backup og meta

क्या है अल्फा और बीटा थैलेसीमिया?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/05/2021

    क्या है अल्फा और बीटा थैलेसीमिया?

    ब्लड मनुष्य और अन्य जानवरों में पाया जाने वाला एक बॉडी फ्लूइड है। यह सेल्स तक न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन पहुंचाता है और इसके साथ ही यह मेटाबॉलिक वेस्ट (Metabolic Waste) को इन कोशिकाओं से दूर ले जाने में भी मदद करता है। जब खून में मौजूद सेल्स उस तरह से काम नहीं करते हैं, जैसे उन्हें करना चाहिए, तो यह ब्लड डिसऑर्डर के कारण बन सकते हैं। ब्लड डिसऑर्डर कई तरह के होते हैं जैसे ल्यूकेमिया (Leukemia) ,लिम्फोमा (Lymphoma) , थैलेसीमिया (Thalassemia) आदि। अगर आप इनके बारे में नहीं जानते हैं। तो इस लेख के माध्यम से हम आपको थैलेसीमिया और इसके प्रकारों अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) के बारे में बताने की कोशिश करेंगे। जानें इस बारे में विस्तार से:

    थैलेसीमिया क्या है? (What is Thalassemia)

    थैलेसीमिया एक इनहेरिटेड ब्लड डिसऑर्डर है, जो प्रभावित व्यक्ति के शरीर में सामान्य से कम मात्रा में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) होने का कारण बनता है। थैलेसीमिया एनीमिया का कारण भी बन सकता है और एनीमिया की वजह से रोगी थकावट महसूस करता है। अगर किसी व्यक्ति को माइल्ड थैलेसीमिया (Mild Thalassemia) की समस्या है, तो उसे उपचार की जरूरत नहीं होती। लेकिन, अधिक गंभीर स्थिति में नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Regular Blood Transfusion) की आवश्यकता हो सकती है। इसके साथ ही थकावट दूर करने के लिए रोगी को सही डायट और व्यायाम की जरूरत होती है।

    अल्फा और बीटा थैलेसीमिया

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार थैलेसीमिया माता-पिता से बच्चों तक पास हो सकता है। इससे बचाव बहुत मुश्किल है। लेकिन, अगर आप जानते हैं कि आपके परिवार में किसी को यह समस्या है या आपको यह रोग होने की संभावना अधिक है तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें। सही समय पर डॉक्टर से बात करने से आपको इस समस्या के जोखिम का पता चल जाएगा। इसके साथ ही आप यह भी जान जाएंगे कि कहीं यह बीमारी आपके माध्यम से अपने बच्चों को तो पास नहीं होगी

    और पढ़ें : ये हैं हीमोग्लोबिन बढ़ाने के फूड्स, खून की कमी होने पर करें इनका सेवन

    थैलेसीमिया के लक्षणों के बारे में जानें (Symptoms of Thalassemia)

    थैलेसीमिया के कई प्रकार हैं और इसके लक्षण थैलेसीमिया के प्रकारों यानी अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) और रोगी की स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। हालांकि, थैलेसीमिया के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    कई बार जन्म लेते ही बच्चों में थैलेसीमिया के लक्षण नजर आने लगते हैं। तो कुछ बच्चों में उम्र के पहले दो सालों में इसके लक्षण विकसित होने लगते हैं। आइए, अब जानते हैं इसके प्रकारों के बारे में। 

    थैलेसीमिया के प्रकार कौन से हैं? (Types of Thalassemia)

    थैलेसीमिया इनहेरिटेड स्थितियां हैं और माता-पिता से बच्चों तक पास होती हैं। जो लोग थैलेसीमिया जीन के वाहक होते हैं, उनमें थैलेसीमिया के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। उन्हें यह पता भी नहीं होता है कि वे इसके वाहक हैं। अर्थात, यदि माता-पिता दोनों इस जीन के वाहक हैं, तो वे अपने बच्चों को यह बीमारी पास कर सकते हैं। थैलेसीमिया संक्रामक नहीं हैं और इसके मुख्यतः दो प्रकार होते हैं। अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia)। 

    और पढ़ें : Blood Type Diet: ब्लड टाइप डायट क्या है?

    अल्फा थैलेसीमिया (Alpha Thalassemia)

    अल्फा थैलेसीमिया (Alpha Thalassemia) में हीमोग्लोबिन एच (Hemoglobin H ) और हाइड्रोप्स फेटालिस (Hydrops Fetalis) शामिल हैं। अल्फा हीमोग्लोबिन चेन को बनाने के लिए चार जीन्स होते हैं, जिनमें से हर दो हम अपने पेरेंट्स से प्राप्त करते हैं।

  • एक म्यूटेड जीन्स (One Mutated Genes) : इसमें आपको थैलेसीमिया का कोई भी लक्षण नजर नहीं आएगा। लेकिन, आप इस बीमारी के वाहक हैं और आप इसे अपने बच्चे को पास कर सकते हैं। 
  • दो  म्यूटेड जीन्स (Two Mutated Genes) : इसमें थैलेसीमिया के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। इस स्थिति को अल्फा थैलेसीमिया ट्रेट (Alpha-Thalassemia Trait) कहा जा सकता है। 
  • तीन म्यूटेड जीन्स (Three Mutated Genes) : इसमें लक्षण मॉडरेट से गंभीर तक हो सकते हैं। 
  • इन्हेरीट चार म्युटेटेड जीन्स (Inherit Four Mutated Genes) बहुत दुर्लभ है। इस स्थिति का शिकार बच्चे जन्म के बाद अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं या उन्हें पूरी उम्र ट्रांसफ्यूजन थेरेपी (Transfusion Therapy) की जरूरत होती है। दुर्लभ मामलों में इस स्थिति का शिकार बच्चे का उपचार ट्रांसफ्यूजन (Transfusion) और स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) से संभव होता है।

    और पढ़ें : Thalassemia : थैलेसीमिया क्या है?

    बीटा थैलेसीमिया (Beta Thalassemia)

    बीटा थैलेसीमिया (Beta Thalassemia) में सबटायप्स मेजर (Subtypes Major) और इंटरमीडिया (Intermedia) आते हैं। बीटा थैलेसीमिया चेन को बनाने के लिए दो जीन्स शामिल होते हैं। इनमें से हर एक को रोगी अपने माता और पिता से प्राप्त करता है

    एक म्यूटेड जीन्स (One Mutated Genes) : इसमें आपको माइल्ड लक्षण देखने को मिलते हैं। इस स्थिति को थैलेसीमिया माइनर (Thalassemia Minor) या बीटा थैलेसीमिया कहा जाता है।

    दो म्यूटेड जीन्स (Two Mutated Genes) : इसमें लक्षण मॉडरेट से गंभीर तक हो सकते हैं। इस स्थिति को थैलेसीमिया मेजर (Thalassemia Major) कहा जाता है।

    जो बच्चे डिफेक्टिव बीटा हीमोग्लोबिन जीन्स के साथ जन्म लेते हैं, वो आमतौर पर जन्म से स्वस्थ होते हैं। लेकिन, जीवन के पहले दो सालों में उनमें इसके लक्षण विकसित होने लगते हैं। इसके माइल्डर प्रकार को थैलेसीमिया इंटरमीडिया (Thalassemia Intermedia) कहा जाता है। अल्फा और बीटा थैलेसीमिया के बारे में तो आप जान ही गए होंगे अब पाते हैं जानकारी अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) के कारण, निदान और उपचार के बारे में

    Quiz: ब्लड डोनेशन से जुड़े मिथक दूर करेगा यह क्विज

    थैलेसीमिया के कारण (Causes of Thalassemia)

    थैलेसीमिया की बीमारी सेल्स के DNA में म्यूटेशन के कारण होती है, जो हीमोग्लोबिन बनाती हैं। यह रेड ब्लड सेल्स में मौजूद वो चीज है जो शरीर में ऑक्सीजन को ले जाती है। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन मोलेक्युल्स चेन्स से बने होते हैं, जिन्हें अल्फा और बीटा चेन्स के नाम से जाना जाता है। यह म्यूटेशन द्वारा प्रभावित होती हैं। थैलेसीमिया में या तो अल्फा चेन्स या फिर बीटा चेन्स को कम किया जाता है। जिसका परिणाम होता है अल्फा या बीटा थैलेसीमिया। अल्फा थैलेसीमिया (Alpha-Thalassemia) में , थैलेसीमिया की गंभीरता जीन म्यूटेशन पर निर्भर होती है। जो हम अपने माता-पिता से प्राप्त करते हैं। अगर म्युटेटेड जीन (Mutated Genes) अधिक होंगे, तो थैलेसीमिया की गंभीरता और भी अधिक होती है। बीटा थैलेसीमिया में थैलेसीमिया की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है हीमोग्लोबिन मॉलिक्यूल (Hemoglobin Molecules) का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है।

    और पढ़ें :  Complete Blood Count Test : कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट क्या है?

    अल्फा थैलेसीमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Alpha Thalassemia Diagnosis)

    अल्फा थैलेसीमिया के निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही फैमिली हिस्ट्री के बारे में जाना जाएगा। डॉक्टर आपको यह टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं। ताकि उन्हें यह जानने में मदद मिल सके कि कहीं आप इस समस्या के वाहक तो नहीं हैं। अगर आप इसके वाहक हैं तो आप इस डिसऑर्डर को अपने बच्चों तक पास कर सकते हैं। यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:

    यह सभी टेस्ट सिंगल ब्लड सैंपल के प्रयोग से किये जाते हैं। अब जानते हैं अल्फा थैलेसीमिया  के उपचार के बारे में। 

    Alpha and Beta Thalassemia

    अल्फा थैलेसीमिया का उपचार कैसे किया जाता है? (Alpha Thalassemia Treatment)

    आपके डॉक्टर इस स्थिति के निदान के लिए रोगी की उम्र, पूरे स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री को जानते हैं। इस जानकारी के बाद ही वो इसका उपचार निर्धारित करते हैं। इसका उपचार इस तरह से किया जा सकता है:

    और पढ़ें : सावधान! गर्भावस्था में है थैलेसिमिया, तो लापरवाही आपको पड़ सकती है भारी!

    अल्फा थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए टिप्स (Tips for Patient of Alpha Thalassemia)

    अल्फा थैलेसीमिया से पीड़ित कई लोगों को इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं या कई लोग इस समस्या के बहुत अधिक लक्षण महसूस करते हैं। अगर आपको कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। तब भी आपको डॉटर की सलाह लेनी चाहिए। ताकि, यह बीमारी का जोखिम आपके बच्चों को न हो। 

    अगर आपको इसके लक्षण महसूस होते हैं तो भी अपने डॉक्टर से सलाह लें और एनीमिया के लक्षणों को कम करने के लिए सही उपचार लें। अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) के बारे में पूरी जानकारी में अब जानें बीटा थैलेसीमिया के बारे में।

    और पढ़ें : Haemolytic Anaemia: हीमोलिटिक एनीमिया क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

     बीटा थैलेसीमिया का निदान कैसे होता है? (Beta thalassemia diagnosis)

    बीटा थैलेसीमिया अधिकतर 6 से 12 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। इसके निदान के लिए भी डॉक्टर पहले लक्षणों के बारे में जानते हैं। उसके बाद वो आपको कुछ टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। यह टेस्ट्स आपको बता सकते हैं कि कहीं आप इस समस्या के वाहक तो नहीं हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं: 

    • कम्पलीट ब्लड काउंट (Complete Blood Count)
    • हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस के साथ हीमोग्लोबिन F और A2 क्वान्टिटेशन (Hemoglobin Electrophoresis with Hemoglobin F and A2 Quantitation) 

    बीटा थैलेसीमिया का उपचार कैसे किया जाता है? (Beta Thalassemia Treatment) 

    अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) दोनों के उपचार के लिए डॉक्टर रोगी से उम्र, संपूर्ण स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं। इसके उपचार में यह विकल्प शामिल हो सकते हैं:

    • नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Regular Blood Transfusions)
    • शरीर से अतिरिक्त आयरन को बाहर निकालने के लिए दवाईयां (Medicines to Reduce Extra Iron from your Body)
    • जरूरत पड़ने पर स्प्लीन को निकालने के लिए सर्जरी (Surgery to Remove the Spleen, if needed)
    • रोजाना फोलिक एसिड (Daily Folic Acid)
    • गॉलब्लेडर को रिमूव करने के लिए सर्जरी (Surgery to Remove the Gallbladder)
    • हार्ट और लिवर फंक्शन की नियमित जांच (Regular checks of Heart and Liver Function)
    • जेनेटिक टेस्ट्स (Genetic Tests)
    • बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant)

    अल्फा और बीटा थैलेसीमिया

    और पढ़ें : ये हैं हीमोग्लोबिन बढ़ाने के फूड्स, खून की कमी होने पर करें इनका सेवन

    बीटा थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए टिप्स (Tips for Patient of Beta Thalassemia)

    अगर आपको बीटा थैलेसीमिया मेजर या इंटरमीडिया की समस्या है, तो इसके साथ रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। अपने डॉक्टर के साथ बात कर के ऐसे ट्रीटमेंट का प्लान करें जिसमें ब्लड ट्रांसफ्यूजन शामिल है। इसके साथ ही आपको नियमित ब्लड टेस्ट और फिजिकल जांच भी करानी चाहिए। इंफेक्शंस से बचने के लिए यह जरूरी है। ऐसे लोगों से दूर रहें जो बीमार हैं और अपने हाथों को धोते रहें। 

    बीटा थैलेसीमिया में अधिक जटिलताएं हो सकती हैं जैसे:

    • थैलेसीमिया मिनिमा (Thalassemia Minima) माइल्ड होता है और इसमें कोई समस्या नहीं होती।
    • थैलेसीमिया इंटरमीडिया (Thalassemia Intermedia) के कारण एनीमिया की गंभीरता के आधार पर समस्या हो सकती है जैसे ग्रोथ में समस्या, हड्डियों का कमजोर होना आदि।
    • बीटा थैलेसीमिया कई गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकता है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है।

    और पढ़ें : खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए अपनाएं आसान टिप्स

    यह तो थी अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) के बारे में पूरी जानकारी। अधिकतर मामलों में अल्फा और बीटा थैलेसीमिया (Alpha and Beta Thalassemia) से बचाव संभव नहीं है। अगर आप माता-पिता बनना चाहते हैं और आपको यह समस्या है या आप थैलेसीमिया जीन्स को कैरी कर रहे हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। इस स्थिति में डॉक्टर आपका सही मार्गदर्शन करेंगे ताकि आप और आपके बच्चे भविष्य में सुरक्षित और स्वस्थ रहें

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/05/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement