लंग कैंसर की शुरुआत लंग्स से होती है और यह रोग उन लोगों को अधिकतर होता है जो स्मोकिंग करते हैं। दो मेजर टाइप के लंग कैंसर नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (Non-small cell lung cancer) और स्मॉल सेल्स लंग कैंसर (Small cell lung cancer) ) के नाम से जाना जाता है। लंग कैंसर (Lung cancer) के कारणों में स्मोकिंग, खास टॉक्सिन्स का एक्सपोजर और फैमिली हिस्ट्री आदि शामिल हैं। इसके उपचार के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, टार्गेटेड ड्रग थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी आदि की सलाह दी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि योगा करने से भी लंग कैंसर के पेशेंट्स को लाभ होता है। आज हम लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) के बारे आपको जानकारी देने वाले हैं। लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) से पहले योगा के लाभ के बारे में जान लेते हैं।
लंग कैंसर (Lung cancer) की स्थिति में योगा के क्या हैं लाभ?
फिजिकल एक्टिविटीज को लंग पेशेंट्स के लिए लाभदायक माना जाता है। एक्सरसाइज या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करने से स्ट्रेस दूर होती है, मूड सुधरता है, थकावट कम होती है और जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है। यहां तक की लाइट एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन नामक हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं जिनसे नींद सुधरती है, मूड सही रहता है और स्ट्रेस कम होता है। लंग कैंसर (Lung cancer) में स्विमिंग, वॉकिंग और योगा को बेहतरीन माना जाता है, क्योंकि यह मॉडरेट और लो इम्पैक्ट एक्सरसाइजेज हैं। बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि अगर आप किसी ट्रीटमेंट से गुजर रहे हैं तो आप योगा नहीं कर सकते। लेकिन, इसे करने के कई फायदे हैं। योगा करने से इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और स्ट्रेस व एंग्जायटी से छुटकारा मिलता है।
इससे सिस्टम को डीटॉक्सिफाय करने में मदद मिलती है। यही नहीं, लंग कैंसर (Lung cancer) के उपचार के साइड इफेक्ट्स जैसे थकावट, कब्ज, स्ट्रेस आदि से भी योगा करने के बाद राहत मिल सकती है। इसके साथ ही योगा की ब्रीदिंग तकनीकें पोर्टेबल हैं। कैंसर पेशेंट इसे घर पर आराम से किसी भी समय कर सकते हैं। लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) में अब जानते हैं इस रोग में फायदेमंद कुछ आसान योगासनों के बारे में।
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लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer): कौन से योगासन आ सकते हैं काम?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि लंग कैंसर (Lung cancer) की स्थिति में कई योगासन फायदेमंद साबित हो सकते हैं। लेकिन, योगा की शुरुआत करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में ही इसे करें। जानिए लंग कैंसर में फायदेमंद योगासनों के बारे में:
लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer): नौकासन (Naukasana)
नौकासन को बोट पोज भी कहा जाता है। इस योगा को करते हुए पोजीशन नौका यानी बोट की तरह लगती है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए किसी शांत स्थान पर दरी या मैट बिछा लें। अब इस मैट पर बैठ जाएं और अपनी पीठ को सीधा रखें। अपनी टांगों को आगे की ओर फैला लें। अब सांस अंदर लें ओर अपनी टांगों को 30 से 45 डिग्री ऊपर की तरफ ले जाएं। इस दौरान अपनी पीठ को सीधा रखने और बैलेंस बनाए रखने की कोशिश करें। जितनी देर हो सके इस पोजीशन में रहें और उसके बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।
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सुखासन (Sukhasana)
यह एक आसान योगासन है, जिससे शरीर और माइंड को रिलैक्स होने में मदद मिलती है। तनाव को दूर करने में भी यह योगासन बेहतरीन माना जाता है। इस आसन को करने के लिए आप किसी शांत जगह पर बैठे और अपनी टांगों को अपने शरीर के आगे फैला लें।अपने बाएं पैर को दाहिनी जांघ के नीचे फोल्ड करें। फिर दाएं पैर को बायीं जांघ के नीचे रखें। अपने सिर, गर्दन और स्पाइन को सीधा आरामदायक पोजीशन में रखें। इस दौरान अपने हाथों को अपने घुटनों पर या अपनी गोद में रखें। अब अपनी आंखों को बंद कर लें और पूरे शरीर को रिलैक्स होने दें। आप इस पोजीशन में लम्बे समय तक रह सकते हैं।
लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer): सर्पासना (Sarpasana)
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पेट के बल सीधा लेट जाएं और अपनी टांगों को सीधा कर लें। इस दौरान आपके पैर जुड़े होने चाहिए। अब पीठ के पीछे अपनी उंगलियों को इंटरलॉक कर लें और हाथों को बटलॉक्स के ऊपर रखें। अपनी थोड़ी को जमीन के साथ लगा लें। यह इस आसन की शुरुआती पोजीशन है। अब धीरे-धीरे इंहेल करें। अपनी लोअर बैक मसल्स का इस्तेमाल करें और जितना हो सके आपकी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं। ऐसे ही अपने हाथों को भी ऊपर ले जाएं। ऐसा इमेजिन करें कि आपकी बाजुओं को पीछे से खींचा जा रहा है।
बिना स्ट्रेन के शरीर को जितना हो सके ऊपर उठाएं। सांस रोककर शोल्डर ब्लेड्स को एक साथ स्क्वीज करें और आगे देखें। इस पोजीशन में जितनी देर हो सके रहें। अब सांस बाहर छोड़ें और अपनी शुरुआती पोजीशन में आ जाएं। अपने पूरे शरीर को रिलैक्स करने दें। इस आसन को फिर से दोहराएं।
शलभासन (Shalabhasan)
इस आसन के कई लाभ हैं। लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) में इस आसन को भी शामिल किया जा सकता है। इसे करने के लिए आप पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब अपने हाथों को बिलकुल सीधा रखें। अपने पैरों को एक साथ, और पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखें। इंहेल करते हुए दाहिना हाथ ऊपर और बायां पैर को ऊपर उठाएं। जैसे ही आप अपना सिर और छाती ऊपर उठाते हैं, तो अपने घुटनों को सीधा रखें। सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को नीचे लाएं और फिर दूसरी तरफ से दोहराएं। 10-15 सेकंड के लिए मुद्रा में रहें।
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लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer): भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama)
प्राणायाम को लंग कैंसर के पेशेंट्स के लिए बेहद लाभदायक माना गया है। क्योंकि, लंग कैंसर (Lung cancer) के पेशेंट्स को सांस लेने में समस्या हो सकती है। ऐसे में प्राणायाम को करने से उन्हें इस समस्या से राहत मिल सकती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले किसी आरामदायक पोजीशन में बैठ जाएं जैसे सुखासन। अब अपनी पीठ को सीधा और आंखों को बंद कर लें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें। सांस को अंदर ले जाएं और अपने लंग्स को हवा से भर लें। अब पूरी तरह से सांस को छोड़ दें। इंहेल और एक्सहेल 1:1 रेशो में होनी चाहिए।
यानी, अगर आप छह बार इंहेल करते हैं, तो आपको छह बार ही एक्सहेल करना है। ब्रीदिंग तकनीक की शुरुआत आपको दिन में पांच मिनट से करनी चाहिए और समय के साथ इसे बढ़ा देना चाहिए। इसे पोज में 10-15 सेकंड्स तक रहें और दो या तीन बार इसे दोहराएं। इससे आपको शरीर की इम्यूनिटी को स्ट्रांग करने, ट्रीटमेंट और हीलिंग को सुधारने में मदद मिलेगी। यह तो थी लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) के बारे में जानकारी।
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उम्मीद है कि लंग कैंसर के लिए योगा (Yoga for lung cancer) के बारे में यह इंफॉर्मेशन आपको पसंद आई होगी। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि लंग कैंसर (Lung cancer) की स्थिति में फिजिकल एक्टिविटीज और योगा से लाभ होता है। लेकिन, किसी भी एक्सरसाइज प्रोग्राम या योगा शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। क्योंकि हो सकता है कि कुछ तरह की एक्सरसाइजेज या योगासन लंग कैंसर के पेशेंट्स के लिए एप्रोप्रियेट न हों। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से अवश्य बात करें।
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