एक म्यूटेड जीन्स (One Mutated Genes) : इसमें आपको थैलेसीमिया का कोई भी लक्षण नजर नहीं आएगा। लेकिन, आप इस बीमारी के वाहक हैं और आप इसे अपने बच्चे को पास कर सकते हैं। दो म्यूटेड जीन्स (Two Mutated Genes) : इसमें थैलेसीमिया के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। इस स्थिति को अल्फा थैलेसीमिया ट्रेट (Alpha-Thalassemia Trait) कहा जा सकता है। तीन म्यूटेड जीन्स (Three Mutated Genes) : इसमें लक्षण मॉडरेट से गंभीर तक हो सकते हैं। इन्हेरीट चार म्युटेटेड जीन्स (Inherit Four Mutated Genes) बहुत दुर्लभ है। इस स्थिति का शिकार बच्चे जन्म के बाद अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं या उन्हें पूरी उम्र ट्रांसफ्यूजन थेरेपी (Transfusion Therapy) की जरूरत होती है। दुर्लभ मामलों में इस स्थिति का शिकार बच्चे का उपचार ट्रांसफ्यूजन (Transfusion) और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) से संभव होता है।
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बीटा थैलेसीमिया (Beta Thalassemia)
बीटा थैलेसीमिया (Beta Thalassemia) में सबटायप्स मेजर (Subtypes Major) और इंटरमीडिया (Intermedia) आते हैं। बीटा थैलेसीमिया चेन को बनाने के लिए दो जीन्स शामिल होते हैं। इनमें से हर एक को रोगी अपने माता और पिता से प्राप्त करता है।
एक म्यूटेड जीन्स (One Mutated Genes) : इसमें आपको माइल्ड लक्षण देखने को मिलते हैं। इस स्थिति को थैलेसीमिया माइनर (Thalassemia Minor) या बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है।
दो म्यूटेड जीन्स (Two Mutated Genes) : इसमें लक्षण मॉडरेट से गंभीर तक हो सकते हैं। इस स्थिति को थैलेसीमिया मेजर (Thalassemia Major) कहा जाता है।
जो बच्चे डिफेक्टिव बीटा हीमोग्लोबिन जीन्स के साथ जन्म लेते हैं, वो आमतौर पर जन्म से स्वस्थ होते हैं। लेकिन, जीवन के पहले दो सालों में उनमें इसके लक्षण विकसित होने लगते हैं। इसके माइल्डर प्रकार को थैलेसीमिया इंटरमीडिया (Thalassemia Intermedia) कहा जाता है। अल्फा और बीटा थैलेसीमिया के बारे में तो आप जान ही गए होंगे अब पाते हैं जानकारी अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) के कारण, निदान और उपचार के बारे में।
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थैलेसीमिया के कारण (Causes of Thalassemia)
थैलेसीमिया की बीमारी सेल्स के DNA में म्यूटेशन के कारण होती है, जो हीमोग्लोबिन बनाती हैं। यह रेड ब्लड सेल्स में मौजूद वो चीज है जो शरीर में ऑक्सीजन को ले जाती है। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन मोलेक्युल्स चेन्स से बने होते हैं, जिन्हें अल्फा और बीटा चेन्स के नाम से जाना जाता है। यह म्यूटेशन द्वारा प्रभावित होती हैं। थैलेसीमिया में या तो अल्फा चेन्स या फिर बीटा चेन्स को कम किया जाता है। जिसका परिणाम होता है अल्फा या बीटा थैलेसीमिया। अल्फा थैलेसीमिया (Alpha-Thalassemia) में , थैलेसीमिया की गंभीरता जीन म्यूटेशन पर निर्भर होती है। जो हम अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं। अगर म्युटेटेड जीन (Mutated Genes) अधिक होंगे, तो थैलेसीमिया की गंभीरता और भी अधिक होती है। बीटा थैलेसीमिया में थैलेसीमिया की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल (Hemoglobin Molecules) का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।
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अल्फा थैलेसीमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Alpha Thalassemia Diagnosis)
अल्फा थैलेसीमिया के निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही फैमिली हिस्ट्री के बारे में जाना जाएगा। डॉक्टर आपको यह टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं। ताकि उन्हें यह जानने में मदद मिल सके कि कहीं आप इस समस्या के वाहक तो नहीं हैं। अगर आप इसके वाहक हैं तो आप इस डिसऑर्डर को अपने बच्चों तक पास कर सकते हैं। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं: