौरान एक हल्का से पिंच महसूस किया जा सकता है।
    • ब्लड सैंपल (Blood sample) लेने के बाद जिस एरिया पर निडिल इंजेक्ट की गई थी वहां एक छोटा सा बैंडेज लगा दिया जाता है।

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के दौरान पूरी प्रक्रिया नॉर्मल ब्लड टेस्ट (Blood Test) की तरह ही होती है। इसलिए अगर ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) की बात हो, तो घबराये नहीं और यह टेस्ट जरूर करवाएं।

    नोट: इस टेस्ट (Test) के दौरान यह ध्यान रखें कि इस्तेमाल की हुई सिरिंच (सुई) का प्रयोग ना किया जाए, क्योंकि इससे इंफेक्शन (Infection) का खतरा हो सकता है।

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    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) के रिपोर्ट का क्या मतलब है?

    ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आती है, तो यह थैलेसीमिया (Thalassemia) एवं हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस (Hereditary Spherocytosis) जैस बीमारियों को दर्शाते हैं। पेशेंट के हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को ध्यान में रखते हुए इलाज शुरू की जाती है।

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    अगर आप ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट (Osmotic Fragility Test) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप थैलेसीमिया (Thalassemia) या हेरिडेटरी स्फेरॉयटॉसिस (Hereditary Spherocytosis) जैस किसी अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हेल्थ एक्सपर्ट आपके हेल्थ को ध्यान में रखकर आपको आवश्यक टेस्ट करवाने की सलाह देंगे और इसके साथ ही आवश्यक दवा भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं और ब्लड डिसऑर्डर (Blood disorder) से जुड़ी तकलीफों को दूर करने में आपकी सहायता करेंगे।

    बॉडी को फिट (Fit body) रखने के लिए हमसभी हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करते हैं, लेकिन स्वस्थ रहने के लिए सिर्फ हेल्दी डायट फॉलो करना ही काफी नहीं है! फिट रहने के लिए समय पर खाना भी है जरूरी। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और जानें एक्सपर्ट से कब और क्या खाएं।

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